
Delhi news: दिल्ली सरकार द्वारा घोषित ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान’ और ‘संजीवनी योजना’ को लेकर इन दिनों एक बड़ा विवाद सामने आया है। दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग ने सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट किया है कि ये योजनाएं अभी तक लागू नहीं हुई हैं और किसी भी राजनीतिक पार्टी या निजी व्यक्ति द्वारा इन योजनाओं का प्रचार करना या लोगों से आवेदन पत्र लेना धोखाधड़ी है। आइए जानते हैं इस विवाद के प्रमुख पहलुओं के बारे में।
मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना का विवाद
‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ का दावा दिल्ली में एक राजनीतिक पार्टी द्वारा किया जा रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि दिल्ली की महिलाओं को प्रति माह 2100 रुपये दिए जाएंगे। इस पर दिल्ली सरकार के महिला और बाल विकास विभाग ने स्पष्ट किया है कि ऐसी कोई योजना अभी तक सरकार द्वारा अधिसूचित नहीं की गई है। विभाग ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर कहा है कि मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस योजना के बारे में जानकारी दी जा रही है, लेकिन यह पूरी तरह से गलत है।

महिला और बाल विकास विभाग ने कहा कि इस प्रकार की कोई योजना न तो वर्तमान में लागू है और न ही इसे लागू करने की कोई सूचना दी गई है। विभाग ने आगे कहा कि कोई भी व्यक्ति या राजनीतिक पार्टी जो इस योजना के नाम पर आवेदन फॉर्म एकत्रित कर रहा है, वह धोखाधड़ी कर रहा है और इसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने लोगों से अपील की कि वे ऐसी किसी भी योजना में शामिल न हों, जो गैर-आधिकारिक हो।

In a public notice, the Women and Child Development Department, Delhi Government has said that it received information through media reports and social media posts that a political party is claiming to give Rs 2100 per month to the women of Delhi under the ‘Mukhyamantri Mahila… pic.twitter.com/HLG4JMqY7s
— ANI (@ANI) December 25, 2024
संजीवनी योजना का विवाद
दूसरी ओर, दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने भी एक अन्य योजना को लेकर चेतावनी जारी की है, जिसका नाम ‘संजीवनी योजना’ बताया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह योजना बुजुर्गों को दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज प्रदान करने का दावा कर रही है। इस योजना में कहा जा रहा है कि दिल्ली में 60 साल से ऊपर के सभी नागरिकों को इस योजना के तहत इलाज मिलेगा, चाहे उनकी आय कितनी भी हो।
स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया कि इस नाम की कोई योजना दिल्ली सरकार द्वारा नहीं बनाई गई है। विभाग ने कहा कि ऐसी योजना के बारे में जो जानकारी प्रचारित की जा रही है, वह पूरी तरह से गलत है और यह किसी भी सरकारी विभाग द्वारा शुरू नहीं की गई है। साथ ही, यह भी कहा गया कि जो लोग या राजनीतिक कार्यकर्ता इस योजना के तहत बुजुर्गों से व्यक्तिगत जानकारी जैसे फोन नंबर, पता, आधार कार्ड और बैंक खाता विवरण मांग रहे हैं, वे धोखाधड़ी कर रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने आगे कहा कि न तो विभाग ने कभी इस प्रकार की योजना को अधिसूचित किया है, न ही किसी अधिकारी या अन्य व्यक्ति को इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन फॉर्म एकत्रित करने का अधिकार दिया है। विभाग ने लोगों से यह अपील की कि वे इस प्रकार के फर्जी वादों पर विश्वास न करें और किसी भी व्यक्ति या राजनीतिक पार्टी द्वारा इस योजना के नाम पर एकत्रित किए जा रहे व्यक्तिगत जानकारी से सावधान रहें।
धोखाधड़ी से बचने के उपाय
यह विवाद दिल्ली में चल रही राजनीतिक गतिविधियों के बीच एक नई चर्चा का विषय बन चुका है। ऐसी स्थितियों में लोगों को समझना होगा कि सरकारी योजनाओं और योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने का एक अधिकृत तरीका होता है। किसी भी योजना के तहत सरकारी विभाग की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया जाता है, और यह जानकारी आमतौर पर राष्ट्रीय समाचार पत्रों, सरकारी वेबसाइटों और अन्य आधिकारिक चैनलों के माध्यम से दी जाती है।
इस प्रकार के फर्जी वादों और धोखाधड़ी से बचने के लिए नागरिकों को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- सरकारी नोटिफिकेशन देखें: किसी भी योजना के बारे में जानकारी प्राप्त करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि संबंधित विभाग ने उसे अधिसूचित किया है या नहीं।
- व्यक्तिगत जानकारी न दें: किसी भी व्यक्ति या पार्टी से, विशेष रूप से निजी जानकारी जैसे आधार कार्ड, बैंक खाता नंबर या फोन नंबर मांगने पर सतर्क रहें।
- धोखाधड़ी से बचें: किसी भी योजना में नामांकन या रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन या भौतिक रूप से आवेदन करने से पहले उसकी वैधता की पुष्टि करें।
- आधिकारिक स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें: किसी योजना के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए संबंधित सरकारी विभाग की वेबसाइट या हेल्पलाइन का उपयोग करें।
राजनीतिक विवाद का असर
यह विवाद दिल्ली में अगले विधानसभा चुनावों और अन्य राजनीतिक गतिविधियों के बीच एक नया मोड़ ले सकता है। दिल्ली सरकार द्वारा इन योजनाओं के बारे में खंडन के बावजूद, राजनीतिक पार्टियां इसे अपने प्रचार का हिस्सा बना सकती हैं। यह आरोप भी लग सकते हैं कि विपक्षी दल जनता को गुमराह कर रहे हैं, जिससे चुनावी माहौल में उबाल आ सकता है।
इस विवाद ने यह भी साबित किया कि चुनावी प्रचार में कोई भी रणनीति अपनाई जा सकती है, लेकिन यदि वह धोखाधड़ी पर आधारित हो तो उसका परिणाम सार्वजनिक विश्वास की हानि के रूप में सामने आता है। इससे दिल्ली की जनता को यह सीखने को मिलता है कि किसी भी योजना के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने से पहले उसे सटीक और आधिकारिक स्रोत से प्रमाणित करना आवश्यक है।
‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ और ‘संजीवनी योजना’ पर आए इस विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिना किसी सरकारी अधिसूचना के चलाए जा रहे योजनाओं के बारे में आम जनता को सतर्क रहना चाहिए। सरकारी विभागों ने अपने संबंधित नोटिस में कहा है कि जो भी इन योजनाओं के नाम पर जानकारी एकत्रित कर रहे हैं, वे धोखाधड़ी कर रहे हैं और उन्हें इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। ऐसे में, नागरिकों को अपनी सुरक्षा के लिए अधिकारियों द्वारा घोषित योजनाओं पर ही विश्वास करना चाहिए और बिना प्रमाण के किसी भी प्रकार के प्रचार या फर्जी आवेदन से बचना चाहिए।

