हरियाणा के अंबाला एयरफोर्स बेस से बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राफेल फाइटर जेट उड़ाने जा रही हैं। यह वही एयरबेस है जहां भारत ने 2020 में राफेल विमानों को औपचारिक रूप से शामिल किया था। यह उड़ान न केवल ऐतिहासिक होगी बल्कि देश की महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक और बड़ी मिसाल भी बनेगी।
भारत की जवाबी कार्रवाई और राफेल की भूमिका
राफेल जेट्स ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में अहम भूमिका निभाई थी। यह अभियान भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू किया था। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान नियंत्रित इलाकों में बने आतंकवादी ढांचों को नष्ट किया गया। चार दिन तक चली इस कार्रवाई के बाद 10 मई को दोनों देशों के बीच युद्धविराम का समझौता हुआ।
राष्ट्रपति का गौरवशाली रिकॉर्ड
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भारतीय सशस्त्र बलों की सर्वोच्च सेनापति हैं। इससे पहले भी वह 8 अप्रैल 2023 को असम के तेजपुर एयरफोर्स बेस से सुखोई-30 एमकेआई जेट में उड़ान भर चुकी हैं। वह ऐसा करने वाली भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति और तीसरी राष्ट्रपति बनी थीं जिन्होंने किसी फाइटर जेट में उड़ान भरी।
पूर्व राष्ट्रपतियों की प्रेरणा
उनसे पहले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल ने भी ऐसा किया था। अब्दुल कलाम ने 8 जून 2006 को पुणे के लोहेगांव एयरफोर्स बेस से सुखोई-30 उड़ाई थी। वहीं प्रतिभा पाटिल ने 25 नवंबर 2009 को इसी एयरबेस से उड़ान भरकर इतिहास रचा था। राष्ट्रपति मुर्मू का यह कदम उस परंपरा को आगे बढ़ाएगा जो राष्ट्र के सर्वोच्च पद को भारतीय वायुसेना की बहादुरी से जोड़ता है।
अंबाला से उड़ान और ‘गोल्डन एरोज़’ की गर्जना
राफेल विमान फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन द्वारा बनाए गए हैं। भारत को जुलाई 2020 में इन विमानों की पहली खेप मिली थी और इन्हें अंबाला में ‘गोल्डन एरोज़ स्क्वाड्रन’ में शामिल किया गया था। अब जब राष्ट्रपति मुर्मू खुद राफेल जेट में उड़ान भरेंगी तो यह देश के लिए गौरव और प्रेरणा का क्षण होगा।


