
Illegal betting and gambling: इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2025 का शेड्यूल जारी हो चुका है। यह टूर्नामेंट 22 मार्च से शुरू होकर 25 मई को फाइनल के साथ समाप्त होगा। हर साल की तरह, इस बार भी आईपीएल के दौरान अवैध सट्टेबाजी और जुए का बाजार अपने चरम पर पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। डिजिटल इंडिया फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अवैध सट्टेबाजी और जुए से हर साल 100 अरब डॉलर (लगभग 8.3 लाख करोड़ रुपये) से अधिक की राशि एकत्र की जाती है और यह बाजार 30 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ रहा है।
IPL 2025 के दौरान अवैध सट्टेबाजी का बढ़ता खतरा
आईपीएल जैसे बड़े खेल आयोजनों के दौरान अवैध सट्टेबाजी के मामले तेजी से बढ़ जाते हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि क्रिकेट भारत में सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है और लाखों लोग अपनी पसंदीदा टीम और खिलाड़ियों पर पैसा लगाने के लिए सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, अवैध सट्टेबाजी के कारण देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होता है। इससे न केवल कर चोरी होती है, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलता है।

बेटिंग प्लेटफॉर्म्स पर कितना ट्रैफिक आता है?
डिजिटल इंडिया फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, चार प्रमुख बेटिंग प्लेटफॉर्म Parimatch, Stake, 1xBet और Battery Bet को सिर्फ तीन महीनों (अक्टूबर-दिसंबर 2024) में 1.6 बिलियन (160 करोड़) विज़िट्स मिलीं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत में अवैध सट्टेबाजी कितनी तेजी से फैल रही है।
इस अवधि में, फेसबुक, मेटा और टेलीग्राम जैसी सोशल मीडिया साइट्स से इन चार सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म्स को 42.8 मिलियन (4.28 करोड़) विज़िट्स मिलीं।
कैसे बढ़ाया जाता है अवैध बेटिंग साइट्स का ट्रैफिक?
इस रिपोर्ट के अनुसार, यह ट्रैफिक कई तरीकों से लाया जाता है, जिनमें शामिल हैं:
- पेड ऐड नेटवर्क: फेसबुक, गूगल और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भुगतान किए गए विज्ञापन।
- प्रमोटेड कंटेंट: वेबसाइट्स और ब्लॉग्स पर लेखों के रूप में प्रचार।
- सोशल मीडिया मार्केटिंग: इंस्टाग्राम, फेसबुक, टेलीग्राम और यूट्यूब पर प्रचारित विज्ञापन।
इस तरह के प्रचार से ये बेटिंग साइट्स आम लोगों तक आसानी से पहुंच जाती हैं और उन्हें अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
अवैध सट्टेबाजी का प्रमोशन कैसे किया जाता है?
अवैध बेटिंग ऐप्स और वेबसाइट्स अपनी साइट्स का प्रचार करने के लिए सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO) का उपयोग करती हैं। वे “Best IPL Betting Site” या “Online Casino Without KYC” जैसी टैग लाइन्स का इस्तेमाल करके लोगों को अपने जाल में फंसाने की कोशिश करती हैं।
इसके अलावा, ये बेटिंग साइट्स प्रचार के लिए निम्नलिखित माध्यमों का उपयोग करती हैं:
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WhatsApp और Telegram:
- बड़े टेलीग्राम ग्रुप्स और व्हाट्सएप ग्रुप्स के माध्यम से प्रचार किया जाता है।
- लोगों को हाई-प्रोफिट स्कीम दिखाकर लुभाया जाता है।
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सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स:
- इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक पर मशहूर इन्फ्लुएंसर्स को पैसे देकर प्रचार करवाया जाता है।
- ऐसे वीडियो और पोस्ट बनाए जाते हैं, जिनमें यह दिखाया जाता है कि कैसे लोग सट्टेबाजी से पैसे कमा सकते हैं।
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गुप्त लिंक और प्राइवेट ग्रुप्स:
- टेलीग्राम और व्हाट्सएप पर गुप्त ग्रुप बनाए जाते हैं, जहां नए यूजर्स को शामिल किया जाता है।
- इनमें लोगों को बेटिंग के टिप्स और मैच फिक्सिंग से संबंधित जानकारी दी जाती है।
अवैध बेटिंग के बढ़ते दुष्प्रभाव
1. मनी लॉन्ड्रिंग और अपराधों में बढ़ोतरी
डिजिटल इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक अरविंद गुप्ता के अनुसार, ये बेटिंग ऐप्स मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य अवैध गतिविधियों के लिए एक जरिया बन चुकी हैं। इनका उपयोग विदेशी चुनाव प्रचार से लेकर काले धन को सफेद करने के लिए किया जाता है।
2. भारतीय युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव
भारत में युवा तेजी से ऑनलाइन सट्टेबाजी की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इन प्लेटफॉर्म्स की वजह से:
- कई युवा आर्थिक तंगी में फंस जाते हैं।
- कुछ युवा जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में अपनी जमा पूंजी गवा देते हैं।
- इससे मानसिक तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं।
3. खेलों की साख पर असर
अवैध सट्टेबाजी से क्रिकेट सहित अन्य खेलों की साख को भी नुकसान पहुंचता है। कई बार खिलाड़ियों को सट्टेबाजों द्वारा रिश्वत दी जाती है, जिससे मैच फिक्सिंग जैसी घटनाएं होती हैं।
डिजिटल इंडिया फाउंडेशन की सिफारिशें
रिपोर्ट में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को जिम्मेदार ठहराया गया है कि वे इन अवैध बेटिंग साइट्स के विज्ञापन प्रकाशित करते हैं। रिपोर्ट में कुछ सिफारिशें दी गई हैं:
- सोशल मीडिया पर ऐसे विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाया जाए।
- अवैध बेटिंग साइट्स और ऐप्स पर कड़ी निगरानी रखी जाए।
- सट्टेबाजी में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो।
- युवाओं को इस खतरे से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए।
आईपीएल 2025 के दौरान अवैध सट्टेबाजी का खतरा एक बार फिर बढ़ने वाला है। भारत में हर साल 100 अरब डॉलर से अधिक की अवैध सट्टेबाजी होती है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है।
डिजिटल इंडिया फाउंडेशन की रिपोर्ट से यह साफ है कि ये बेटिंग साइट्स सोशल मीडिया, पेड एड्स और इन्फ्लुएंसर्स का इस्तेमाल करके तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इस पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि देश में अवैध सट्टेबाजी और जुए को रोका जा सके।
अगर जल्द ही सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और भी गंभीर रूप धारण कर सकती है और देश की युवा पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

