
Atul Subhash suicide case: बेंगलुरु में एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या मामले में आरोपी उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया, उनकी मां और भाई को कोर्ट ने जमानत दे दी है। इस मामले में अतुल के भाई विकास मोदी ने बातचीत में कई सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि उन्हें अभी तक अदालत के आदेश की कॉपी नहीं मिली है, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि जमानत किस आधार पर दी गई।
10-15 बिंदुओं पर आपत्ति
विकास मोदी ने कहा कि निकिता और अन्य आरोपियों को शनिवार को जमानत मिली है। उन्होंने बताया कि हमने 10-15 बिंदुओं पर आपत्ति जताई थी, जिनमें से कुछ बहुत मजबूत थे। हालांकि, अदालत ने इनमें से किन बिंदुओं को माना और किन्हें खारिज किया, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है।

न्याय की उम्मीद नहीं हुई तो जाएंगे सुप्रीम कोर्ट
विकास मोदी ने कहा कि वे इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट जाएंगे और वहां से भी न्याय नहीं मिला तो सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। उन्होंने जरूरत पड़ने पर प्रदर्शन करने की भी बात कही।

बच्चे को लेकर बड़ा खुलासा
विकास ने अतुल सुभाष के बच्चे को लेकर बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि कर्नाटक पुलिस ने बच्चे की कस्टडी पर जवाब दिया है। जानकारी के मुताबिक, बच्चा फरीदाबाद के सत्युग दर्शन विद्यालय में बोर्डिंग स्कूल में रह रहा है। उसे 17 जनवरी 2024 को वहां दाखिला दिलाया गया था। तब वह चार साल का भी नहीं था। स्कूल में दाखिले के फॉर्म में पिता का नाम दर्ज नहीं है।
माता-पिता के हस्ताक्षर नहीं
दावा किया गया है कि स्कूल के दाखिले के फॉर्म में माता-पिता के हस्ताक्षर नहीं हैं। यह भी सामने आया कि यह दाखिला आत्महत्या और गिरफ्तारी के बीच नहीं, बल्कि पैसे देकर पहले ही किया गया था। विकास ने कहा कि भारतीय मांएं अक्सर बच्चों की परवरिश के लिए नौकरी छोड़ देती हैं, लेकिन यहां बच्चे को एक साधन के रूप में इस्तेमाल किया गया। बच्चे को न तो पिता का प्यार मिला और न ही मां का।
सरकार कब जागेगी?
विकास मोदी ने कहा कि अतुल सुभाष जैसे मामले लगातार होते रहेंगे और सरकार तब भी नहीं जागेगी। उन्होंने कहा कि पुरुषों को झूठे मामलों में फंसाने की घटनाओं के समाधान के लिए सरकार को कोई ठोस कदम उठाना होगा। उन्होंने कहा कि हाल ही में दिल्ली में भी किसी ने आत्महत्या की है।
पुरुषों के लिए न्याय प्रक्रिया की जरूरत
विकास ने यह भी सवाल उठाया कि देश में पुरुषों के लिए न्याय की प्रक्रिया कब शुरू होगी। उन्होंने कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे और मामले सामने आते रहेंगे। उन्होंने सरकार से अपील की कि पुरुषों के अधिकारों और उनके लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएं।
यह मामला सिर्फ एक परिवार की त्रासदी तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज और कानून व्यवस्था से जुड़े बड़े सवाल खड़े करता है। सरकार और समाज को मिलकर ऐसे मामलों के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

