बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए कुल 243 सीटों में से 202 सीटें हासिल कीं। इस शानदार जीत से एनडीए के नेताओं और कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह देखा गया। वहीं, विपक्षी महागठबंधन को इस चुनाव में करारा झटका लगा और वह केवल 35 सीटों तक सीमित रह गया। इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने भी एक सीट पर जीत दर्ज की है। इस बीच, बीएसपी प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाकर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है।
मायावती ने चुनाव की निष्पक्षता पर उठाए सवाल
मायावती ने सोशल मीडिया के जरिए बिहार चुनाव की निष्पक्षता पर अपनी शंका जाहिर की है। उनका मानना है कि अगर चुनाव पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष होते तो बीएसपी कई और सीटें जीत सकती थी। उन्होंने कहा कि प्रशासन और अन्य विपक्षी दलों ने उनके उम्मीदवार को हराने के लिए कई बार मतगणना कराने का दबाव डाला, लेकिन पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं के प्रयासों से विरोधियों का यह षड्यंत्र सफल नहीं हो पाया। मायावती ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को निराश न होने की हिदायत दी और भविष्य के लिए और मेहनत करने को कहा।
कैमूर जिले की रामगढ़ सीट पर बीएसपी की जीत
बीएसपी को बिहार चुनावों में एकमात्र सीट कैमूर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट से मिली है। यहां बसपा के उम्मीदवार सतीश कुमार सिंह यादव ने बीजेपी के प्रत्याशी अशोक कुमार सिंह को मात्र 30 वोटों के अंतर से हराया। यह जीत बीएसपी के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, खासकर तब जब पार्टी का प्रभाव सीमित होता जा रहा है। इस जीत के साथ ही बीएसपी ने अपनी राजनीतिक उपस्थिति को बिहार में बनाए रखने का संदेश दिया है।
एनडीए का प्रचंड बहुमत: बीजेपी और जेडीयू का दमदार प्रदर्शन
इस चुनाव में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला है। बीजेपी 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं, जनता दल (यू) ने 85 सीटें हासिल की हैं। इसके अलावा लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की। इस परिणाम ने बिहार में एनडीए के राजनीतिक प्रभुत्व को और मजबूत कर दिया है और विपक्षी दलों के लिए बड़े रणनीतिक बदलाव की जरूरत भी साफ कर दी है।
चुनाव परिणाम और राजनीतिक समीकरणों में बदलाव
बिहार चुनाव के नतीजों ने राज्य के राजनीतिक समीकरणों में बड़े बदलाव की शुरुआत की है। एनडीए की प्रचंड जीत से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के लिए सत्ता का रास्ता साफ हो गया है। वहीं, विपक्षी महागठबंधन और बीएसपी को अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा। मायावती के चुनाव निष्पक्षता पर उठाए गए सवालों ने राजनीतिक बहस को और तेज किया है, जो आगामी दिनों में और भी गर्मा सकती है।


