
Farmers protest: ग्रेटर नोएडा में किसानों का विरोध प्रदर्शन और तेज हो गया है, जब पुलिस ने बिना अनुमति के प्रदर्शन करने जा रहे 34 किसानों को गिरफ्तार कर लिया। ये किसान नोएडा के राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल की ओर जा रहे थे, जहां वे धरना देने का इरादा रखते थे। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए किसानों को हिरासत में लिया और विरोध स्थल से उन्हें हटा दिया। इसके साथ ही, ग्रेटर नोएडा में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, ताकि कोई अनहोनी न हो।
किसानों का दलित प्रेरणा स्थल पर विरोध
किसानों ने 2 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) के तहत नोएडा के राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर विरोध प्रदर्शन किया था। उस दौरान भी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था और स्थान को खाली करवा लिया था। इसके बाद किसानों ने फिर से दलित प्रेरणा स्थल पर विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई और बिना अनुमति के विरोध स्थल की ओर बढ़ने लगे। इसी क्रम में पुलिस ने 34 किसानों को गिरफ्तार किया और उन्हें विभिन्न थानों में ले जाकर हिरासत में लिया।


बढ़ी हुई सुरक्षा व्यवस्था
पुलिस की कार्रवाई के बाद ग्रेटर नोएडा में सुरक्षा को और कड़ा किया गया है। यहां के प्रमुख स्थानों पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। प्रशासन ने किसानों के आंदोलनों और प्रदर्शनों को देखते हुए एहतियाती कदम उठाए हैं ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो। इसके बावजूद, किसानों की मुख्य मांगें अब भी बरकरार हैं और उनका आंदोलन जारी रहेगा।
किसानों की अडिग स्थिति
किसान नेता यह कह रहे हैं कि वे अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं और उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। किसानों का कहना है कि उन्हें दलित प्रेरणा स्थल पर बैठने की अनुमति नहीं दी जा रही, जबकि उनका यह आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण है। बुधवार की रात भी किसानों ने विरोध किया और ज़ीरो प्वाइंट पर डटे रहे। उनकी मुख्य मांग है कि सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान करें और MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) बढ़ाने सहित अन्य वादों को पूरा करें।
गिरफ्तारी के बाद किसानों को मिली रिहाई
मंगलवार को गिरफ्तार किए गए किसानों में से कुछ को बुधवार शाम को पुलिस ने रिहा कर दिया। इनमें वृद्ध, महिलाएं और बीमार लोग शामिल थे। उन्हें जमानत पर रिहा किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने इस गिरफ्तारी को किसान विरोधी कदम बताया और आरोप लगाया कि सरकार किसानों की आवाज को दबाना चाहती है। रिहा हुए कई किसान नेताओं ने ग्रेटर नोएडा के ज़ीरो प्वाइंट पर किसान पंचायत में भाग लिया और आंदोलन को जारी रखने का संकल्प लिया।
राजनीतिक हलचल में इज़ाफा
किसानों के इस आंदोलन को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। बुधवार को कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाया और सरकार पर आरोप लगाए। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने सवाल पूछा कि सरकार कब किसानों के MSP बढ़ाने का वादा पूरा करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने न केवल इस वादे को नजरअंदाज किया है, बल्कि किसानों के लिए किए गए अन्य वादों को भी पूरा नहीं किया। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ाने का प्रयास किया।
कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि किसानों के आंदोलन को नजरअंदाज करना सरकार की गलत नीति का हिस्सा है और इसका दूरगामी असर पूरे देश पर पड़ेगा। उनके अनुसार, किसान अब अपनी समस्याओं के समाधान के लिए सड़कों पर आ रहे हैं और सरकार को इन मुद्दों का हल निकालने के लिए जल्द कदम उठाने चाहिए।
सरकार का किसानों के मुद्दों पर रुख
सरकार ने किसानों के विरोध को लेकर अपना पक्ष स्पष्ट किया है। सरकार का कहना है कि किसानों के मुद्दों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है और कई कदम उठाए गए हैं ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके। सरकार ने MSP बढ़ाने की प्रक्रिया को भी जारी रखने की बात कही है, लेकिन कुछ मांगों को लेकर बातचीत जारी है।
सरकार ने आंदोलन के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा या अव्यवस्था से बचने की अपील की है। पुलिस ने भी कहा है कि शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन यदि कानून और व्यवस्था में कोई समस्या उत्पन्न होती है तो कठोर कदम उठाए जाएंगे।
किसानों की मुख्य मांगें
किसानों की मुख्य मांगों में MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) में बढ़ोतरी, फसलों की सही कीमत, कृषि कानूनों को लेकर सरकार से किए गए वादों का पालन और किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों की वापसी शामिल हैं। इसके अलावा, वे सरकार से कृषि कानूनों को लेकर किए गए वादों को पूरा करने की उम्मीद लगाए बैठे हैं, जिनके खिलाफ उन्होंने देशभर में आंदोलन किया था।
किसान नेताओं का कहना है कि उनकी सरकार से यही मुख्य मांगें हैं और जब तक इन पर उचित समाधान नहीं मिलता, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
किसानों का आंदोलन: भविष्य क्या होगा?
ग्रेटर नोएडा में किसानों का विरोध और पुलिस की कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसानों की समस्याएं अभी भी अनसुलझी हैं और उनका आंदोलन जारी रहेगा। सरकार और किसानों के बीच बातचीत का दौर जारी है, लेकिन यदि जल्दी समाधान नहीं निकला तो आंदोलन और तेज हो सकता है।
किसान नेताओं और विपक्षी दलों द्वारा सरकार पर दबाव बढ़ाया जा रहा है, जबकि सरकार का कहना है कि किसानों की समस्याओं का समाधान निकाला जा रहा है। अब यह देखना होगा कि आने वाले समय में इस मुद्दे पर क्या नया मोड़ आता है।
यह मुद्दा किसानों के जीवन और उनके भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, और यह केवल कृषि से जुड़े लोग नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक अहम सवाल बन चुका है। सरकार और किसानों के बीच अगर शीघ्र समाधान नहीं निकला, तो यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।

