भारत-रूस व्यापार के नए आयाम, S Jaishankar ने बताईं ध्यान देने वाली 10 बातें
S Jaishankar ने बताईं ध्यान देने वाली बातें: भारत और रूस के बीच व्यापार संबंधों में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, लेकिन इसके साथ ही कुछ गंभीर चिंताएँ भी सामने आई हैं। विशेष रूप से व्यापार घाटे में लगातार वृद्धि और स्थानीय मुद्रा (रुपया और रूबल) में व्यापार के समाधान पर जोर दिया जा रहा है। भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए मंगलवार को नई दिल्ली में इंटरगवर्नमेंटल कमीशन ऑन ट्रेड, इकोनॉमिक, टेक्नोलॉजी, साइंस और कल्चर की 25वीं बैठक आयोजित होने जा रही है। इस बैठक में, भारत की तरफ से व्यापार घाटे के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा, साथ ही द्विपक्षीय व्यापार को स्थानीय मुद्रा में करने पर भी जोर दिया जाएगा।
व्यापार घाटे में वृद्धि
भारत और रूस के बीच व्यापार घाटा विशेष रूप से बढ़ता जा रहा है, जो 2023-24 में 57 अरब डॉलर तक पहुँच गया है। रूस से अधिक तेल खरीदने के कारण भारत का व्यापार घाटा बढ़ा है। भारत का यह डर है कि यदि 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य प्राप्त किया जाता है, तो व्यापार घाटा और भी बढ़ सकता है। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि दोनों देशों के बीच व्यापार को संतुलित किया जाए, ताकि व्यापार घाटा कम किया जा सके।
एस जयशंकर का बयान
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को इंडिया-रूस बिजनेस फोरम की बैठक में इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वर्तमान माहौल में भारत और रूस के बीच व्यापार को स्थानीय मुद्रा (रुपया और रूबल) में करना अत्यंत आवश्यक है। यह कदम न केवल व्यापार घाटे को नियंत्रित करेगा, बल्कि दोनों देशों के बीच वित्तीय लेन-देन को भी सुलभ बनाएगा। इस बैठक में रूस के पहले उप विदेश मंत्री डेनिस मंटुरोव भी उपस्थित थे।
भारत-रूस व्यापार सहयोग की संभावनाएँ
जयशंकर ने यह भी कहा कि 2022 के बाद से रूस ने एशिया की ओर अधिक ध्यान देना शुरू किया है, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग के नए आयाम खुल रहे हैं। उन्होंने भारत और रूस के बीच गहरे मित्रवत संबंधों की बात की और कहा कि भारत, जो लगातार 8 प्रतिशत की विकास दर प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है, और रूस, जो प्राकृतिक संसाधनों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, दोनों देशों का सहयोग न केवल उनके लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद होगा।
100 अरब डॉलर के व्यापार का लक्ष्य
जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार का वर्तमान मूल्य 66 अरब डॉलर है, जिसे 2030 तक 100 अरब डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है, जिनमें व्यापार घाटे को कम करना, गैर-टैरिफ बाधाओं और नियामक अड़चनों को दूर करना शामिल है।
व्यापारिक संधियों का समापन
भारत और रूस के बीच व्यापार को और मजबूत करने के लिए कई व्यापारिक संधियाँ और समझौते किए जा रहे हैं। इनमें प्रमुख हैं – भारतीय और यूरोशिया आर्थिक क्षेत्र के बीच व्यापार समझौता, और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि। इन संधियों को जल्द से जल्द पूरा किया जाना आवश्यक है, ताकि व्यापार संबंधों में और अधिक मजबूती आए।
स्थानीय मुद्रा में व्यापार
भारत और रूस के बीच स्थानीय मुद्रा में व्यापार को लेकर चर्चा लंबे समय से जारी है। हालांकि, इस संबंध में अभी तक कोई ठोस सफलता नहीं मिली है। कुछ रूसी कंपनियाँ रुपये में भुगतान स्वीकार कर रही हैं, लेकिन अधिकांश कंपनियाँ इस व्यवस्था में अनिच्छुक हैं। रूस का भारत से आयात बहुत कम है, जिससे रुपये में किए गए भुगतान का उपयोग रूस में नहीं हो पा रहा है। यही कारण है कि और भी रूसी कंपनियाँ रुपये में व्यापार करने में हिचकिचा रही हैं।
रूस के कंपनियों की हिचकिचाहट
रूस की कंपनियाँ रुपये में व्यापार करने के प्रति संकोच कर रही हैं क्योंकि उन्हें यह लगता है कि यह उनके लिए फायदेमंद नहीं होगा। हालांकि, भारत और रूस की सरकारें इस मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रयासरत हैं। दोनों देशों के केंद्रीय बैंक इस पर विचार कर रहे हैं कि किस तरह से इस प्रणाली को बेहतर किया जा सकता है ताकि व्यापार को स्थानीय मुद्रा में बढ़ावा मिल सके।
व्यापारिक संतुलन की आवश्यकता
दोनों देशों के बीच व्यापार को स्थिर और संतुलित बनाए रखने के लिए जरूरी है कि व्यापार घाटे को कम किया जाए। एस जयशंकर ने इस बारे में भी कहा कि भारत और रूस के व्यापार में असंतुलन है, जो एकतरफा है। इससे दोनों देशों के लिए दीर्घकालिक व्यापारिक साझेदारी की राह में रुकावटें उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, व्यापारिक संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग
भारत और रूस के बीच ऊर्जा क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण सहयोग है। रूस भारत को ऊर्जा संसाधनों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, और दोनों देशों के बीच ऊर्जा व्यापार में वृद्धि देखी जा रही है। विशेष रूप से तेल और गैस के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी दोनों देशों के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उनके आर्थिक विकास में भी सहारा मिलेगा।
भविष्य में अवसर
भारत और रूस के बीच व्यापार को और बढ़ावा देने के लिए कई अवसर हैं। दोनों देशों के बीच अधिक संवाद और समझौते व्यापार को सुगम और लाभकारी बनाएंगे। इसके साथ ही, दोनों देशों को एक-दूसरे के बाजारों तक पहुंच बढ़ाने और स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित करने की दिशा में काम करना होगा। इससे न केवल दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
भारत और रूस के बीच व्यापार में वृद्धि हो रही है, लेकिन इसके साथ ही व्यापार घाटे और स्थानीय मुद्रा में व्यापार के मुद्दे भी सामने आ रहे हैं। इन समस्याओं को हल करने के लिए दोनों देशों को मिलकर काम करना होगा। एस जयशंकर ने इस दिशा में जो कदम उठाए हैं, वे निश्चित रूप से भारत और रूस के व्यापारिक रिश्तों को और मजबूत करेंगे।