
400 Year Coins Found In Sambhal: उत्तर प्रदेश के संभल जिले के अलीपुर खुर्द गांव में खुदाई के दौरान एक ऐतिहासिक खजाना मिला है। यह खजाना उस समय सामने आया जब एसडीएम वंदना मिश्रा और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने प्राचीन धरोहरों की छानबीन की। इस खुदाई के दौरान जमीन के अंदर दबे एक मिट्टी के बर्तन से बेशकीमती सोने के सिक्के मिले। यह सिक्के ब्रिटिश काल के साथ-साथ उससे भी पुराने हैं। कुछ सिक्कों पर राम, लक्ष्मण और सीता की आकृतियां भी उकेरी गई थीं, जिससे यह कृतियां विशेष रूप से प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व की मानी जा रही हैं।
खुदाई में मिली प्राचीन सिक्कों की जानकारी
एसडीएम वंदना मिश्रा और एएसआई की टीम ने खुदाई के दौरान जिन सिक्कों की खोज की, उनमें ब्रिटिश काल के सिक्के भी शामिल थे। यह सिक्के 300-400 साल पुराने बताए जा रहे हैं, जो ब्रिटिश काल से पहले की समयावधि के प्रतीक हैं। खास बात यह है कि इन सिक्कों में राम, सीता और लक्ष्मण की आकृतियां उकेरी गई थीं, जो धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का प्रतीक हैं। इस क्षेत्र में यह सिक्के और अन्य प्राचीन वस्तुएं एक समय के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल का हिस्सा हो सकती हैं।

प्राचीन धरोहर का समृद्ध इतिहास
अलीपुर खुर्द गांव में मिली प्राचीन धरोहरों की खोज के बाद से क्षेत्र के इतिहास पर नए सिरे से चर्चा हो रही है। इस जगह को 1920 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित किया गया है। यह क्षेत्र पहले से ही एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में पहचाना जाता है। यहां पर पृथ्वीराज चौहान के समकालीन गुरु अमरपति के स्मारक स्थल के अवशेष मिले थे। इससे पहले इस क्षेत्र के आसपास के इलाके से कंकाल, शिला और अन्य पुरानी वस्तुएं भी प्राप्त हुई थीं। एसडीएम वंदना मिश्रा ने इस स्थल को एक आस्था स्थल के रूप में चिह्नित किया है।

सिक्कों के महत्व पर चर्चा
एसडीएम वंदना मिश्रा ने बताया कि उन्हें जिन सिक्कों की खोज हुई है, वे न केवल ब्रिटिश काल के हैं, बल्कि कुछ सिक्के उससे भी पहले के हैं। इन सिक्कों पर राम, सीता और लक्ष्मण की आकृतियां उकेरी गई हैं, जो इस स्थल की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वता को उजागर करती हैं। इससे साफ है कि इस क्षेत्र में प्राचीन काल में धार्मिक गतिविधियां और पूजा अर्चना का महत्व रहा होगा।
प्राचीन कंकाल और अन्य अवशेष
ग्रामीणों ने बताया कि इस स्थल पर एक समाधि भी थी, जो सोत नदी के किनारे स्थित थी। जब नदी के पानी के प्रभाव से मिट्टी कटने लगी, तो इस क्षेत्र से कई कंकाल, कमंडल और शिला जैसे अवशेष मिले। इन अवशेषों को अब संरक्षित किया गया है, ताकि आने वाली पीढ़ियां इनका ऐतिहासिक महत्व समझ सकें। यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह एक समृद्ध स्थल माना जा सकता है।
खुदाई से मिली ऐतिहासिक वस्तुओं की सुरक्षा
एसडीएम वंदना मिश्रा ने यह भी कहा कि इस क्षेत्र में मिली ऐतिहासिक वस्तुओं को संरक्षित किया जाएगा, ताकि इनका महत्व आने वाली पीढ़ियों तक पहुंच सके। इन वस्तुओं को संरक्षित करने के लिए प्रशासन और एएसआई की तरफ से विशेष प्रयास किए जाएंगे। इसके साथ ही, इस स्थल की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्वता को ध्यान में रखते हुए यहां पर और भी खोजबीन की योजना बनाई जा सकती है।
क्षेत्रीय समुदाय और स्थानीय इतिहास
गांववासियों ने भी इस स्थल से मिली प्राचीन वस्तुओं और सिक्कों को लेकर अपनी जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि इस इलाके में एक समय एक स्मारक था, जो सोत नदी के किनारे स्थित था। यह स्मारक धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, और यहां पर पूजा अर्चना की जाती थी। गांववासियों के अनुसार, इस क्षेत्र में और भी प्राचीन अवशेष हो सकते हैं, जिन्हें खुदाई के दौरान और अधिक खोजा जा सकता है।
संपूर्ण इतिहास और कनेक्शन
संबल जिले में मिली इस ऐतिहासिक खोज ने क्षेत्रीय इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है। यह इलाके के प्राचीन सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को दर्शाता है। राम, लक्ष्मण और सीता की नक्काशी वाले सिक्के और अन्य प्राचीन वस्तुएं इस बात का संकेत हैं कि इस क्षेत्र में प्राचीन काल में धार्मिक गतिविधियों का केंद्र था। इन वस्तुओं को संरक्षित कर यहां के इतिहास को समझने और सीखने का अवसर मिलेगा।
अलीपुर खुर्द गांव में हुई खुदाई ने इतिहासकारों और पुरातत्त्वज्ञों को हैरान कर दिया है। यहां मिली प्राचीन सिक्कों, कंकालों और अन्य अवशेषों ने इस क्षेत्र के प्राचीन इतिहास को और अधिक स्पष्ट किया है। इन प्राचीन धरोहरों को संरक्षित करके हम न केवल अपने इतिहास को समझ सकते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए इन्हें एक अमूल्य धरोहर भी बना सकते हैं।

