
द स्लीप कंपनी ने 480 करोड़ रुपये की सीरीज़-डी फंडिंग हासिल की
कम्फर्ट-टेक में नवाचार आधारित विकास की ओर बड़ा कदम
भारत के अग्रणी कम्फर्ट-टेक ब्रांड द स्लीप कंपनी ने भारत की प्रमुख निजी इक्विटी फर्मों क्रिसकैपिटल (ChrysCapital) और 360 वन एसेट (360 ONE Asset) के नेतृत्व में सीरीज़-डी फंडिंग राउंड से 480 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इस निवेश का उपयोग कंपनी अपने विनिर्माण क्षमता बढ़ाने, ऑफलाइन उपस्थिति मजबूत करने, नई उत्पाद श्रेणियों में प्रवेश करने और आरएंडडी एवं नवाचार को बढ़ावा देने में करेगी।
तेज़ी से बढ़ती व्यावसायिक उपलब्धियां
द स्लीप कंपनी ने कुछ ही वर्षों में 700 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक राजस्व रन रेट (ARR) हासिल किया है, साथ ही वित्त वर्ष 2024-25 में 60% सालाना वृद्धि दर्ज की है। हाल ही में कंपनी ने अपना 150वां एक्सक्लूसिव ब्रांड आउटलेट लॉन्च किया। पिछली फंडिंग के बाद से कंपनी का मासिक राजस्व दोगुना हुआ है और कर्मचारियों की संख्या 650 से बढ़कर 1,500 से अधिक हो गई है।

रणनीतिक निवेश के प्रमुख क्षेत्र
नई पूंजी का उपयोग नई विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना, मेट्रो और टियर-1 शहरों में ऑफलाइन स्टोर विस्तार, नई कम्फर्ट कैटेगरी में प्रवेश, और SmartGRID® तकनीक को रोजमर्रा के उत्पादों में लाने में किया जाएगा। साथ ही, कंपनी अपनी कोर टीम को उत्पाद, तकनीक, डिज़ाइन और रिटेल संचालन क्षेत्रों में और मज़बूत करेगी।

संस्थापकों का दृष्टिकोण
द स्लीप कंपनी की को-फाउंडर प्रियंका सलोट और हर्षिल सलोट ने कहा कि यह फंडिंग भारत में कम्फर्ट-टेक क्रांति को नई गति देगी। उनका लक्ष्य है अधिक स्टोर खोलना, बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन क्षमता बढ़ाना और ऐसे इनोवेटिव उत्पाद लॉन्च करना, जो भारत के बैठने और सोने के तरीके को बदल दें।
निवेशकों का भरोसा
क्रिसकैपिटल के राजीव बत्रा ने कहा कि द स्लीप कंपनी ने कम समय में नवाचार, ग्राहक-केंद्रितता और परिचालन उत्कृष्टता पर आधारित एक श्रेणी परिभाषित ब्रांड बनाया है। वहीं, 360 वन एसेट के चेतन नाइक ने कंपनी की विज्ञान-आधारित और ओम्नीचैनल रणनीति की सराहना की।
SmartGRID® तकनीक का विस्तार
कंपनी की सफलता के केंद्र में है पेटेंटेड SmartGRID® तकनीक, जो गद्दों से शुरू होकर अब कुर्सियों, रिक्लाइनर्स, कुशन, सोफा और अन्य एर्गोनोमिक उत्पादों तक पहुंच चुकी है। ‘स्लीप लैब’ जैसे इंटरैक्टिव स्टोर्स में उपभोक्ताओं को प्रेशर और हीट मैपिंग टेस्ट के ज़रिए इस तकनीक का अनुभव कराया जाता है।

