
India-China Relations: जहां एक ओर प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की धूम मची हुई है, वहीं श्रद्धालुओं के लिए एक और बड़ी खुशखबरी आई है। कैलाश मानसरोवर यात्रा, जो 2020 से बंद पड़ी थी, अब फिर से शुरू होने वाली है। यह घोषणा विदेश मंत्रालय ने सोमवार, 27 जनवरी, 2025 को की। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भारत और चीन के बीच विदेश सचिव-उप विदेश मंत्री के बीच आयोजित बैठक के दौरान इस बात की पुष्टि की कि कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से बहाल किया जाएगा।
बैठक में लिया गया अहम फैसला
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 26 और 27 जनवरी को बीजिंग का दौरा किया, जहां उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों पक्षों ने यह निर्णय लिया कि 2025 की गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होगी। विदेश मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दोनों देशों ने इस यात्रा को फिर से बहाल करने के लिए संबंधित तंत्र को मौजूदा समझौतों के तहत कार्य करने की सलाह दी। साथ ही, जलवायु संबंधित आंकड़ों के प्रावधान और सीमा पार नदियों से जुड़ी अन्य सहयोग पर चर्चा करने के लिए भारत-चीन विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र की जल्द ही बैठक आयोजित करने पर भी सहमति जताई।

सीधी उड़ान सेवाएं शुरू करने पर बनी सहमति
बैठक में एक और अहम बिंदु पर चर्चा की गई, और वह था दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा को फिर से शुरू करना। दोनों पक्षों ने सैद्धांतिक रूप से इस पर सहमति जताई। विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस उद्देश्य के लिए दोनों देशों के तकनीकी अधिकारी जल्द ही एक रूपरेखा पर बैठक करेंगे और विचार-विमर्श करेंगे। यह निर्णय भारतीय और चीनी नागरिकों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने और उसे सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से लिया गया है।

भारत-चीन संबंधों में सुधार
विदेश सचिव विक्रम मिस्री की यह बीजिंग यात्रा महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इस दौरान चीन-भारत संबंधों में सुधार के संकेत मिले हैं। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि पिछले साल कजान में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात के बाद से दोनों देशों के बीच सकारात्मक बातचीत का सिलसिला जारी है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति को पूरी ईमानदारी से लागू किया जा रहा है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा की ऐतिहासिक महत्व
कैलाश मानसरोवर यात्रा भारतीय श्रद्धालुओं के लिए एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक यात्रा है, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी इसका महत्व है। यह यात्रा तिब्बत के कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील तक होती है, जिसे हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों के अनुयायी पवित्र मानते हैं। इस यात्रा को वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण रोक दिया गया था, लेकिन अब 2025 में इसे फिर से शुरू करने की योजना बन चुकी है।
श्रद्धालुओं के लिए आसान यात्रा मार्ग
अब जब कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होगी, तो इसे लेकर श्रद्धालुओं में नई उम्मीदें जगी हैं। पहले यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं को मुश्किल रास्तों और कड़ी व्यवस्थाओं का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा शुरू होने से यह यात्रा आसान हो सकती है। इसके अलावा, यात्रा के दौरान होने वाली व्यवस्थाओं में भी सुधार की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे यात्रियों को अधिक सुविधाएं मिल सकेंगी।
भारत और चीन के बीच बढ़ता सहयोग
भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में काफी उतार-चढ़ाव आया है, लेकिन इस हालिया बैठक और फैसले से यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच सहयोग और संवाद को बढ़ावा देने की दिशा में काम हो रहा है। कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरुआत और सीधी उड़ान सेवा की बहाली इस बात का प्रतीक है कि दोनों देशों के बीच अब मतभेदों के बावजूद सकारात्मक बदलाव की कोशिशें जारी हैं।
विदेश सचिव की बीजिंग यात्रा और आगे की रणनीति
विदेश सचिव विक्रम मिस्री की बीजिंग यात्रा से यह भी स्पष्ट हुआ कि भारत और चीन के बीच कई अहम मुद्दों पर सहमति बन रही है। विशेष रूप से जलवायु और नदियों से जुड़े मुद्दे, जिन पर दोनों देशों ने शीघ्र ही विशेषज्ञ स्तरीय बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, सीधी उड़ान सेवा पर भी दोनों देशों के बीच एक सशक्त रणनीति विकसित की जा रही है, जिससे दोनों देशों के नागरिकों के बीच आवाजाही में सहूलियत हो सकेगी।
कैलाश मानसरोवर यात्रा का पुनरारंभ और भारत-चीन के बीच सीधी उड़ान सेवा की शुरुआत, दोनों देशों के संबंधों में नए अध्याय की शुरुआत का संकेत है। इससे न केवल धार्मिक यात्रा को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों में भी सुधार होगा। अब, कैलाश मानसरोवर यात्रा की पुनः शुरुआत भारतीय श्रद्धालुओं के लिए एक ऐतिहासिक अवसर होगा, जिसे वे लंबे समय से इंतजार कर रहे थे।

