
Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक महिला की शिकायत पर बड़ा निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने पति की याचिका को खारिज कर दिया, जबकि महिला के आरोपों को समर्थन दिया। यह मामला महिला के द्वारा अपने पति पर किए गए आरोपों से संबंधित है, जिसमें पति पर उसे बिना सहमति के गलत तरीके से छूने और उसके साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया गया था।
मामला क्या था?
पत्नी ने Bombay High Court में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि उसका पति बिना उसकी सहमति के उसके कमरे में घुसा और उसे अनुचित तरीके से छुआ, जिससे उसकी इज्जत को ठेस पहुंची। इसके बाद, पत्नी ने यह भी कहा कि पति ने उसे मारपीट की। पत्नी के आरोपों के बाद, पति ने अपनी याचिका में कहा था कि यह सभी आरोप गलत हैं और उन्हें परेशान करने के लिए पत्नी ने यह झूठा मुकदमा दायर किया है।

पति ने आरोपों को किया खारिज
पति ने अपनी याचिका में कहा कि महिला द्वारा लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं। पति ने यह भी कहा कि उनके वैवाहिक जीवन में विवाद के कारण पत्नी ने जानबूझकर उनके खिलाफ गलत शिकायत की है। उनका कहना था कि महिला ने झूठे आरोप लगाए हैं, क्योंकि दोनों के बीच संबंध अच्छे नहीं थे।

हाई कोर्ट का फैसला
इस मामले की सुनवाई के दौरान Bombay High Court बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक महिला की शिकायत पर बड़ा निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने पति की याचिका को खारिज कर दियाने पति की याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस रविंद्र घुगे और जस्टिस राजेश पाटिल की बेंच ने 7 जनवरी को कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इस मामले में की गई कार्रवाई को देखते हुए यह माना जा सकता है कि FIR में बताई गई बातें पूरी तरह से झूठी हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में याचिका खारिज की जाती है।
कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए यह निर्णय लिया कि मामले की पूरी जांच होनी चाहिए और यह नहीं कहा जा सकता कि FIR पूरी तरह से झूठी है। कोर्ट ने कहा कि शिकायत में की गई घटनाओं की पुष्टि के लिए आगे की सुनवाई जरूरी है, और इस मामले में पति की याचिका को खारिज किया गया।
महिला ने क्या कहा?
महिला ने आरोप लगाया था कि 26 फरवरी 2024 को उसने कस्तूरबाग पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। महिला के मुताबिक, उसके पति ने उसे उसके कमरे में बिना अनुमति के घुसकर मारपीट की। उसने यह भी बताया कि पति ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उसे बिना सहमति के छुआ। इसके बाद, महिला ने पुलिस से पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 506 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की।
पति का दावा
पति ने कोर्ट में यह दावा किया कि वह और उसकी पत्नी एक ही घर में रहते हैं, लेकिन उनके बीच सामंजस्य नहीं था। पति ने बताया कि दोनों के बीच वैवाहिक विवाद के कारण पत्नी और बेटी अपने कमरे में सोती थीं और वह लिविंग रूम में सोता था। पति ने यह भी आरोप लगाया कि पत्नी ने झूठी शिकायत दर्ज करवाई है ताकि उसे परेशान किया जा सके।
क्या कहता है कानून?
यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म) और धारा 506 (धमकी) से संबंधित था। इस मामले में पुलिस ने शिकायत के आधार पर जांच शुरू की थी। महिला का आरोप था कि पति ने उसके साथ न केवल शारीरिक दुर्व्यवहार किया, बल्कि मानसिक शोषण भी किया। इस मामले में कोर्ट का यह फैसला काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह महिलाएं के अधिकारों और सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।
अब इस मामले में और भी कानूनी प्रक्रिया जारी रहेगी, और कोर्ट के फैसले के बाद मामले की आगे की सुनवाई होगी। इस दौरान और साक्ष्य प्रस्तुत किए जाएंगे, जिनकी मदद से यह तय किया जाएगा कि महिला के आरोप सही हैं या झूठे। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि शिकायत पर पूरी जांच होनी चाहिए, और झूठी शिकायतों पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
न्याय की दिशा में एक कदम
यह मामला महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। बॉम्बे हाई कोर्ट का यह फैसला यह साबित करता है कि कोर्ट महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा और दुर्व्यवहार को गंभीरता से लेता है और ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करता है। कोर्ट का निर्णय यह संकेत देता है कि महिलाओं को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालयों में मदद मिल सकती है, और गलत आरोपों के बावजूद न्याय सुनिश्चित किया जाएगा।
इस मामले में कोर्ट का फैसला महिलाओं के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो शारीरिक और मानसिक शोषण के खिलाफ अपनी आवाज उठाती हैं।

