
Maharashtra: लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की वापसी के संकेत दिखने के बाद अब पार्टी को लगातार दो बड़े झटके लगे हैं। पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार, फिर जम्मू-कश्मीर में भी निराशाजनक प्रदर्शन ने पार्टी की लोकसभा चुनावों में हासिल की गई चमक को काफी हद तक फीका कर दिया। अब महाराष्ट्र में एमवीए गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही कांग्रेस को भी करारी हार का सामना करना पड़ा है। इस हार के बाद कांग्रेस के लिए आगामी लोकसभा चुनावों में अपनी स्थिति और भी कमजोर हो सकती है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन उम्मीद से कहीं अधिक खराब रहा। जहां गुजरात में 2022 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 17 सीटें जीती थीं, वहीं महाराष्ट्र में पार्टी सिर्फ 16 सीटों तक ही सीमित रह गई। यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि महाराष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण राज्य में पार्टी को इतनी कम सीटें मिलना किसी भी तरह से सकारात्मक संकेत नहीं है।

पृथ्वीराज चव्हाण ने कांग्रेस नेतृत्व पर उठाए सवाल
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी में असंतोष का माहौल भी बन गया है। पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने चुनाव परिणामों के बीच कांग्रेस नेतृत्व पर कड़ा हमला बोला और कहा कि पार्टी की हार का एक कारण इसके नेतृत्व का कमजोर होना है। उन्होंने यह भी कहा कि चुनावी प्रचार के दौरान कांग्रेस के नेताओं की रणनीतियों में गंभीर कमी रही, जिसके कारण पार्टी को यह हार झेलनी पड़ी।

चुनावी प्रचार का विफल होना
यह चुनाव कांग्रेस के लिए खासतौर पर निराशाजनक था, क्योंकि पार्टी के दिग्गज नेता राहुल गांधी ने चुनावी प्रचार में कड़ी मेहनत की थी। राहुल गांधी ने नंदुरबार, नागपुर ईस्ट, धामणगांव, गोंदिया, नांदेड़ नॉर्थ, चिमूर आदि सीटों पर प्रचार किया, लेकिन वहां कांग्रेस के उम्मीदवार जीतने में नाकाम रहे। यह कांग्रेस के लिए एक बहुत ही नकारात्मक संकेत था, क्योंकि जब पार्टी के शीर्ष नेता प्रचार में जुटे हुए थे, तो भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
मुद्दों को लेकर कांग्रेस का नकारात्मक दृष्टिकोण
कांग्रेस ने महाराष्ट्र चुनाव में भी वही गलती की, जो उसने हरियाणा चुनाव में की थी। पार्टी ने लोकसभा चुनावों के मुद्दों को ही विधानसभा चुनावों में मुद्दा बना दिया, बजाय इसके कि वह विधानसभा चुनाव की वास्तविक स्थिति और जनता के मूड को समझ पाती। महाराष्ट्र में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के मुद्दों को जोर-शोर से उठाया, जबकि राज्य चुनावों में स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता थी। इससे पार्टी की छवि और स्थिति और कमजोर हुई।
कांग्रेस की लोकसभा चुनावों में स्थिति पर असर
महाराष्ट्र की हार के बाद कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनावों में मजबूती से वापसी करना और भी मुश्किल हो सकता है। लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस ने जो उम्मीदें जगी थीं, वह अब इन हारों से धूमिल होती नजर आ रही हैं। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में खराब प्रदर्शन और अब महाराष्ट्र की हार ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं में असंतोष बढ़ाया है। अगर पार्टी जल्द ही अपनी रणनीतियों में सुधार नहीं करती है, तो लोकसभा चुनाव में उसकी स्थिति और भी कमजोर हो सकती है।
कांग्रेस के लिए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की हार एक बड़ा झटका है, जो पार्टी के लिए आगामी समय में और भी गंभीर चुनौती पेश कर सकता है। पार्टी को अपनी रणनीतियों, नेतृत्व और चुनावी दृष्टिकोण पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की जरूरत है। कांग्रेस को यह समझना होगा कि जनता की उम्मीदें सिर्फ लोकसभा चुनावों से नहीं जुड़ी होतीं, बल्कि राज्य चुनावों के मुद्दे भी अहम होते हैं। अगर कांग्रेस ने इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया, तो उसकी लोकसभा में बढ़ी हुई ताकत धीरे-धीरे कमजोर होती जाएगी।

