
GST: मुरादाबाद में जीएसटी चोरी का बड़ा खुलासा, राज्यकर विभाग की छापेमारी से हड़कंप।
मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में राज्यकर विभाग की GST (एसआईबी) टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रसिद्ध निर्यातक एवं समाजसेवी नोमान मंसूरी के आवास और फैक्ट्रियों पर एक साथ छापेमारी की। हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट सोसाइटी, रोहान इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड समेत कई अन्य फर्मों पर की गई इस कार्रवाई से पूरे कारोबारी जगत में हड़कंप मच गया।
GST: चोरी की सूचना पर छापेमारी
राज्यकर विभाग को सूचना मिली थी कि नोमान मंसूरी की कच्चे माल की सप्लाई फर्म में जीएसटी चोरी हो रही है। इसके बाद एसआईबी यूनिट ने भारी पुलिस बल के साथ मुगलपुरा थाना क्षेत्र और संभल रोड पर स्थित फर्मों पर छापा मारा। जांच में पता चला कि मंसूरी ने परिवार के सदस्यों के नाम पर कई फर्में संचालित कर रखी थीं, जिनमें बोगस बिलों के जरिये जीएसटी चोरी की जा रही थी।

एसआईबी की टीम ने फरीदपुर वीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित “रॉ मैटेरियल बैंक” और मुरादाबाद मेटल्स कंपनी प्राइवेट लिमिटेड पर भी छापा मारा। वहां से मिले दस्तावेजों और बिक्री-खरीद रिकॉर्ड की जांच में बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी का मामला उजागर हुआ।

GST: छापेमारी में क्या मिला?
राज्यकर विभाग के अपर आयुक्त (ग्रेड-1) आर ए सेठ के अनुसार, अब तक 1.73 करोड़ रुपये की गड़बड़ी सामने आई है। जांच के दौरान 30 लाख रुपये की टैक्स चोरी की रकम भी वसूली गई है, जबकि बाकी की जांच अभी जारी है।
SIB टीम में शामिल अधिकारी:
आर ए सेठ (अपर आयुक्त, राज्यकर मुरादाबाद जोन)
डीसी एसआईबी बामदेव राम त्रिपाठी
असिस्टेंट कमिश्नर रण विजय त्रिपाठी
नोमान मंसूरी का पक्ष
नोमान मंसूरी ने अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनकी पत्नी नुजहत अहसान ने वर्ष 2022-23 में पंजाब के लुधियाना की एक फर्म से कच्चा माल खरीदा था। तब उन्हें उस फर्म से ई-वे बिल प्राप्त हुआ था। लेकिन अब जीएसटी अधिकारियों का कहना है कि वह फर्म तीन साल पहले ही बंद हो चुकी थी।
“हम इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। अगर कोई फर्म पहले से ही बंद थी, तो उसका जीएसटी कैसे चालू था? हमने जब माल खरीदा था, तब उस फर्म ने हमें ई-वे बिल कैसे जारी कर दिया?” – नोमान मंसूरी
कैसे होता है बोगस बिलों का धंधा?
मुरादाबाद से पीतल हैंडीक्राफ्ट उत्पादों का विदेशों में बड़े पैमाने पर निर्यात होता है, जिससे विदेशी मुद्रा आती है। सरकार निर्यातकों को टैक्स छूट देती है, लेकिन इसी का फायदा उठाकर फर्जी बिलों के जरिए टैक्स चोरी का खेल खेला जाता है।
कैसे होता है फर्जीवाड़ा?
निर्यातकों को 18% जीएसटी रिफंड लेने के लिए पक्के बिलों की जरूरत होती है।
मुरादाबाद में बोगस कंपनियां बनाकर जीएसटी बिल बेचने का काम किया जाता है।
ये 5% से 9% कमीशन पर करोड़ों रुपये के बोगस बिल जनरेट करके बेचते हैं।
बाद में जब कर विभाग की नजर पड़ती है, तो कंपनी बंद कर गायब हो जाते हैं।
क्या कह रहा है राज्यकर विभाग?
राज्यकर विभाग ने संकेत दिए हैं कि मुरादाबाद में बोगस बिलों से टैक्स चोरी करने वाले अन्य कारोबारियों पर भी शिकंजा कसा जाएगा।
“टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। जांच में और भी नाम सामने आ सकते हैं।” – आर ए सेठ, अपर आयुक्त, राज्यकर मुरादाबाद जोन।
आगे क्या?
जीएसटी विभाग इस मामले की पूरी जांच कर रहा है। अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो नोमान मंसूरी और उनकी कंपनियों पर भारी भरकम पेनल्टी लग सकती है। इसके अलावा, अन्य निर्यातकों और कारोबारियों पर भी नजर रखी जा रही है, ताकि मुरादाबाद में बोगस बिलों का गोरखधंधा पूरी तरह खत्म किया जा सके।

