
कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति पर गंभीर सवाल उठाए हैं। पार्टी का आरोप है कि इस नियुक्ति प्रक्रिया में पूरी तरह से खामियां थीं और यह पहले से तय थी। कांग्रेस ने यह भी कहा कि चयन के दौरान आपसी सलाह-मशविरा और सहमति की प्रक्रिया को नजरअंदाज किया गया। इस पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकरजुन खरगे और सांसद राहुल गांधी ने आपत्ति जताई है।
राहुल और खरगे ने सुझाए थे नाम
राहुल गांधी और मल्लिकरजुन खरगे ने न्यायमूर्ति रोहिंटन फाली नारिमन और न्यायमूर्ति केएम जोसफ के नामों पर सहमति जताई थी। लेकिन सरकार ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश वी. रामासुब्रमणियन को मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि आयोग के अध्यक्ष का चयन करते समय क्षेत्रीय, धार्मिक और जाति का संतुलन ध्यान में नहीं रखा गया और यह चयन प्रक्रिया सरकार की नीतियों को ही दर्शाता है।

न्यायमूर्ति कुरीशी का नाम भी आया था
राहुल गांधी और खरगे ने आयोग के सदस्य के रूप में न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति अकील अब्दुल हमीद कुरीशी के नाम भी प्रस्तावित किए थे। इन दोनों का ट्रैक रिकॉर्ड मानवाधिकार की रक्षा में बहुत अच्छा रहा है। कांग्रेस का कहना था कि इन दोनों न्यायमूर्ति को मानवाधिकार आयोग का सदस्य बनाना चाहिए था।

न्यायमूर्ति रामासुब्रमणियन की नियुक्ति
न्यायमूर्ति रामासुब्रमणियन की नियुक्ति से पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का पद लंबे समय से खाली था। 1 जून को न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा का कार्यकाल पूरा होने के बाद से यह पद खाली था और विजय भारती सायानी इस पद पर कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे थे।
चयन समिति के सदस्य कौन थे?
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित चयन समिति द्वारा की जाती है। इस समिति में लोकसभा अध्यक्ष, गृह मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता, राज्यसभा में विपक्ष के नेता और राज्यसभा के उपाध्यक्ष शामिल होते हैं। चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रपति, पूर्व मुख्य न्यायधीश या सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायधीश को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त करते हैं। इस उच्च-स्तरीय समिति की बैठक 18 दिसंबर को हुई थी, जिसमें राहुल गांधी और मल्लिकरजुन खरगे भी शामिल हुए थे। राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं और मल्लिकरजुन खरगे राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं।
आयोग के सदस्य कौन हैं?
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सोमवार को अपनी नई समिति के बारे में जानकारी दी। आयोग ने एक पोस्ट में लिखा – ‘राष्ट्रपति ने न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमणियन को अध्यक्ष, प्रियंक कणुंगो और न्यायमूर्ति विद्युत रंजन सारंगी को सदस्य के रूप में नियुक्त किया है।’ प्रियंक कणुंगो पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं। न्यायमूर्ति रोहिंटन फाली नारिमन, जिनके नाम पर कांग्रेस सहमत थी, पारसी समुदाय से आते हैं। वहीं, न्यायमूर्ति कुट्टियिल मैथ्यू जोसफ ईसाई समुदाय से आते हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
- आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है।
- यह एक केंद्रीय मानवाधिकार संस्थान है।
- आयोग में एक अध्यक्ष और पांच सदस्य होते हैं।
- आयोग में एक महिला सदस्य का होना अनिवार्य है।
कांग्रेस पार्टी द्वारा उठाए गए सवाल और आरोप इस बात को दर्शाते हैं कि देश में राजनीतिक दलों के बीच नियुक्तियों के मामले में असहमतियां और विवाद अक्सर सामने आते हैं। यह भी साफ है कि किसी भी प्रमुख संस्थान की नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए, ताकि जनता का विश्वास बना रहे। हालांकि, सरकार का यह कहना है कि चयन प्रक्रिया पूरी तरह से नियमों के तहत हुई है। अब देखना यह होगा कि क्या इस विवाद का कोई हल निकलता है या यह मामला राजनीति के मैदान में और भी गहरा हो जाता है।

