बिहार विधानसभा चुनाव की वोटिंग की तारीख नजदीक आते ही कुम्हरार में सियासी हलचल तेज हो गई है। बीजेपी ने कुम्हरार से पांच बार विधायक चुने जाने वाले अरुण कुमार सिन्हा का टिकट काट दिया है और उनकी जगह संजय गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है। इस फैसले के बाद कायस्थ समाज बीजेपी से नाराज है और उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा के सामने प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज के उम्मीदवार प्रोफेसर केसी सिन्हा के समर्थन में नारेबाजी की।
बीजेपी के टिकट काटने के बाद कांग्रेस ने इस सीट पर इंद्रदीप चंद्रवंशी को उम्मीदवार बनाया है। वहीं प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने प्रोफेसर और लेखक केसी सिन्हा को टिकट दिया है। क्षेत्र में कायस्थ समाज की नाराजगी के कारण चुनावी मुकाबला और रोमांचक होने की संभावना बढ़ गई है।
कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र में कायस्थ समाज हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाता आया है। कुल चार लाख से अधिक वोटरों में अधिकांश संख्या कायस्थों की है। इसके अलावा यादव, राजपूत, कोइरी, कुर्मी, ब्राह्मण और मुस्लिम समुदाय के वोट भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बीजेपी लंबे समय से इस सीट पर कायस्थ वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है।
कुम्हरार सीट की राजनीतिक अहमियत
कुम्हरार सीट को बिहार में सबसे प्रभावशाली माना जाता है। पहले इसे पटना सेंट्रल के नाम से जाना जाता था, लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद इसका नाम बदलकर कुम्हरार कर दिया गया। यह पूरी तरह शहरी क्षेत्र में आता है। पिछले पांच साल से बीजेपी की पकड़ इस सीट पर मजबूत रही है। 2020 के चुनाव में बीजेपी ने आरजेडी के उम्मीदवार धर्मेंद्र कुमार को भारी मतों से हराया था।
चुनाव की दिशा और नतीजे
इस बार कुम्हरार में मुकाबला और दिलचस्प होने वाला है। बीजेपी के टिकट परिवर्तन और कायस्थ समाज की नाराजगी चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सकती है। वहीं कांग्रेस और जनसुराज पार्टी भी अपनी तैयारियों में कोई कमी नहीं छोड़ रही हैं। इस सीट का रिजल्ट बिहार विधानसभा चुनाव की दिशा तय कर सकता है।



