
Mahakumbh Mela stampede: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला स्थल पर मंगलवार रात को हुई भगदड़ ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस घटना में कई लोग घायल हुए, और कुछ की मौत भी हो गई। हालांकि, इस भगदड़ के पीछे की असली वजह को लेकर अलग-अलग राय सामने आ रही हैं, लेकिन कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि 144 वर्षों के बाद आया यह विशेष संयोग ही इस घटना का मुख्य कारण था। लोग इस दुर्लभ मुहूर्त के कारण घाट पर डेरा डाले हुए थे और जब भीड़ ने बैरियर तोड़ा, तो उन पर इसका बुरा असर पड़ा।
144 वर्ष का संयोग और लोग संगम में स्नान के लिए बैठे
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इस दुर्घटना के पीछे एक बड़ा कारण यह था कि लोग इस विशेष संयोग को लेकर संगम तट पर बैठे थे। 144 साल बाद यह अवसर आया था, और श्रद्धालुओं ने इसे खोने का कोई भी जोखिम उठाना नहीं चाहा। इस मौके का फायदा उठाने के लिए देशभर से लोग संगम तट पर डेरा डाले हुए थे और खुले आसमान के नीचे रात बिताए थे। वे इस पुण्य अवसर का इंतजार कर रहे थे, जब उन्हें अमृत स्नान का मौका मिले।

बीरभूम जिले की निवासी मधुमिता ने बताया, “हम लोग संगम घाट पर स्नान के इंतजार में बैठे हुए थे। सभी लोग इसी संयोग का लाभ उठाने के लिए वहाँ पहुंचे थे। तभी अचानक अखाड़ों के अमृत स्नान के लिए बनाए गए बैरियर टूटने लगे और बेकाबू भीड़ ने हमें दबोच लिया।”

प्रशासन की चेतावनियों को नजरअंदाज किया गया
प्रशासन ने घटना से पहले ही यह अनुमान लगा लिया था कि लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम तट पर रहेंगे और कुछ घटनाओं को लेकर भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। प्रयागराज के मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने बार-बार छोटे लाउडस्पीकर से जनता को चेतावनी दी थी कि “जो लोग स्नान करने आए हैं, वे जल्दी उठकर स्नान करें और किसी भी हालत में घाट पर लेटे न रहें। क्योंकि बहुत अधिक लोग आने से भगदड़ का खतरा हो सकता है।”
भय और श्रद्धा का संगम
प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि प्रशासन की चेतावनियों के बावजूद श्रद्धालु अपने धर्म और विश्वास के तहत इस अवसर को खोने के बजाय हर हाल में इस महान मौके का पूरा फायदा उठाना चाहते थे। यही कारण था कि प्रशासन के बार-बार कहने के बावजूद लोग घाट पर ही पड़े रहे, जिससे बाद में स्थिति काबू से बाहर हो गई और भगदड़ जैसी घटना घटी।
बेगूसराय से आई हुई बुजुर्ग महिला बदामा देवी ने कहा, “हम इतने दूर से आए थे, ताकि इस खास संयोग में संगम स्नान कर सकें। 144 साल बाद यह मौका मिला था, जिसे हम गंवाना नहीं चाहते थे। लेकिन दुर्भाग्यवश इस संयोग का पालन करते वक्त भगदड़ मच गई।”
संगम तट पर भीड़ और प्रशासन की जिम्मेदारी
भगदड़ के दौरान प्रशासन ने बार-बार कोशिश की कि लोग घाट से उठकर स्नान कर लें और फिर वापस जाएं, ताकि स्थिति काबू में रहे। लेकिन श्रद्धालु अपनी श्रद्धा और विश्वास के कारण अपना स्थान छोड़ने को तैयार नहीं थे। इस कारण प्रशासन को उस समय किसी तरह की स्थिति संभालने का मौका नहीं मिल सका।
प्रशासन का कहना है कि वे इस घटना से पहले ही स्थिति की गंभीरता को समझ रहे थे और उन्होंने चेतावनियाँ दी थीं, लेकिन श्रद्धालुओं की भावनाएं इससे अधिक महत्वपूर्ण हो गईं।
घटना के बाद की स्थिति और सरकार की जांच
घटना के बाद प्रशासन और पुलिस ने स्थिति को काबू में किया और घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया। कई लोग घायल हुए और उनकी स्थिति गंभीर बताई जा रही थी। इस हादसे के बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं, ताकि यह पता चल सके कि कहीं प्रशासनिक लापरवाही तो नहीं थी।
सरकार ने इस घटना के बाद श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आगे से इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की बात कही है। साथ ही, प्रशासन को भी यह आदेश दिया गया है कि वे भविष्य में इस तरह के आयोजन में ज्यादा सतर्कता बरतें और यह सुनिश्चित करें कि श्रद्धालुओं को सुरक्षित माहौल में पूजा-अर्चना करने का अवसर मिले।
प्रयागराज में महाकुंभ मेला के दौरान हुई भगदड़ एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं की श्रद्धा और विश्वास के बीच प्रशासनिक कमियों का परिणाम सामने आया। 144 वर्षों बाद आए इस अवसर का लाभ उठाने के लिए श्रद्धालु संगम तट पर रुके थे, लेकिन उसी उत्साह ने जीवन के लिए खतरे का रूप ले लिया। इस घटना से प्रशासन और सरकार को आने वाले समय में इस तरह के आयोजनों के लिए विशेष तैयारियों और सावधानियों का ध्यान रखना होगा ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।

