
CBI ने 3 और 4 मार्च की आधी रात में चलाए गए एक अभियान के दौरान उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत विभागीय परीक्षा पेपर लीक घोटाले का पर्दाफाश किया. रेलवे प्रमोशन परीक्षा पेपर लीक मामले में सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई कर जूनियर से लेकर सीनियर अधिकारियों तक पर शिकंजा कसा है. इस कार्रवाई में अब तक एक वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता (डीईई) सहित कुल 26 रेलवे अधिकारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और छापेमारी के दौरान 1.17 करोड़ रुपए नकद जब्त किए हैं. पूर्व मध्य रेलवे ने 4 मार्च को चीफ लोको पायलट के पदों के लिए विभागीय परीक्षा निर्धारित की थी.
सीबीआई अधिकारियों का कहना है कि दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन के डीआरएम ऑफिस में डीईई (ऑपरेशंस) के पद पर तैनात सुशांत पाराशर सहित अन्य अधिकारियों की गिरफ्तारी हुई है. सुशांत पाराशर भारतीय रेलवे इंजीनियर्स सेवा के 2014 बैच के अधिकारी हैं. इन अधिकारियों पर आरोप लगा है कि इन्होंने मुगलसराय में चीफ लोको पायलट के पदों पर पदोन्नति के लिए विभागीय परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक करने के लिए कथित तौर पर पैसे लिए हैं.

डीईई ने खुद किया पेपर को ट्रांसलेट
सीबीआई ने कहा, ‘सुशांत पाराशर ने खुद ही अंग्रेजी में प्रश्न लिखे थे और कथित तौर पर इसे एक लोको पायलट को दिया था, जिसने इसे हिंदी में अनुवाद किया और आगे एक अन्य अधिकारी को दिया. अधिकारी ने कथित तौर पर इसे कुछ अन्य रेलवे कर्मचारियों के माध्यम से अभ्यर्थियों तक पहुंचाया.’ अधिकारियों का कहना है कि परीक्षा लीक होने सूचना मिली, जिसके बाद सीबीआई टीमों ने मुगलसराय में तीन स्थानों पर छापेमारी की. छापेमारी के दौरान देखा गया कि अभ्यर्थी दिए गए प्रश्नपत्रों के उत्तर रट रहे थे. कुल 17 अभ्यर्थियों के पास हाथ से लिखे प्रश्नपत्रों की फोटोकॉपी मिली.

सीबीआई का कहना है कि मौजूदा समय में काम कर रहे 17 लोको पायलटों ने प्रश्नपत्रों को खरीदने के लिए पैसे दिए. छापेमारी के दौरान हाथ से लिखी हुई कॉपी की फोटो कॉपियों रंगे हाथों पकड़ी गई हैं. सीबीआई ने पाराशर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. एजेंसी ने परीक्षा का पेपर तैयार करने के लिए पराशर को जिम्मेदार माना है.
कैसे हुए पैसे का कलेक्शन?
सीबीआई का कहना है कि आठ जगह तलाशी लेते समय 1.17 करोड़ रुपए नकद जब्त किए गए. इसके अलावा हाथ से लिखे पेपर्स के साथ-साथ उनकी फोटोकॉपी भी जब्त कर ली गई है. जब्त किए गए पेपर्स का मिलना मूल पेपर से किया गया, जिसमें पाया गया कि ये मेल खाते हैं.
सीबीआई का कहना है कि इंदु प्रकाश ने व्यक्तिगत रूप से एक अज्ञात व्यक्ति को अपने आवास पर रिश्वत के पैसे पहुंचाने का निर्देश दिया था. इसके अतिरिक्त दावा किया गया है कि कृष्ण यादव ने एक अभ्यर्थी को आश्वासन दिया था कि परीक्षा का पेपर 3 मार्च को एक गुप्त स्थान पर पहले से ही शेयर किया जाएगा. कहा जाता है कि सूर्यनाथ नाम के एक अभ्यर्थी ने खुद एक अन्य अभ्यर्थी से 1.5 लाख रुपए की रिश्वत ली थी.
इन धाराओं में केस हुआ दर्ज
सीबीआई की एफआईआर में कहा गया है कि जांच से पता चला है कि जूनियर रेलवे अधिकारियों, ट्रेनिंग स्कूल, एनके वर्मा, लोको पायलट गुड्स (एलपीजी) आरएनएस यादव, चीफ लोको इंस्पेक्टर अजीत सिंह, असिस्टेंट लोको पायलट अनीश कुमार और लोको पायलट नित्यानंद यादव, कृष्ण यादव और सूर्यनाथ के एक नेटवर्क के जरिए अभ्यर्थियों से बड़ी रकम वसूली गई. ये सभी डीडीयू रेलवे डिवीजन से हैं.
सीबीआई ने सुशांत पाराशर, इंदु प्रकाश और अन्य संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 61(2) (आपराधिक साजिश), 316(5) (आपराधिक विश्वासघात) और 318(3) (धोखाधड़ी) के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (जैसा कि 2018 में संशोधित किया गया) की धारा 7, 7ए और 8 के तहत मामला दर्ज किया.

