Earthquake: आज सुबह लद्दाख के लेह में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.7 थी और इसका केंद्र 10 किलोमीटर की गहराई पर था। सुबह सोते हुए लोगों को भूकंप के हल्के झटके महसूस हुए। सौभाग्यवश, इस भूकंप से किसी भी तरह का कोई नुकसान या जनहानि नहीं हुई है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदाएं हमेशा हमारे आसपास हो सकती हैं, इसलिए सतर्क रहना जरूरी है।
चीन में भी भूकंप के झटके, खतरा कम लेकिन सतर्कता जरूरी
भारत के पड़ोसी देश चीन के झिंजियांग क्षेत्र में भी देर रात 4.4 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। एनसीएस के अनुसार इस भूकंप का केंद्र भी 10 किलोमीटर की गहराई पर था। फिलहाल इस भूकंप से किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है। कम गहराई वाले भूकंप ज्यादा खतरनाक माने जाते हैं क्योंकि उनकी भूकंपीय तरंगें सतह तक जल्दी पहुंचती हैं, जिससे जमीन ज्यादा हिलती है। इसीलिए, भूकंप के बाद सावधानी बरतना आवश्यक है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
भूकंप क्यों आते हैं? धरती के भीतर की टेक्टोनिक प्लेट्स की भूमिका
धरती के भीतर सात बड़ी टेक्टोनिक प्लेट्स लगातार अपनी जगह बदलती रहती हैं। कभी-कभी ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं या घर्षण उत्पन्न करती हैं, जिससे भूकंप आते हैं। ये प्राकृतिक घटनाएं मानव जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं क्योंकि भूकंप के कारण मकान गिर जाते हैं और कई बार लोगों की जान भी जाती है। हाल के समय में विश्व भर में भूकंप की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है, जिससे यह समझना और भी जरूरी हो जाता है कि हमें अपनी सुरक्षा के लिए क्या उपाय करने चाहिए।
भारत के भूकंप जोन और उनकी संवेदनशीलता
भारत के कुल भूभाग का लगभग 59 प्रतिशत हिस्सा भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है। वैज्ञानिकों ने देश को चार भूकंप जोन में बांटा है — जोन 2 से लेकर जोन 5 तक। जोन 5 सबसे संवेदनशील क्षेत्र है, जबकि जोन 2 कम संवेदनशील। दिल्ली भूकंप जोन 4 में आती है, जहां 7 या उससे अधिक तीव्रता के भूकंप आ सकते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर तबाही हो सकती है। हिमालय क्षेत्र और पूर्वोत्तर भारत के कुछ इलाकों में भूकंप का खतरा ज्यादा रहता है, क्योंकि यहां भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट टकराती हैं।
रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता और उसके प्रभाव
भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर मापी जाती है। 4 से 4.9 तीव्रता वाले भूकंप में घर का सामान गिर सकता है, जबकि 5 से 5.9 तीव्रता में भारी फर्नीचर भी हिल सकता है। 6 से 6.9 में इमारतों की नींव में दरार आ जाती है। 7 से 7.9 तीव्रता के भूकंप में इमारतें गिरने लगती हैं। 8 से 8.9 तीव्रता वाले भूकंप सुनामी का खतरा भी ला सकते हैं और 9 या उससे ऊपर के भूकंप सबसे भीषण तबाही करते हैं। इसलिए भूकंप आने पर तुरंत सुरक्षित स्थान पर जाना और जरूरी सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है।


