
Gautam Adani Bribery Case: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी ने बिजनेस टाइकून गौतम अडानी पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने हाल ही में एक खबर का लिंक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर शेयर किया और लिखा, “अब इस मामले की जांच जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) से होनी चाहिए।”
मनीष तिवारी ने आगे कहा, “भारतीय अरबपति गौतम अडानी और अन्य अधिकारियों पर भारतीय सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से अधिक की रिश्वत और धोखाधड़ी करने का आरोप है, और इसे अमेरिकी निवेशकों से छिपाया गया।”

क्या है पूरा मामला?
गौतम अडानी सहित सात लोगों पर न्यूयॉर्क की एक अदालत में 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। इन सात लोगों में गौतम अडानी के साथ-साथ अन्य अधिकारी भी शामिल हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने अधिकारियों को रिश्वत देने के बदले अगले 2 बिलियन डॉलर के सोलर पावर प्लांट प्रोजेक्ट को सुरक्षित करने के लिए यह रकम दी।

अडानी ग्रुप पर अमेरिकी जांच
न्यूयॉर्क के अभियोजकों ने आरोप लगाया है कि गौतम अडानी और अन्य अधिकारियों ने अमेरिकी निवेशकों से पैसे जुटाने के प्रयासों के दौरान झूठ बोला। अडानी ग्रुप कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सागर अडानी और एमडी-सीईओ नवीत जैन पर अमेरिकी कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी एसईसी (Securities and Exchange Commission) अधिकारियों की जांच चल रही थी कि क्या अडानी ग्रुप ने इस प्रोजेक्ट को सुरक्षित करने के लिए रिश्वत दी थी।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने मचाई थी हलचल
पिछले साल, हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप के लिए भारी संकट खड़ा कर दिया था। इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों पर अनुचित प्रथाओं और शेयरों की हेराफेरी का आरोप लगाया गया था। इसके बाद, अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई और उनका कुल बाजार मूल्य करीब 150 बिलियन डॉलर कम हो गया। इसके साथ ही, कंपनी को अडानी एंटरप्राइजेज का 20,000 करोड़ रुपये का एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) वापस लेना पड़ा था।
मनीष तिवारी ने उठाए गंभीर सवाल
मनीष तिवारी ने इस मामले को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह आरोप बहुत गंभीर हैं और इस पर पूरी तरह से पारदर्शी जांच होनी चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इस मामले की जांच एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा होनी चाहिए ताकि सभी तथ्यों का खुलासा हो सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है।
तिवारी ने यह भी कहा कि यदि इस मामले में जांच की जाती है तो यह पूरे देश के लिए एक बड़ा उदाहरण बनेगा, जिसमें यह साबित हो सकेगा कि किसी भी बड़े व्यक्ति या उद्योगपति को कानून से बाहर नहीं छोड़ा जा सकता।
अडानी ग्रुप के खिलाफ और क्या हो रहे हैं आरोप?
अडानी ग्रुप के खिलाफ कई तरह के आरोप पहले भी लग चुके हैं। हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने इसके कारोबार के पारदर्शिता पर सवाल उठाए थे, वहीं अब अमेरिका में चल रही जांच में भी अडानी ग्रुप की वित्तीय गतिविधियों और उनके अमेरिकी निवेशकों से संबंधित लेन-देन को लेकर गहरे सवाल खड़े हो रहे हैं। आरोप हैं कि अडानी ग्रुप ने अमेरिकी निवेशकों से पैसे जुटाने के लिए धोखाधड़ी की और कुछ अधिकारियों को रिश्वत दी, ताकि वे एक बड़े सोलर पावर प्रोजेक्ट को सुरक्षित कर सकें।
कांग्रेस पार्टी का रुख
कांग्रेस पार्टी ने अडानी के खिलाफ उठ रहे आरोपों को लेकर कई बार सरकार से सवाल किए हैं। मनीष तिवारी ने भी अपनी हालिया टिप्पणी में कहा कि इस मामले को लेकर जांच होनी चाहिए और यह जांच पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि सरकार को इस मुद्दे पर चुप्पी नहीं साधनी चाहिए और इसे सही तरीके से निपटाना चाहिए।
गौतम अडानी और उनके समूह के खिलाफ अमेरिकी अदालत में उठ रहे आरोप गंभीर हैं। मनीष तिवारी का यह बयान इस बात को दर्शाता है कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को लेकर सजग है और इस पर पूरी जांच की मांग कर रही है। यह मामला अब भारतीय राजनीति और व्यवसाय जगत में एक बड़ा सवाल बन चुका है। यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई की जाती है और क्या जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की जांच इस मामले में नया मोड़ ला पाएगी।

