कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर उन्होंने ऐसा बयान दिया है, जिसने सियासत में गर्मी बढ़ा दी है। थरूर ने वंशवाद को भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा बताया है। उनका कहना है कि अब समय आ गया है जब भारत को वंशवाद की जगह योग्यता और क्षमता को महत्व देना चाहिए। बीजेपी ने उनके इस बयान पर तंज कसते हुए उन्हें “खतरों का खिलाड़ी” तक कह दिया।
प्रोजेक्ट सिंडिकेट में लिखा विवादित लेख
शशि थरूर ने यह बयान किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं बल्कि एक लेख के माध्यम से दिया। उन्होंने प्रोजेक्ट सिंडिकेट में लिखा कि आज भारत के लगभग हर राजनीतिक दल में वंशवाद गहराई तक पैठ चुका है। हर नेता अपनी अगली पीढ़ी को राजनीति में स्थापित करने में जुटा है। थरूर ने लिखा कि यह प्रवृत्ति लोकतंत्र की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचा रही है क्योंकि इससे ईमानदार और योग्य लोगों के लिए राजनीति में जगह कम हो जाती है।
“सिर्फ कांग्रेस नहीं, पूरा देश प्रभावित”
थरूर ने अपने लेख में कहा कि लोग अक्सर वंशवाद को नेहरू-गांधी परिवार से जोड़ते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि यह बीमारी पूरे राजनीतिक तंत्र में फैल चुकी है। उन्होंने दक्षिण एशिया के अन्य देशों का उदाहरण देते हुए बताया कि पाकिस्तान में भुट्टो और शरीफ परिवार, बांग्लादेश में शेख और जिया परिवार और श्रीलंका में राजपक्षे परिवार भी इसी प्रवृत्ति का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि वंशवाद सिर्फ कुछ परिवारों तक सीमित नहीं है, यह तो गांव से लेकर संसद तक हर स्तर पर मौजूद है।
राजनीति में परिवारवाद की जड़ें गहरी हैं
शशि थरूर ने उदाहरण देते हुए कहा कि बीजू पटनायक के निधन के बाद उनके बेटे नवीन पटनायक ने सत्ता संभाली। महाराष्ट्र में बाल ठाकरे ने पार्टी की कमान अपने बेटे उद्धव ठाकरे को सौंपी और अब उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे राजनीति में सक्रिय हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के बाद उनके बेटे अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने और अब पार्टी के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी परंपरा योग्यता को पीछे धकेलती है और भाई-भतीजावाद को आगे बढ़ाती है।
“अब बदलाव का वक्त आ गया है”
थरूर ने कहा कि भारत को वंशवाद की राजनीति से बाहर निकलना होगा। इसके लिए जरूरी है कि राजनीतिक दलों में पारदर्शी चयन प्रक्रिया अपनाई जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि पार्टियों के भीतर लोकतांत्रिक चुनाव हों, नेताओं के लिए कार्यकाल की सीमा तय की जाए और मतदाता भी योग्यता को आधार बनाकर वोट करें। उनका कहना है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो लोकतंत्र सिर्फ नाम का रह जाएगा।
बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने
थरूर के इस लेख के बाद सियासत में हलचल मच गई है। बीजेपी ने कांग्रेस और गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि शशि थरूर ने सच्चाई सामने रखी है। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि थरूर ने दिखाया है कि कैसे आज राजनीति एक “परिवारिक व्यवसाय” बन चुकी है। वहीं कांग्रेस के कुछ नेता थरूर के खिलाफ मुखर हुए हैं और उन्होंने गांधी परिवार का बचाव किया है। पार्टी के भीतर अब इस बयान को लेकर गर्म बहस छिड़ गई है।



