
Allahabad High Court Decision: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने धर्मांतरण से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि धर्मांतरण केवल दिल और विश्वास में बदलाव के जरिए ही संभव है। धोखाधड़ी और दबाव में किया गया धर्मांतरण अवैध और गंभीर अपराध है। ऐसे मामलों में दोनों पक्षों के बीच समझौते के आधार पर मामला रद्द नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की पीठ ने यह निर्णय दिया और कहा कि इस तरह के मामलों में न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि इस्लाम धर्म में धर्मांतरण तभी सही माना जा सकता है जब कोई वयस्क व्यक्ति दिल से और अपनी इच्छा से पैगंबर हज़रत मोहम्मद के सिद्धांतों पर विश्वास करता है। कोर्ट के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति इस्लाम के सिद्धांतों से प्रभावित होकर, पूरी निष्ठा और सच्चे दिल से धर्मांतरण करता है, तो उसे वास्तविक धर्मांतरण माना जाएगा।
इस मामले में एक महिला द्वारा धर्मांतरण और बलात्कार के आधार पर मामला दर्ज किया गया था। कोर्ट ने इस मामले में दोनों आरोपियों द्वारा किए गए धर्मांतरण और बलात्कार के आरोपों को गंभीर अपराध माना। कोर्ट ने कहा कि महिला का शरीर उसका मंदिर है और उसकी पवित्रता को कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता। बलात्कार की घटनाएं जीवन की गरिमा को दबा देती हैं और समाज में इसके खिलाफ सख्त संदेश भेजने की आवश्यकता है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रामपुर जिले के स्वार थाना क्षेत्र के निवासी तौफिक की याचिका को खारिज कर दिया। इस मामले में तौफिक के भाई मोहम्मद अयान ने फेसबुक पर राहुल नाम से एक आईडी बनाई थी और इसी आईडी के जरिए उसने महिला को अपने प्रेमजाल में फंसा लिया। बाद में, जब महिला को पता चला कि राहुल का असली नाम अयान है, तो उसने आरोप लगाया कि उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए गए थे। इस मामले में एफआईआर तौफिक, अयान और रियाज के खिलाफ बलात्कार और धर्मांतरण के आरोप में दर्ज की गई थी। हालांकि, बाद में आरोपियों और शिकायतकर्ता महिला के बीच समझौता हो गया। महिला ने कहा कि उसने अपनी इच्छा से धर्मांतरण किया और वह आरोपी के साथ रह रही है। लेकिन कोर्ट ने इस समझौते को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में धर्मांतरण विश्वास के आधार पर नहीं, बल्कि शादी के बहाने या उससे बचने के लिए किया गया था, जो कि अच्छे विश्वास के तहत नहीं माना जा सकता।