Uttar Pradesh weather: प्रदेश में मौसम ने अब अपना मिजाज बदलना शुरू कर दिया है। पूर्वी दिशा और बंगाल की खाड़ी से आ रही नम हवा तथा आसमान में ऊंचे बादलों के कारण न्यूनतम तापमान सामान्य से डेढ़ डिग्री अधिक बना हुआ है, जबकि अधिकतम तापमान में मामूली गिरावट आई है। यूपी के मौसम विभाग के अनुसार अब कई जिलों में पारा धीरे-धीरे गिरने लगेगा। आगरा, कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर, प्रयागराज, अयोध्या, मथुरा और काशी जैसे कई प्रमुख शहरों में तापमान में गिरावट देखी जाएगी। हालांकि, ऊंचे बादलों के कारण रात का तापमान कुछ हद तक बना रहेगा।
रात का तापमान कल से हो सकता है गिरावट के संकेत
कानपुर के सीएसए मौसम विज्ञान केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को अधिकतम तापमान 27.4 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 11.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, शुक्रवार को अधिकतम तापमान 27.9 और न्यूनतम तापमान 11.2 डिग्री सेल्सियस था। हवा की गति भी 1.1 से 1.7 किलोमीटर प्रति घंटा के बीच रही। मौसम विभाग का अनुमान है कि रविवार से रात का पारा नीचे गिरने लगेगा और धुंध का प्रकोप सुबह और शाम के समय बढ़ेगा।
बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी का असर
मौसम विशेषज्ञ डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि बंगाल की खाड़ी से आ रही नम हवा और आसमान में ऊंचे बादलों के कारण तापमान पर असर पड़ रहा है। ये ऊंचे बादल रात के तापमान को कम गिरने से रोक रहे हैं और सुबह-शाम धुंध का निर्माण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह स्थिति अगले कुछ दिनों तक जारी रह सकती है। इसके बाद तापमान में गिरावट और अधिक तेज हो सकती है।
कई जिलों में होगी ठंडक का अनुभव
आगरा, लखनऊ, प्रयागराज, गोरखपुर, अयोध्या, मथुरा और काशी जैसे जिलों में आने वाले दिनों में ठंडक महसूस होगी। मौसम में इस बदलाव के कारण लोग सुबह-सुबह और शाम को मौसम की ठंडक का अनुभव कर सकेंगे। धुंध के कारण दृश्यता में कमी आ सकती है, जिससे सफर के दौरान सावधानी बरतनी जरूरी होगी। इसके साथ ही इन जिलों में तापमान में गिरावट के कारण हल्की ठंडक का अहसास होगा।
आगे के दिनों में मौसम रहेगा सर्द और शुष्क
मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार अगले कुछ दिनों में यूपी का मौसम ठंडा और शुष्क रहेगा। बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी धीरे-धीरे कम होगी, जिससे तापमान और अधिक गिरने लगेगा। ऐसे में लोगों को ठंड से बचाव के लिए उचित कपड़े पहनने और धूप का फायदा उठाने की सलाह दी जा रही है। साथ ही किसानों को भी मौसम के इस बदलाव का ध्यान रखते हुए अपनी फसलों की देखभाल करनी होगी।



