
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal को विधानसभा चुनावों से पहले एक और मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आबकारी नीति मामले में Arvind Kejriwal के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) को अभियोजन चलाने की मंजूरी दे दी है। यह जानकारी उपराज्यपाल कार्यालय से दी गई है।
LG ने ED को दी हरी झंडी
5 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय ने Arvind Kejriwal के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मांगी थी, और अब उपराज्यपाल ने उन्हें यह हरी झंडी दे दी है। यह कदम दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले उठाया गया है, जो अगले साल फरवरी में होने हैं। इस फैसले से दिल्ली में राजनीतिक हलचल तेज हो सकती है।

केजरीवाल और सिसोदिया को कोर्ट से मिला अतिरिक्त समय
इस बीच, दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को Arvind Kejriwal और मनीष सिसोदिया द्वारा दायर याचिका पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए अतिरिक्त समय दे दिया। इस याचिका में Arvind Kejriwal और मनीष सिसोदिया ने दिल्ली आबकारी शराब नीति मामले में ट्रायल कोर्ट के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के फैसले को चुनौती दी है।

ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती
हाल ही में, दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं Arvind Kejriwal और मनीष सिसोदिया की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ED) के आरोपपत्र के खिलाफ संज्ञान लिया गया था। इन नेताओं का कहना है कि उनके खिलाफ आरोपों को आधार पर नहीं लिया गया और उनका नाम गलत तरीके से आरोपपत्र में डाला गया।
ED के आरोप
आबकारी नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया था कि इस घोटाले में शराब के थोक वितरण अधिकार निजी कंपनियों को 12% मार्जिन के बदले 6% रिश्वत देने के लिए दिए गए थे। इसके अलावा, AAP के नेताओं पर आरोप था कि उन्होंने 2022 की शुरुआत में पंजाब और गोवा में चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए इस नीति का इस्तेमाल किया था।
आबकारी नीति घोटाला और AAP का बचाव
दिल्ली की आबकारी नीति पर उठ रहे सवालों ने पहले ही राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। AAP नेता इस मामले में लगातार अपनी पार्टी की स्थिति का बचाव करते आ रहे हैं और इसे भाजपा के खिलाफ एक राजनीतिक साजिश करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि यह मामला पूरी तरह से झूठे आरोपों पर आधारित है और उनका कोई दोष नहीं है।
आरोप के अनुसार, आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आने के बाद शराब वितरण के नियमों में कई बदलाव किए थे, जो बाद में विवादों का कारण बने। सरकार के इस कदम को लेकर विपक्ष ने विरोध जताया और आरोप लगाया कि यह कदम भ्रष्टाचार और निजी लाभ के लिए उठाया गया।
आखिर क्यों उठे आरोप?
आबकारी नीति पर उठे आरोपों के कारण यह मामला अब दिल्ली में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि शराब वितरण के अधिकार देने के बदले रिश्वत ली गई और इस प्रक्रिया में कई अहम फैसले राजनीतिक फायदे के लिए किए गए। वहीं AAP का कहना है कि शराब नीति पूरी तरह से पारदर्शी थी और इसमें कोई भी गलत काम नहीं हुआ।
राजनीतिक प्रभाव और विधानसभा चुनाव
दिल्ली विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह मामला अब और भी गंभीर होता जा रहा है। इस मामले के कारण दिल्ली में राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है, और AAP नेता इसे राजनीतिक बदला लेने की साजिश मान रहे हैं। AAP के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal ने बार-बार यह कहा है कि उनके खिलाफ यह मामला भाजपा और केंद्र सरकार की ओर से उन्हें कमजोर करने के लिए चलाया जा रहा है।
अब, जब उपराज्यपाल ने ED को कार्रवाई की मंजूरी दे दी है, तो यह देखा जाएगा कि आगामी चुनावों में इसका क्या असर पड़ता है। AAP के लिए यह मुद्दा चुनावी लाभ को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि इससे पार्टी की छवि पर असर पड़ सकता है।
आने वाली कार्रवाई और कोर्ट की भूमिका
दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई जारी है, और इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है, यह देखना दिलचस्प होगा। अगर अदालत ने ED के आरोपों को सही माना, तो यह मामला और भी जटिल हो सकता है, और इससे AAP की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वहीं, अगर अदालत के फैसले में बदलाव आता है, तो यह पार्टी के लिए राहत का कारण हो सकता है।
कुल मिलाकर क्या होगा असर?
आबकारी नीति घोटाले के मामले में Arvind Kejriwal और मनीष सिसोदिया पर आरोप लगातार बढ़ रहे हैं। अब, जब ED को उनकी गिरफ्तारी और अभियोजन की मंजूरी मिल चुकी है, तो यह एक और राजनीतिक संकट को जन्म दे सकता है। हालांकि, AAP अपनी स्थिति का बचाव करते हुए यह दावा कर रही है कि यह सब राजनीतिक साजिश का हिस्सा है, लेकिन इसके बावजूद यह मामला आगामी चुनावों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बाकी हैं, और इस मामले के दौरान बढ़ती राजनीतिक हलचल से यह माना जा सकता है कि AAP को इसका कोई न कोई असर जरूर देखने को मिलेगा।

