
Beating Retreat Ceremony: भारत में हर साल गणतंत्र दिवस समारोह के समापन के तौर पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है। यह एक ऐतिहासिक और सैन्य परंपरा का हिस्सा है, जो 29 जनवरी को विजय चौक पर आयोजित होती है। इस वर्ष का बीटिंग रिट्रीट समारोह विशेष रूप से यादगार होने वाला है, क्योंकि भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के बैंड अपने देशभक्ति से भरे गीतों के साथ इस आयोजन को और भी खास बनाने जा रहे हैं।
बीटिंग रिट्रीट: एक ऐतिहासिक परंपरा

बीटिंग रिट्रीट की परंपरा 17वीं शताब्दी के इंग्लैंड से शुरू हुई थी, जहां इसे युद्ध के बाद सेनाओं द्वारा युद्ध रोकने के संकेत के तौर पर बजाया जाता था। यह बिगुल के द्वारा किया जाता था, और यह संकेत होता था कि युद्ध बंद कर दिया गया है। भारत में यह परंपरा 1950 के दशक में शुरू हुई, जब प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इंग्लैंड से आई एलिजाबेथ द्वितीय और प्रिंस फिलिप के स्वागत में इस परंपरा को अपनाया था।

देशभक्ति से भरी धुनों के साथ विशेष समारोह
इस बार बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के बैंड द्वारा प्रस्तुत धुनों में ‘आत्मनिर्भर भारत’, ‘स्वतंत्रता का प्रकाश फैलाओ’, ‘रिदम ऑफ द रीफ’, और ‘जय भारती’ जैसी धुनें शामिल होंगी। ये धुनें देश की प्रगति, स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बनेंगी।
इसके अलावा, बैंड ‘वीर सपूत’, ‘ताकत वतन’, ‘मेरा युवा भारत’, ‘ध्रुव’, और ‘फौलाद का जिगर’ जैसी प्रेरणादायक धुनों से माहौल को देशभक्ति से सराबोर करेंगे।
समारोह का समापन: ‘सारे जहां से अच्छा’
समारोह का प्रमुख आकर्षण ‘सारे जहां से अच्छा’ की धुन होगी, जो समारोह के समापन के रूप में बजाई जाएगी। यह धुन हमेशा की तरह भारतीय राष्ट्रवाद और देशभक्ति का प्रतीक मानी जाती है। इसके अलावा, ‘प्रियम भारतम’ और ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ जैसे गीत भी सामूहिक बैंड द्वारा प्रस्तुत किए जाएंगे, जो देशवासियों में देशभक्ति की भावना को और बढ़ाएंगे।
बीटिंग रिट्रीट: गणतंत्र दिवस समारोह का समापन
गणतंत्र दिवस समारोह के समापन का यह समारोह न केवल एक सैन्य परंपरा का पालन करता है, बल्कि यह भारतीय सेना की अनुशासन, गर्व और एकता को भी दर्शाता है। हर साल यह कार्यक्रम भारत के राष्ट्रपति की उपस्थिति में आयोजित होता है, जहां थल सेना, वायुसेना, नौसेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के बैंड एक साथ मिलकर धुनें प्रस्तुत करते हैं।
महात्मा गांधी की प्रिय धुन का हटना
पहले इस समारोह में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रिय धुन “अबाइड विद मी” बजाई जाती थी, लेकिन अब इसे समारोह से हटा दिया गया है। इसके स्थान पर अब भारतीय सेना और अन्य सेनाओं के बैंड अपनी नई और प्रेरणादायक धुनों के साथ इस समारोह को और भी रोचक बना रहे हैं।
केवल दो बार रद्द हुआ बीटिंग रिट्रीट समारोह
भारत में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत के बाद से केवल दो बार इसे रद्द करना पड़ा है। पहली बार 2001 में गुजरात में आए भूकंप के कारण, और दूसरी बार 2009 में राष्ट्रपति वेंकटरमन के निधन के बाद यह समारोह रद्द किया गया था।
भारत के गणतंत्र दिवस समारोह का अहम हिस्सा
बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी भारत के गणतंत्र दिवस समारोह का एक अभिन्न हिस्सा है, जो न केवल सैन्य बैंड की धुनों का जश्न मनाती है, बल्कि देश की सैन्य परंपराओं और एकता को भी उजागर करती है। यह समारोह भारतीय संस्कृति, अनुशासन और गर्व का प्रतीक है, और इस आयोजन में देशभक्ति की गूंज हमेशा सुनाई देती है।
समारोह का यह आयोजन भारतीय सैनिकों और देशवासियों के बीच एकता और गर्व की भावना को और मजबूत करता है। यह समारोह हमारे देश की ऐतिहासिक परंपराओं को जीवित रखने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों को भी इन परंपराओं से जोड़ने का काम करता है।
बीटिंग रिट्रीट समारोह भारतीय सेना और देशभक्ति के प्रतीक के तौर पर हमारे राष्ट्रीय आयोजनों का एक अनिवार्य हिस्सा है। इस समारोह में भारतीय सेना और अन्य बलों के बैंड अपनी धुनों से हमें याद दिलाते हैं कि हम एकता, साहस और देशप्रेम से जुड़े हुए हैं। इस परंपरा का पालन करना न केवल एक ऐतिहासिक कर्तव्य है, बल्कि यह हमारे देश की सामूहिक पहचान और गौरव को भी मजबूत करता है।

