
Christmas हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है और यह दिन बच्चों के लिए बहुत खास होता है क्योंकि इस दिन बच्चे सांता क्लॉस का इंतजार करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि क्रिसमस की शुरुआत कहां से हुई थी? माना जाता है कि क्रिसमस सबसे पहले चौथी शताब्दी में मनाया गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, क्रिसमस की शुरुआत रोम (इटली) से हुई थी। तो चलिए, हम जानते हैं इस त्यौहार के इतिहास के बारे में।
25 दिसंबर का इतिहास
क्रिसमस सबसे पहले ईसाई रोमन सम्राट कांसटेंटाइन के शासनकाल के दौरान मनाया गया था। जानकारी के अनुसार, पोप जूलियस ने आधिकारिक रूप से 25 दिसंबर को यीशु मसीह का जन्मदिन मनाने का निर्णय लिया था। इसके बाद से यह परंपरा चली आ रही है कि 25 दिसंबर को यीशु मसीह का जन्म दिन मनाया जाता है। इस दिन को ईसाई धर्म के अनुयायी बड़े धूमधाम से मनाते हैं और विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।

क्रिसमस के दिन, चर्चों में विशेष प्रार्थना आयोजित की जाती है और दुनिया भर के लोग इस दिन को उत्सव के रूप में मनाते हैं। ईसाई धर्म के अनुयायी यीशु मसीह के जीवन और उपदेशों का सम्मान करते हुए इस दिन को धार्मिक अनुष्ठानों और दान-पुण्य के कार्यों से मनाते हैं।

सांता क्लॉस का इतिहास
अब बात करते हैं क्रिसमस के सबसे खास पात्र, सांता क्लॉस की। सांता क्लॉस का पात्र एक बिशप, संत निकोलस से उत्पन्न हुआ है। संत निकोलस अपने समय के प्रसिद्ध बिशप थे और वे अपनी दया और उदारता के लिए जाने जाते थे। वे गरीबों को तोहफे देते थे और कहा जाता है कि यही कारण था कि तोहफे देने की परंपरा की शुरुआत हुई।
संत निकोलस के बारे में कहा जाता है कि वे बहुत दयालु और अच्छे दिल वाले व्यक्ति थे। वे अपनी संपत्ति का अधिकांश हिस्सा गरीबों में बांटते थे और विशेष रूप से बच्चों को गिफ्ट्स देते थे। संत निकोलस की दया और उदारता ने उन्हें पूरे यूरोप में प्रसिद्ध किया और उनके बारे में कई किंवदंतियां बनीं।
सांता क्लॉस का घर
सांता क्लॉस के बारे में यह भी कहा जाता है कि उनका घर फिनलैंड में है। फिनलैंड के रॉवानीमी शहर को सांता क्लॉस का घर माना जाता है और यहां हर साल हजारों पर्यटक सांता क्लॉस से मिलने आते हैं। रॉवानीमी को “सांता क्लॉस विलेज” के नाम से भी जाना जाता है, जहां हर साल दिसंबर के महीने में लाखों लोग सांता क्लॉस के साथ वक्त बिताने के लिए आते हैं।
रॉवानीमी के इस शहर को सांता क्लॉस का असली घर माना जाता है, जहां सांता क्लॉस का कार्यालय और उनके प्रसिद्ध “पोस्ट ऑफिस” भी है, जिसमें दुनिया भर के बच्चों के पत्र पहुंचते हैं। यहां एक विशेष आकर्षण है, जहां पर्यटक सांता क्लॉस के साथ तस्वीरें खींच सकते हैं और उनके साथ विभिन्न गतिविधियों में भाग ले सकते हैं।
बच्चों द्वारा लिखे गए पत्र
हर साल हजारों बच्चे सांता क्लॉस को पत्र लिखते हैं, जिनमें वे अपनी इच्छाएं और क्रिसमस के तोहफों की लिस्ट भेजते हैं। इन पत्रों में बच्चे सांता से कई प्रकार के गिफ्ट्स की उम्मीद करते हैं, जैसे खिलौने, किताबें, और कभी-कभी ऐसे अनोखे तोहफे भी जो उनके दिल की सबसे बड़ी ख्वाहिश होते हैं। बच्चों का विश्वास होता है कि सांता क्लॉस उनके द्वारा भेजे गए पत्रों के अनुसार गिफ्ट्स लेकर क्रिसमस की रात उनके घर के पास क्रिसमस ट्री के नीचे छोड़ जाते हैं।
बच्चे इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं और यह मानते हैं कि सांता क्लॉस रात के समय अपनी गाड़ी में उड़ते हुए, अपने झूले की तरह एक बड़े बैग में तोहफे लेकर आते हैं। बच्चों का यह मानना है कि सांता क्लॉस बड़े धूमधाम से, अपनी बर्फ से ढकी दुनिया से आते हैं और एक बार फिर बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाते हैं।
सांता क्लॉस के साथ क्रिसमस का जश्न
क्रिसमस की रात को दुनिया भर में लोग क्रिसमस ट्री को सजाते हैं, उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर यह खुशी मनाते हैं। क्रिसमस के इस खास दिन को मनाने के लिए कई देशों में छुट्टियां होती हैं और यह दिन परिवार के साथ बिताने के लिए आदर्श समय होता है। बच्चों के लिए यह दिन बहुत ही खास होता है क्योंकि वे सांता क्लॉस से मिलने और गिफ्ट्स पाने के लिए उत्साहित रहते हैं।
क्रिसमस का त्योहार न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और पारिवारिक पर्व भी है। यह दिन प्रेम, खुशी, और दया का प्रतीक बनकर दुनिया भर में मनाया जाता है। सांता क्लॉस का किरदार बच्चों के लिए उत्साह और उम्मीदों से भरा हुआ होता है, और हर साल यह त्योहार बच्चों और बड़े सभी के चेहरों पर मुस्कान लेकर आता है। चाहे आप इसे धार्मिक रूप से मनाते हों या बस एक परिवारिक उत्सव के रूप में, क्रिसमस हर किसी के जीवन में आनंद और प्रेम का संचार करता है।

