
Waqf Amendment Act: सुप्रीम कोर्ट आज लगातार दूसरे दिन वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुनवाई जारी रखेगा। ऐसा अनुमान है कि कोर्ट इस मामले में अंतरिम आदेश जारी कर सकता है। इस अंतरिम आदेश में कई अहम बिंदुओं पर विचार किया जा सकता है, जैसे वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करना, कलेक्टर द्वारा जांच के दौरान नए प्रावधानों के क्रियान्वयन पर रोक लगाना और वक्फ परिषद और बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की अनुमति देना। कल की सुनवाई दो घंटे तक चली, जिसमें कोर्ट ने केंद्र सरकार से कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
वक्फ अधिनियम की संवैधानिकता के खिलाफ 72 याचिकाएं दायर
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन के साथ वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली 72 याचिकाओं पर सुनवाई की। इन याचिकाओं में मुस्लिम मौलिक अधिकारों के संभावित उल्लंघन पर चिंता जताई गई है और तर्क दिया गया है कि यह कानून मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है। कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक सिंघवी और सीयू सिंह जैसे वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने मुस्लिम निकायों और याचिकाकर्ताओं की ओर से अपने मामले पेश किए हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए आरोपों को निराधार बताया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद, मुख्य न्यायाधीश ने मामले में संतुलन की आवश्यकता का हवाला देते हुए नोटिस जारी करने और अंतरिम आदेश पारित करने का सुझाव दिया।

नए वक्फ कानून पर आरोप और चिंताएं
नए वक्फ कानून के खिलाफ मुख्य आरोप यह है कि यह मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और उनके साथ भेदभाव करता है। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि कानून असंवैधानिक है और इसे तत्काल निलंबित करने की मांग करते हैं। हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने कानून का बचाव करते हुए दावा किया कि आरोपों में दम नहीं है। अदालत ने कानून के कुछ प्रावधानों पर चिंता व्यक्त की, जिसमें वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना और उन संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने की प्रक्रिया शामिल है जिन्हें पहले अदालतों द्वारा वक्फ घोषित किया गया था। पीठ ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने पर भी स्पष्टीकरण मांगा और मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय की सेवा करने वाली संस्था में इस तरह की भागीदारी की अनुमति देने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया। अदालत ने आगे पूछा कि उन संपत्तियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा जिन्हें पहले ही अदालतों द्वारा वक्फ घोषित किया जा चुका है, खासकर अगर इन संपत्तियों को नए कानून के तहत गैर-अधिसूचित किया जाता है।

वक्फ प्रशासन में गैर-मुस्लिमों की भागीदारी पर गरमागरम बहस
वक्फ प्रशासन में गैर-मुस्लिम भागीदारी के मुद्दे पर पीठ और सॉलिसिटर जनरल के बीच विशेष रूप से तीखी बहस हुई। पीठ ने गैर-मुस्लिमों को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में भूमिका निभाने की अनुमति देने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया, जबकि यही नियम हिंदू धार्मिक संस्थानों पर लागू नहीं होता है। सॉलिसिटर जनरल ने जवाब देते हुए कहा कि वक्फ परिषद में पदेन सदस्यों के अलावा दो से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे। हालांकि, अदालत ने वक्फ संस्था के धार्मिक चरित्र के बारे में चिंता जताई और बताया कि नए अधिनियम के तहत, केंद्रीय वक्फ परिषद के 22 सदस्यों में से केवल आठ मुस्लिम होंगे, जबकि शेष सदस्य गैर-मुस्लिम होंगे। पीठ ने जोर देकर कहा कि इससे संभावित रूप से गैर-मुस्लिम बहुमत बन सकता है, जो संस्था की धार्मिक प्रकृति को कमजोर कर सकता है।

