
पूर्व प्रधानमंत्री Dr. Manmohan Singh, जिनका हाल ही में निधन हो गया, भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण नाम थे। उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों के जनक के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने पी.वी. नरसिम्हा राव के शासनकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। उनके पास अर्थशास्त्र की गहरी समझ थी, लेकिन इसके अलावा एक और क्षेत्र था जिसमें उनकी रुचि थी, और वह था शायरी।
डॉ. मनमोहन सिंह भले ही कम बोलते थे, लेकिन जब भी बोलते थे, उनके शब्दों का गहरा अर्थ होता था। उनका शायरी के प्रति प्रेम कई बार संसद में देखने को मिला, जहां उन्होंने विपक्षी नेताओं से शेरो-शायरी के माध्यम से संवाद किया। उनका यह अंदाज इतना प्रभावशाली था कि उन्हें दोनों पक्षों से सराहना मिलती थी। आज भी उनकी संसद की शायरी से जुड़े कई वीडियो वायरल हो रहे हैं।

मनमोहन सिंह का शायरी से प्रेम
Dr. Manmohan Singh का शायरी के प्रति विशेष लगाव था। जब भी वे संसद में भाषण देते थे, वे शायरी का इस्तेमाल करते थे। यह उनकी शैली बन चुकी थी। खासकर, भाजपा की वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के साथ उनकी शायरी की जुगलबंदी खास चर्चा का विषय रहती थी। यह समय आजकल जैसी कटुता से भरे राजनीतिक संघर्ष से अलग था। उस समय विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच स्वस्थ संवाद होता था, और यह शायरी दोनों पक्षों को एक दूसरे के प्रति सम्मान और समझ विकसित करने का एक सुंदर तरीका बन चुकी थी।

सुषमा स्वराज के साथ शायरी की जुगलबंदी
Dr. Manmohan Singh और सुषमा स्वराज के बीच शायरी का आदान-प्रदान विशेष रूप से मशहूर था। ये दोनों नेता जब भी संसद में भाषण देते, तो एक दूसरे के शेरो-शायरी के जवाब देते। इस प्रकार की शायरी संसद में न केवल हल्की-फुलकी बहसों का हिस्सा बनती, बल्कि यह दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक हलचल और विचारों की सूक्ष्मता को भी दर्शाती थी।
मार्च 2011 में संसद में विकीलीक्स के मामले को लेकर बड़ा बवाल मचा था। इस दौरान कांग्रेस पर 2008 के विश्वास प्रस्ताव में सांसदों को रिश्वत देने का आरोप लगा था। इस पर सुषमा स्वराज ने डॉ. मनमोहन सिंह पर तीखा हमला करते हुए शाहाब जाफरी की शायरी का हवाला दिया, “अब बात ये मत करना, ये मत करना, बता, काफिले क्यों लूटे गए, हमे चोरों से कोई शिकायत नहीं, सवाल तेरी नेतृत्व की है।”
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— Swaraj Srivastava (@SwarajAjad) December 27, 2024
इसके जवाब में डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रसिद्ध शायर अल्लामा इकबाल की शायरी का हवाला देते हुए कहा था, “मैं इस बात से सहमत हूं कि मैं आपके नज़रिए के लायक नहीं हूं, आप मेरे जज़्बे को देखिए और मेरी तन्हाई को देखिए।”
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान शायरी का आदान-प्रदान
सुषमा स्वराज और Dr. Manmohan Singh के बीच शायरी की जुगलबंदी एक और मौके पर देखने को मिली, जब दोनों ने 2013 में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा की थी। इस दौरान डॉ. मनमोहन सिंह ने मिर्जा गालिब की शायरी का हवाला देते हुए कहा था, “हम वफ़ा की उम्मीद करते हैं, जिनसे वफ़ा का कोई अंदाजा नहीं होता।”
इस पर सुषमा स्वराज ने दो शेर पढ़े। पहला शेर बशीर बद्र का था, “कुछ तो मजबूरियां होंगी, कोई बेवफा नहीं होता।” वहीं, दूसरा शेर उन्होंने पढ़ा, “तुमे वफ़ा की याद नहीं, हमें बेवफाई याद नहीं, जीवन और मौत के दो गीत होते हैं, एक तुम्हें याद नहीं, एक हमें याद नहीं।”
सुषमा स्वराज का निधन
सुषमा स्वराज का निधन 2019 में हुआ था, और इस पर डॉ. मनमोहन सिंह ने उन्हें एक महान सांसद और प्रतिभाशाली केंद्रीय मंत्री के रूप में याद किया था। उनका यह बयान उनकी व्यक्तिगत श्रद्धांजलि का प्रतीक था।
Dr. Manmohan Singh का निधन
डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 91 वर्ष की आयु में हुआ। उनकी यात्रा समाप्त हो गई, लेकिन उनकी शायरी, उनके आर्थिक सुधार, और उनके द्वारा की गई अनेक उपलब्धियां भारतीय राजनीति में हमेशा जीवित रहेंगी। उनकी शायरी ने न केवल उनके व्यक्तित्व को संपूर्ण रूप से परिभाषित किया, बल्कि उनके नेताओं से संवाद करने के अनोखे तरीके को भी दर्शाया।
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक मील का पत्थर साबित हुआ। उनकी शायरी ने उन्हें संसद में एक अलग पहचान दी थी, जो हमेशा याद रखी जाएगी। सुषमा स्वराज के साथ उनकी जुगलबंदी संसद की एक महत्वपूर्ण धरोहर बन गई है, जो आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है। उनके शब्दों में हमेशा गहराई और सटीकता होती थी, जो उनके अपार ज्ञान और जीवन के प्रति उनकी समझ को दर्शाता था।
उनकी शायरी का यह अद्भुत पहलू हमें यह सिखाता है कि राजनीति और शायरी का भी एक गहरा संबंध हो सकता है, जो सच्चे नेतृत्व और मानवीयता की परिभाषा देता है।

