CPCB Report: दिल्ली में पीएम 10 और पीएम 2.5 के स्तर में 7 सालों में 13-13% की गिरावट, हालांकि शहर अन्य मेट्रो शहरों से पीछे
CPCB Report: दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक नई रिपोर्ट आशा की किरण लेकर आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले सात वर्षों में दिल्ली के वायु में पीएम 10 और पीएम 2.5 के स्तर में गिरावट आई है। दोनों प्रदूषकों के स्तर में 13-13 प्रतिशत की कमी आई है, जो एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन दिल्ली अभी भी देश के अन्य 10 मेट्रो शहरों की तुलना में पीछे है। वहीं, यूपी के प्रयागराज में सबसे ज्यादा सुधार हुआ है, जहां पीएम 10 में 59 प्रतिशत और पीएम 2.5 में 58 प्रतिशत की कमी आई है।
यह रिपोर्ट हाल ही में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) को प्रस्तुत की गई है। इसमें CPCB ने 2017-18 से 2023-24 तक दिल्ली, अहमदाबाद, बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, वाराणसी और शिमला के वायु गुणवत्ता का तुलनात्मक विश्लेषण किया। रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-18 में दिल्ली के वायु में पीएम 10 का स्तर 241 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था, जो 2018-19 में 226, 2019-20 में 192, 2020-21 में 193, 2021-22 में 196 और 2022-23 में 209 तक गिर गया। 2022-23 में 2017-18 की तुलना में 13 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।
PM 2.5 के स्तर में भी 13 प्रतिशत की कमी
वहीं, दिल्ली के वायु में पीएम 2.5 का स्तर भी कम हुआ है। 2018 में यह 121 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था, जो 2019 में 105, 2020 में 115, 2021 में 107, 2022 में 98 और 2023 में फिर से 105 तक पहुंच गया। 2023 में पीएम 2.5 में भी 2018 की तुलना में 13 प्रतिशत की कमी आई है। CPCB की रिपोर्ट के अनुसार, छह साल के वायु गुणवत्ता डेटा का विश्लेषण यह दिखाता है कि पीएम 10 और पीएम 2.5 दोनों प्रदूषकों के स्तर में गिरावट आई है, हालांकि दिल्ली अभी भी प्रदूषण के लिहाज से अन्य मेट्रो शहरों से पीछे है।
NGT ने 15 अक्टूबर को दिया था नोटिस
NGT ने 15 अक्टूबर को मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के आधार पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जवाब मांगा था। यह रिपोर्ट ‘द लांसेट’ नामक मेडिकल जर्नल से आई थी, जिसमें दिल्ली, अहमदाबाद, बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी की वायु गुणवत्ता के बारे में अध्ययन किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, इन शहरों में खराब वायु गुणवत्ता का असर मृत्यु दर पर गंभीर रूप से पड़ा है। इसी आधार पर NGT ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) को नोटिस जारी कर उनसे प्रतिक्रिया मांगी थी। CPCB ने अब इस नोटिस का जवाब दिया है।
हरियाणा के प्रदूषित नाले ने यमुनाजल में किया प्रदूषण
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने एनजीटी को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें बताया गया है कि हरियाणा के एक नाले के कारण बुराड़ी में मछलियों की मौत हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, हरियाणा से आकर यमुन नदी में मिलने वाला नाला ‘ड्रेनेज नंबर 8’ प्रदूषण का कारण बना। DPCC के अनुसार, इस नाले के पानी में अत्यधिक प्रदूषण था, और जब यह पानी यमुन में मिला, तो नदी का जल गुणवत्ता बहुत खराब हो गया, जिससे मछलियों की मौत हुई।
यह घटना जुलाई में सामने आई थी, जब बुराड़ी के आवासीय इलाकों में मछलियों की मौत से बदबू फैलने लगी थी। इस मामले में, एनजीटी ने DPCC को मौके की जांच करने का निर्देश दिया था, और उन्होंने 29 अगस्त को जांच की और जल नमूने एकत्र किए। DPCC ने कहा कि नाले के पानी में प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा था, जो यमुन नदी के पानी में घुलकर इसकी गुणवत्ता को बिगाड़ रहा था।
प्रदूषण नियंत्रण के उपायों पर ध्यान केंद्रित
CPCB और DPCC की रिपोर्टों ने दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण के उपायों पर ध्यान केंद्रित किया है। जहां एक ओर वायु प्रदूषण में कुछ कमी आई है, वहीं जल प्रदूषण और नदी प्रदूषण को लेकर गंभीर चिंताएं बनी हुई हैं। अधिकारियों का कहना है कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि न केवल वायु बल्कि जल और मृदा प्रदूषण को भी प्रभावी ढंग से कम किया जा सके।
प्रयागराज में प्रदूषण में सबसे बड़ी गिरावट
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों के कारण सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है। वहां पीएम 10 में 59 प्रतिशत और पीएम 2.5 में 58 प्रतिशत की कमी आई है। इससे यह साबित होता है कि अगर प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को सही तरीके से लागू किया जाए तो परिणाम सकारात्मक हो सकते हैं। प्रयागराज में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम किया गया है, जैसे कि औद्योगिक प्रदूषण पर कड़ी निगरानी और वाहनों के प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करना।
CPCB की रिपोर्ट ने दिल्ली और अन्य मेट्रो शहरों के प्रदूषण स्तर में एक सकारात्मक बदलाव को दर्शाया है। हालांकि दिल्ली में पीएम 10 और पीएम 2.5 के स्तर में गिरावट आई है, फिर भी यह अन्य मेट्रो शहरों के मुकाबले पीछे है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए अब भी बहुत काम किया जाना बाकी है, और विभिन्न प्रदूषण स्रोतों, जैसे कि जल और वायु प्रदूषण, पर निगरानी रखी जानी चाहिए। NGT और अन्य संबंधित एजेंसियों को इस दिशा में कठोर कदम उठाने की जरूरत है, ताकि आने वाले वर्षों में वायु और जल गुणवत्ता में सुधार हो सके और लोगों को स्वस्थ वातावरण मिल सके