देश के सेना प्रमुख General Upendra Dwivedi ने आतंकवाद को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आतंकवादी और आतंकवाद के आकाओं को वे एक समान मानते हैं और जो भी देश में आतंकवाद को बढ़ावा देगा, उसे कड़ा जवाब मिलेगा। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान को लेकर भी महत्वपूर्ण बातें कहीं। जनरल द्विवेदी ने चाणक्य डिफेंस डायलॉग में बताया कि “सिंदूर 2 नई चेतावनी है। पानी और खून एक साथ नहीं चल सकता।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत किसी भी तरह के ब्लैकमेल से नहीं डरेगा और ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक ट्रेलर था जो 88 घंटे में खत्म कर दिया गया।
पाकिस्तान को दी कड़ी चेतावनी, शांति की अपील भी की
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पाकिस्तान के लिए कहा कि यह देश भारत के लिए हमेशा एक बड़ा चुनौती रहेगा। उन्होंने पाकिस्तान से शांति प्रक्रिया अपनाने की अपील करते हुए स्पष्ट किया कि अगर पाकिस्तान भारत को ब्लैकमेल करने की कोशिश करता है, तो भारत कभी नहीं झुकेगा। ऑपरेशन सिंदूर को उन्होंने एक ट्रेलर बताया जो बेहद सख्ती से समाप्त किया गया। उनका मानना है कि हर स्तर पर समय पर सही कार्रवाई करना आवश्यक है और सैन्य इंटीग्रेशन जितना जल्दी होगा, उतनी ही तेजी से भारत जवाब दे सकेगा।
चीन सीमा पर सुधार और संवाद का महत्व
सेना प्रमुख ने चीन सीमा पर हुए सुधारों और डायलॉग की भी बात की। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में दोनों देशों के बीच कई सुधार हुए हैं और बातचीत बढ़ी है। रक्षा मंत्री के दौरे के दौरान दोनों पक्षों ने सीमा पर संवाद बढ़ाने के फायदे स्वीकार किए हैं। उन्होंने कहा कि अब हमें यह फैसला लेना होगा कि सीमा विवादों को लेकर किस दिशा में आगे बढ़ना है ताकि दोनों देशों के बीच स्थिरता बनी रहे।
जम्मू-कश्मीर में बदलाव और विकास की झलक
जनरल द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वहां के लोग अब भारत के दूसरे हिस्सों में जाना चाहते हैं और काम करना चाहते हैं। कई लोग, जो पहले वहां की परिस्थितियों के कारण बाहर चले गए थे, अब वापस जाकर अपना कर्तव्य निभाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर में राजनीतिक स्पष्टता आई है, और वहां अब कॉलेज, आईआईटी और आईआईएम खुल रहे हैं। साथ ही आतंकवाद में भारी कमी आई है, जिसमें 31 आतंकवादी मारे गए हैं, जिनमें 21 पाकिस्तानी थे।
पड़ोसी देशों की स्थिति और म्यांमार में शरणार्थी संकट
सेना प्रमुख ने म्यांमार में हाल ही में उत्पन्न हुई समस्याओं पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों की समस्याएं सीधे भारत को प्रभावित करती हैं। म्यांमार की स्थिति खराब होने से वहां के लोग शरणार्थी बनकर भारत आए हैं। भारत सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए कूटनीतिक सहयोग कर रही है ताकि शरणार्थी स्वेच्छा से अपने देश लौट सकें।



