
Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में शनिवार, 22 मार्च को नगर निगम और लोक निर्माण विभाग (PWD) के बीच संपत्ति कर के बकाया भुगतान को लेकर विवाद सामने आया। नगर निगम के मुख्य कर मूल्यांकन अधिकारी, विनय कुमार राय ने PWD के दफ्तर को संपत्ति कर के बकाए 3 करोड़ रुपये के कारण सील कर दिया। इस घटना ने न केवल अधिकारियों को चौंका दिया, बल्कि आम जनता को भी हैरान कर दिया।
सील करने का कारण:
यह विवाद तब शुरू हुआ जब नगर निगम ने PWD को कई बार संपत्ति कर के बकाए की याद दिलाई, लेकिन विभाग ने भुगतान में कोई रुचि नहीं दिखाई। नगर निगम के अधिकारियों ने बार-बार PWD से बकाया राशि चुकाने की मांग की थी, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसी कारण, विनय कुमार राय ने 3 करोड़ रुपये के संपत्ति कर बकाए को लेकर PWD दफ्तर को सील करने का निर्णय लिया।

क्या था पूरा मामला?
गोरखपुर के सिविल लाइन्स इलाके में स्थित PWD दफ्तर में यह घटना उस समय घटी, जब नगर निगम के मुख्य कर मूल्यांकन अधिकारी विनय कुमार राय अपनी टीम के साथ वहां पहुंचे और दफ्तर को सील कर दिया। अधिकारियों और कर्मचारियों ने देखा कि दफ्तर के बाहर भीड़ लग गई, और सबकी नज़रें इस फैसले पर थीं। दरअसल, नगर निगम ने PWD से संपत्ति कर के 3 करोड़ रुपये की रकम चुकाने के लिए कई बार नोटिस भेजे थे, लेकिन यह भुगतान नहीं किया गया।

अधिकारियों से बार-बार संपर्क:
नगर निगम के अधिकारियों ने PWD के अधिकारियों से बार-बार संपर्क किया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। नगर निगम के मुख्य कर मूल्यांकन अधिकारी ने इस मुद्दे पर उच्च अधिकारियों से भी बात की थी, लेकिन फिर भी विभाग ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इन घटनाओं के बाद, नगर निगम ने कड़ी कार्रवाई की योजना बनाई और PWD के दफ्तर को सील कर दिया।
PWD के मुख्य अभियंता का अनुरोध:
PWD के मुख्य अभियंता ने इस मामले को सुलझाने के लिए नगर निगम के अधिकारी से दो दिन का समय मांगा। उनका कहना था कि उन्हें भुगतान करने के लिए समय की आवश्यकता है। इसके बाद नगर निगम के अधिकारी विनय कुमार राय ने स्थिति पर विचार करते हुए दफ्तर की सील को हटा दिया और PWD को सोमवार तक का समय दिया।
नगर निगम के अधिकारियों की प्रतिक्रिया:
नगर निगम के मुख्य कर मूल्यांकन अधिकारी, विनय कुमार राय ने इस मामले पर कहा कि 3 करोड़ रुपये का बकाया बहुत बड़ी राशि है। यह नगर निगम के दैनिक कार्यों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, और इसीलिए इस कार्रवाई को लागू करना जरूरी था। उन्होंने बताया कि इस कार्रवाई को उच्च अधिकारियों के आदेश के बाद ही किया गया।
इस विवाद से क्या सीखा गया?
इस घटना ने अधिकारियों और विभागों के बीच सहयोग की आवश्यकता को उजागर किया है। जहां एक तरफ नगर निगम ने अपना काम ठीक से किया, वहीं दूसरी तरफ PWD को यह समझने की जरूरत थी कि सरकारी करों का भुगतान समय पर किया जाना चाहिए, ताकि सार्वजनिक सेवाओं में कोई रुकावट न हो।
गोरखपुर में हुई इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि बकाया भुगतान की प्रक्रिया में कोई भी लापरवाही नहीं होनी चाहिए। नगर निगम के अधिकारियों ने यह संदेश दिया कि यदि कोई विभाग अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश करेगा, तो उसे सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई:
इस विवाद के बाद अब यह सवाल उठता है कि क्या भविष्य में अन्य विभागों के खिलाफ भी ऐसी ही सख्त कार्रवाई की जाएगी। क्या नगर निगम के अधिकारी अन्य विभागों के लिए भी उदाहरण प्रस्तुत करेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा कि इस घटना के बाद प्रशासन की कार्यप्रणाली में क्या बदलाव आता है।

