
Defence Secretary: रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने आतंकवाद को एक गतिशील और विकसित हो रहे चुनौती के रूप में संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठनों के द्वारा उन्नत प्रौद्योगिकी, साइबर उपकरण और बिना पायलट प्रणालियों का उपयोग किया जा रहा है, जिसके कारण आतंकवाद की खतरों का सीमा पार करना एक बढ़ती हुई समस्या बन गया है। इस समस्या से निपटने के लिए एक समग्र, दूरदर्शी और क्रियाशील दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
भारत की शून्य सहनशीलता नीति
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने 14वीं ASEAN रक्षा मंत्रियों की बैठक (ADMM-Plus) में काउंटर-आतंकवाद मुद्दों पर अपने संबोधन में कहा, “भारत आतंकवाद के प्रति अपनी शून्य सहनशीलता नीति पर दृढ़ है।” उन्होंने आगे कहा कि भारत एक ऐसे दृष्टिकोण में विश्वास करता है, जिसमें मजबूत घरेलू तंत्र, खुफिया जानकारी का साझा करना और क्षेत्रीय सहयोग पर जोर दिया जाता है। भारत का मानना है कि आतंकवाद के खतरे को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए इन तीनों पहलुओं का संयोजन महत्वपूर्ण है।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिति
राजेश कुमार सिंह ने यह भी कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ के प्रसार के लिए विशेष रूप से संवेदनशील है। इसका मुख्य कारण इस क्षेत्र की भौगोलिक और आर्थिक महत्वता है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में आतंकवाद को रोकने के लिए एक व्यापक और सहकारी प्रतिक्रिया की आवश्यकता है, जिसमें विभिन्न देशों के सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों का समन्वय शामिल हो। इसके लिए एक सशक्त और सहयोगात्मक रणनीति का निर्माण आवश्यक है।

भारत की उभरती खतरों से निपटने में प्रभावी भूमिका
राजेश कुमार सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि ADMM-Plus प्लेटफॉर्म के माध्यम से भारत का उद्देश्य रक्षा बलों, सुरक्षा एजेंसियों और नीति तंत्रों के बीच तालमेल स्थापित करना है, ताकि उभरते हुए खतरों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके। उन्होंने बताया कि इस मंच का उपयोग भारत क्षेत्रीय सहयोग और वैश्विक सुरक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम उठाने के लिए करना चाहता है। इसके जरिए, विभिन्न देशों के सुरक्षा तंत्रों को आपस में जोड़ा जाएगा, जिससे आतंकवाद और अन्य खतरों का सामना करना आसान होगा।
समाज और पारिस्थितिकी तंत्र की कमजोरी
रक्षा सचिव ने यह भी कहा कि आज के तेज़ी से बदलते हुए दुनिया में, सामाजिक और पारिस्थितिकी तंत्र कमजोर होते जा रहे हैं। इसके कारण, देशों के लिए प्राथमिकता निर्धारण और निर्णय लेने में कठिनाई हो रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस जोखिम का मूल्यांकन करना आवश्यक है, ताकि सरकारों को अपने निर्णय लेने और रणनीतियों के गठन में सही मार्गदर्शन मिल सके। एक सशक्त पारिस्थितिकी तंत्र और सामाजिक संरचना के बिना, आतंकवाद और हिंसा से निपटना कठिन हो सकता है।
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह का यह संबोधन भारत की आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ नीति और वैश्विक सुरक्षा सहयोग को लेकर मजबूत रुख को दर्शाता है। उन्होंने आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ के खतरे से निपटने के लिए एकजुट और समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया। यह बयान यह भी संकेत देता है कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सहयोग को महत्व दे रहा है।

