
अमेरिका की अदालत में भारत के दूसरे सबसे अमीर आदमी Gautam Adani के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं। अडानी, उनके भतीजे सागर और सात अन्य व्यक्तियों पर आंध्र प्रदेश और ओडिशा के राज्य सरकारी अधिकारियों को महंगे सोलर पावर खरीदने के लिए रिश्वत देने का आरोप है। अमेरिकी न्याय विभाग (US DOJ) ने अपनी आरोपपत्र में इस बात का दावा किया है। इसमें यह भी कहा गया है कि करीब 85% रिश्वत (लगभग 1,750 करोड़ रुपये) आंध्र प्रदेश के एक शीर्ष अधिकारी को दी गई थी। इसके बावजूद, आंध्र प्रदेश के राजनीतिक दलों, विशेष रूप से सत्ताधारी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) की इस मुद्दे पर चुप्पी ने सबको चौंका दिया है।
टीडीपी की चुप्पी के तीन संभावित कारण
टीडीपी का इस मुद्दे पर चुप रहना कई कारणों से हो सकता है। पार्टी ने इस पर प्रतिक्रिया देने से पहले पूरी जानकारी इकट्ठा करने का निर्णय लिया है। टीडीपी के प्रवक्ता कोम्मारेड्डी पट्टिभीराम ने कहा, “हमें रिपोर्ट का अध्ययन करना होगा, तब जाकर हम कोई निष्कर्ष पर पहुंचेंगे। इसमें दो-तीन दिन लग सकते हैं।” वहीं, आंध्र प्रदेश के मंत्री नारा लोकेश नायडू ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि इस मुद्दे पर विधानसभा में कोई चर्चा नहीं हो रही है। अखबार ने इस पर तीन संभावित कारणों का उल्लेख किया है।

1. टीडीपी का ‘वेट एंड वॉच’ मोड
टीडीपी का इस पर चुप्पी साधना इस कारण हो सकता है कि पार्टी इस स्थिति को देखना चाहती है कि आगे क्या होता है। अमेरिका के आरोप के अनुसार, अडानी समूह ने सोलर पावर के अनुबंध हासिल करने के लिए रिश्वत दी थी, और यह रिश्वत उस समय दी गई जब आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी और जगन मोहन रेड्डी मुख्यमंत्री थे। ऐसे में टीडीपी इस समय इस मुद्दे में उलझना नहीं चाहती।

2. अडानी समूह से निवेश की उम्मीद
दूसरा कारण यह हो सकता है कि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू इस समय अडानी समूह से आंध्र प्रदेश में निवेश जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अडानी पोर्ट्स और एसईजेड लिमिटेड के प्रबंध निदेशक से मुलाकात की थी। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने एक मंत्री के हवाले से कहा, “आंध्र प्रदेश को सोलर ऊर्जा की आवश्यकता है और हम अडानी सोलर के साथ किए गए पावर पर्चेज एग्रीमेंट (PPA) को रद्द करने की स्थिति में नहीं हैं। जब 2019 में जगन सरकार आई, तो उन्होंने कई पीपीए रद्द किए थे, जिससे राज्य में पावर क्राइसिस का सामना करना पड़ा। हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते।”
3. नरेंद्र मोदी और भाजपा से रिश्तों को बनाए रखना
तीसरा कारण यह हो सकता है कि नायडू नरेंद्र मोदी और भाजपा से अपने रिश्तों को खराब नहीं करना चाहते। टीडीपी इस समय मुश्किल में है क्योंकि डिप्टी सीएम पवन कल्याण, जो जन सेना पार्टी के प्रमुख हैं और मोदी और भाजपा नेतृत्व के करीबी हैं, ने भाजपा को टीडीपी-जेएसपी गठबंधन में शामिल करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस गठबंधन ने राज्य में बड़ी जीत हासिल की है।
आंध्र प्रदेश के अन्य दलों की प्रतिक्रियाएं
पवन कल्याण की पार्टी के एक नेता ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा, “हम केवल एक क्षेत्रीय पार्टी हैं, इस समय हमारे पास प्रतिक्रिया देने के लिए कुछ नहीं है।” वहीं, वाईएसआरसीपी के नेताओं ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। हालांकि, विपक्षी दलों – कांग्रेस, सीपीआई और सीपीआई (एम) ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है।
अमेरिकी आरोपपत्र में उस अधिकारी का नाम नहीं लिया गया है जिसे रिश्वत दी गई थी। सीपीआई ने कहा कि उसने जगन मोहन रेड्डी सरकार को अडानी के साथ ‘सौदे’ को लेकर घेर लिया है। सितंबर 2021 में तेलुगु मीडिया में कई खबरें थीं कि अडानी ने रेड्डी से मुलाकात की थी। सीपीआई ने उस बैठक को ‘गुप्त बैठक’ बताया था।
सीपीआई के महासचिव डी राजा ने कहा कि भारत सरकार, विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले पर जवाब देना चाहिए। पार्टी की आंध्र प्रदेश इकाई ने इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। सीपीआई (एम) ने अपने बयान में कहा कि सीबीआई को अडानी के खिलाफ ‘भ्रष्टाचार के आरोपों’ के तहत मामला दर्ज करना चाहिए।
गौतम अडानी पर लगे आरोपों ने आंध्र प्रदेश की राजनीति में तूफान मचाया है, लेकिन टीडीपी की चुप्पी ने कई सवाल खड़े किए हैं। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए सवालों और टीडीपी की चुप्पी के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आने वाले समय में क्या कदम उठाए जाते हैं। फिलहाल, इस मुद्दे पर चर्चा बढ़ने की संभावना है, खासकर जब अन्य दल इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे।

