
Delhi News: दिल्ली यूनिवर्सिटी के लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्रिंसिपल प्रत्युष वत्सला का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें वह कक्षा की दीवारों पर गोबर का लेप लगाते हुए नजर आ रही हैं। इस वीडियो को खुद प्रिंसिपल ने कॉलेज के शिक्षकों के साथ साझा किया है। उन्होंने बताया कि यह एक रिसर्च प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसमें पारंपरिक भारतीय तरीकों से कक्षा को ठंडा रखने की कोशिश की जा रही है। उनका कहना है कि इससे छात्रों को बेहतर और आरामदायक सीखने का माहौल मिलेगा।
रिसर्च प्रोजेक्ट का नाम: पारंपरिक ज्ञान से ताप नियंत्रण
प्रिंसिपल ने बताया कि इस रिसर्च प्रोजेक्ट का नाम है – “Study of Thermal Stress Control Using Traditional Indian Knowledge”। यह शोध एक फैकल्टी सदस्य के नेतृत्व में किया जा रहा है और अभी शुरुआती चरण में है। उन्होंने कहा, “मैं खुद इस रिसर्च की प्रक्रिया में शामिल हूं क्योंकि प्राकृतिक मिट्टी या गोबर को छूने में कोई हर्ज नहीं है। रिसर्च ‘पोर्टा केबिन्स’ में किया जा रहा है, और एक केबिन पर खुद मैंने गोबर का लेप लगाया है।” उन्होंने यह भी कहा कि एक हफ्ते के बाद वे इस रिसर्च से जुड़ी सारी जानकारी साझा करेंगी।

दिल्ली विश्वविद्यालय के LBC की प्रिंसिपल ने पहले कॉलेज में गाय बांध ली। अब गाय के गोबर का सदुपयोग करते हुए कॉलेज की दीवारों की लिपाई का काम शुरू कर दिया हैं।
हर कॉलेज/विश्वविद्यालय के मुखिया को ये करना ही चाहिए। मेरी सलाह हैं कॉलेज में गौमूत्र और गोबर का सेवन को अनिवार्य बना… pic.twitter.com/4NbRvWSlE9
— Dr Jitendra Meena (@JitendraMeenaDU) April 13, 2025

प्रिंसिपल प्रत्युष वत्सला ने वीडियो के साथ एक संदेश भी साझा किया है, जिसमें लिखा है, “जिनकी क्लासेस यहां होती हैं, उन्हें जल्द ही ये रूम नए रूप में मिलेंगे। आपका लर्निंग एक्सपीरियंस बेहतर बनाने की पूरी कोशिश की जा रही है।” उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग अधूरी जानकारी के आधार पर गलतफहमी फैला रहे हैं, जबकि यह पूरा प्रयास रिसर्च और पर्यावरणीय लाभ के तहत किया जा रहा है। उनका मानना है कि पारंपरिक भारतीय ज्ञान में कई ऐसी विधियां हैं, जो आज की तकनीक से भी ज्यादा असरदार हो सकती हैं।
कॉलेज की जानकारी और नई पहल
बता दें कि लक्ष्मीबाई कॉलेज की स्थापना साल 1965 में हुई थी और यह झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर रखा गया है। यह कॉलेज Delhi सरकार के अधीन आता है और अशोक विहार में स्थित है। कॉलेज में कुल पांच ब्लॉक हैं और यह नई पहल फिलहाल एक ब्लॉक में शुरू की गई है। रिसर्च टीम का मानना है कि इस तकनीक से बिना एसी के कमरों को ठंडा रखा जा सकता है, जिससे पर्यावरण को भी लाभ होगा और बिजली की खपत भी कम होगी। इस तरह की पहल न केवल विज्ञान को बढ़ावा देती है बल्कि पारंपरिक ज्ञान को भी सम्मान देती है।

