
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले के दौरान, देश की पहली नागरिक, President Draupadi Murmu ने सोमवार को त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई। यह एक ऐतिहासिक पल था जब राष्ट्रपति ने संगम में स्नान कर सनातन धर्म के महत्व को और मजबूती से स्थापित किया। उनके साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस विशेष अवसर पर उपस्थित थे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के प्रयागराज पहुंचने पर उन्हें भव्य स्वागत प्राप्त हुआ। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। उनके स्वागत के बाद राष्ट्रपति सीधे त्रिवेणी संगम पहुंचीं, जहां उन्होंने गंगा, यमुन और सरस्वती के संगम में डुबकी लगाई। यह एक ऐतिहासिक दृश्य था, जिसे देखने के लिए हजारों श्रद्धालु वहां एकत्रित हुए थे।

VIDEO | Maha Kumbh 2025: President Droupadi Murmu (@rashtrapatibhvn), along with UP Governor Anandiben Patel (@anandibenpatel) and CM Yogi Adityanath (@myogiadityanath) , boards a boat to reach Triveni Sangam, Prayagraj. #MahaKumbhWithPTI
(Full video available on PTI Videos -… pic.twitter.com/OXPatiiUAV
— Press Trust of India (@PTI_News) February 10, 2025

त्रिवेणी संगम में डुबकी और प्रार्थना
राष्ट्रपति मुर्मू ने त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान के बाद वहां खड़े होकर प्रार्थना भी की। संगम का पानी तीन पवित्र नदियों का संगम है और इसे हिन्दू धर्म में अत्यंत धार्मिक और पवित्र स्थान माना जाता है। राष्ट्रपति के संगम में डुबकी लगाने को श्रद्धालुओं ने एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में देखा, जिससे भारतीय संस्कृति और धर्म की जड़ें और मजबूत हुईं। उनके साथ राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस धार्मिक स्थल पर उपस्थित थे।
राष्ट्रपति के दौरे का महत्व
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के इस दौरे का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है। उन्होंने अपने इस कदम से ना केवल कुंभ मेले के महत्व को बढ़ाया बल्कि सनातन धर्म के प्रति अपनी आस्था भी प्रकट की। इससे यह संदेश भी गया कि भारतीय राजनीति के शीर्ष पद पर बैठी व्यक्ति भी भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ी हुई हैं। इस पवित्र अवसर पर राष्ट्रपति के साथ अन्य प्रमुख नेता भी मौजूद थे, जो इस ऐतिहासिक घड़ी को साझा करने के लिए संगम क्षेत्र में उपस्थित थे।
महाकुंभ मेला और इसका वैश्विक प्रभाव
महाकुंभ मेला, जो 13 जनवरी से शुरू हुआ, दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन माना जाता है। इस मेले में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक देश-विदेश से आते हैं। कुंभ मेला भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जो न केवल भारतीय बल्कि विदेशी श्रद्धालुओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना रहता है। इस साल कुंभ मेले का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर होगा।
कुंभ मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता और समृद्ध इतिहास को भी दर्शाता है। यहां पर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और साधु-संतों के प्रवचनों का आयोजन होता है, जो हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। मेला आयोजन में विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है कि यह एक पूरी तरह से सुरक्षित और व्यवस्थित आयोजन हो, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।
राष्ट्रपति का अन्य कार्यक्रम
राष्ट्रपति मुर्मू ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने के बाद ऐतिहासिक अक्षयवट और हनुमान मंदिर का भी दौरा किया। इसके अलावा, राष्ट्रपति ने डिजिटल कुंभ एक्सपीरियंस सेंटर का भी दौरा किया, जहां उन्होंने आधुनिक तकनीक के जरिए कुंभ मेले की दृश्यता और अनुभव को देखा। यह सेंटर श्रद्धालुओं और पर्यटकों को कुंभ मेला के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है और उन्हें इस विशाल आयोजन का डिजिटल अनुभव प्राप्त करने का मौका देता है।
कुंभ मेला और उत्तर प्रदेश सरकार
उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ मेले के आयोजन में उत्कृष्ट व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही इस आयोजन के महत्व को समझते हुए प्रशासनिक स्तर पर सभी आवश्यक कदम उठाए थे, ताकि कुंभ मेला के दौरान श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो। राज्य सरकार द्वारा आयोजित किए गए सुरक्षा उपायों और चिकित्सा सहायता के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।
इस आयोजन में लाखों लोग शामिल होते हैं, और यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि यह पर्यटन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर बन जाता है। इस बार के कुंभ मेले में विशेष ध्यान रखा गया है कि हर श्रद्धालु को अच्छे से अच्छे अनुभव मिले और साथ ही कुंभ के धार्मिक महत्व को डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से पूरी दुनिया तक पहुंचाया जा सके।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का प्रयागराज में कुंभ मेले में डुबकी लगाना और विभिन्न धार्मिक स्थलों का दौरा, न केवल भारत के धार्मिक धरोहर के प्रति उनकी आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की संस्कृति को सम्मानित करने का एक महत्वपूर्ण कदम भी है। महाकुंभ मेला एक वैश्विक स्तर पर भारत की धार्मिक पहचान को स्थापित करने वाला आयोजन है और इस प्रकार के आयोजनों से भारतीय संस्कृति को और भी व्यापक रूप से पहचान मिलती है।

