India Canada Crisis: कनाडा और भारत के बीच हालिया विवाद ने न सिर्फ दोनों देशों के संबंधों में तनाव पैदा किया है, बल्कि यह विवाद कनाडा की आंतरिक सुरक्षा और आव्रजन नीतियों पर भी सवाल खड़े कर रहा है। भारत और कनाडा के बीच नज़रिया इस समय खासकर विवादित है, और अब इस विवाद में एक नया मोड़ उस समय आया जब कनाडा के पूर्व पुलिस अधिकारी, डोनाल्ड बेस्ट ने कनाडा की आव्रजन नीतियों और चरमपंथियों को पनाह देने पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
पूर्व पुलिस अधिकारी का खुलासा: ट्रूडो दे रहे हैं अपराधियों को सुरक्षा
कनाडा के पूर्व टोरंटो पुलिस सार्जेंट और जाँचकर्ता डोनाल्ड बेस्ट ने एक बयान में भारत की विदेश नीति के समर्थन में खुलकर सामने आकर कहा कि भारत का यह दावा सही है कि कनाडा की आव्रजन नीति में गम्भीर खामियाँ हैं। उन्होंने कहा कि कनाडा में चरमपंथी और अपराधी बिना किसी कठोर जाँच प्रक्रिया के प्रवेश पा रहे हैं, जो न केवल कनाडा बल्कि भारत के लिए भी खतरे का कारण बन रहे हैं।
कनाडा में चरमपंथी समूहों का प्रभाव
बेस्ट ने बताया कि वर्तमान में कनाडा में 2,600 से अधिक संगठित अपराधी गिरोह सक्रिय हैं, जो नशीले पदार्थों की तस्करी, वित्तीय धोखाधड़ी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं। इन चरमपंथी संगठनों में खालिस्तान समर्थक समूहों का भी योगदान है, जो भारत के लिए एक गहरी चिंता का विषय है। भारत सरकार पहले ही इन समूहों के प्रति कनाडा के रवैये पर सवाल उठा चुकी है।
भारत का दावा: वीजा प्रक्रिया में खामियाँ
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा दिए गए बयान को डोनाल्ड बेस्ट ने समर्थन देते हुए कहा कि कनाडा का आव्रजन तंत्र काफी कमजोर है, जिससे अपराधी और संगठित अपराधों से जुड़े व्यक्ति आसानी से प्रवेश पा जाते हैं। बेस्ट के अनुसार, कनाडा में आव्रजन के लिए कोई खास स्क्रीनिंग प्रक्रिया नहीं है, जिसके चलते वहां का समाज और सुरक्षा खतरे में है। उनका कहना है कि ऐसे खालिस्तानी और अन्य चरमपंथी समूहों का कनाडा में मज़बूती से जमावड़ा हो गया है, जो राजनीतिक तौर पर भी प्रभाव बढ़ा रहे हैं।
कनाडा में बढ़ते आव्रजन पर सवाल
बेस्ट ने ट्रूडो सरकार की आव्रजन नीतियों पर भी सवाल उठाए और कहा कि वर्तमान में 4 करोड़ जनसंख्या वाले इस छोटे से देश में पिछले दो साल में लगभग 5 प्रतिशत नए आप्रवासी आए हैं। उन्होंने इसे कनाडा की आव्रजन नीति में गंभीर कमजोरी बताया और कहा कि इतनी बड़ी संख्या में आव्रजन ने कनाडा की आवास, अर्थव्यवस्था, समाजसेवा और स्वास्थ्य सेवाओं पर नकारात्मक असर डाला है। उनके अनुसार, “ट्रूडो सरकार के सत्ता में आने के बाद से हमने आव्रजन में अचानक बढ़ोतरी देखी है, जिससे कई समस्याएँ खड़ी हो गई हैं।”
भारत के प्रति कनाडा का नरम रुख
भारत का दावा है कि कनाडा का रुख खालिस्तान समर्थकों के प्रति नरम है। भारत के अनुसार, ये समर्थक और संगठन खालिस्तान नामक एक अलग सिख राज्य की मांग कर रहे हैं और भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहे हैं। इन चरमपंथी गतिविधियों के कारण दोनों देशों के रिश्ते में तनाव बढ़ रहा है। भारत का मानना है कि कनाडा इन चरमपंथियों के प्रति अपनी नीतियों में कठोरता नहीं दिखा पा रहा है, जो भविष्य में दोनों देशों के संबंधों में और भी अवरोध पैदा कर सकता है।
चरमपंथी गतिविधियों का सामाजिक प्रभाव
डोनाल्ड बेस्ट के अनुसार, कनाडा में सक्रिय 2,600 से अधिक अपराधी गिरोह सार्वजनिक सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता के लिए खतरा बन रहे हैं। ये संगठन न केवल कनाडा के कानून और व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि अपने संगठित आपराधिक गतिविधियों से कनाडा की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर डाल रहे हैं। इन चरमपंथी समूहों के बढ़ते प्रभाव ने समाज में उथल-पुथल मचा रखी है, जिससे वहाँ का आम नागरिक असुरक्षित महसूस करने लगा है।
भारत-कनाडा संबंधों पर असर
कनाडा की नीतियों और चरमपंथियों को मिलने वाले समर्थन के कारण भारत-कनाडा संबंधों में दरार बढ़ती जा रही है। भारत ने खालिस्तान समर्थकों के प्रति कनाडा के नरम रुख पर पहले भी सवाल उठाए हैं और अब जब कनाडा के एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकारा है, तो भारत के दावों को एक नया समर्थन मिला है। अगर कनाडा ने अपनी नीतियों में सुधार नहीं किया, तो दोनों देशों के बीच यह विवाद और गहरा सकता है।
कनाडा के पूर्व पुलिस अधिकारी डोनाल्ड बेस्ट के इन बयानों ने कनाडा की आव्रजन नीति और ट्रूडो सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उनकी इस स्वीकारोक्ति से यह स्पष्ट होता है कि कनाडा की आव्रजन नीति में खामियाँ हैं और यह खामियाँ केवल भारत ही नहीं बल्कि कनाडा की आंतरिक सुरक्षा और समाज के लिए भी खतरा बन रही हैं। ऐसे में कनाडा के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी आव्रजन नीतियों में सुधार करे और अपने देश में चरमपंथी गतिविधियों पर लगाम लगाए, ताकि दोनों देशों के संबंध और स्थिर रह सकें।