भारत की वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman ने Tulsi Gabbard को अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक नियुक्त होने पर दी बधाई
भारत की वित्त मंत्री, Nirmala Sitharaman ने अमेरिकी सेना की पूर्व अधिकारी और राजनीति में सक्रिय रही Tulsi Gabbard को अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (DNI) के रूप में नियुक्त किए जाने पर बधाई दी है। तूलसी गबार्ड , जिनका सैन्य सेवा में एक मजबूत और समृद्ध रिकॉर्ड है, अब अमेरिका की 18 प्रमुख खुफिया एजेंसियों की निगरानी करेंगी। तूलसी के इस पद पर नियुक्ति से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका की खुफिया एजेंसियों में उनके अनुभव और नेतृत्व की क्षमता को महत्वपूर्ण माना गया है।
निर्मला सीतारमण ने ट्विटर (अब एक्स) पर तूलसी गबार्ड को बधाई देते हुए कहा, “आपने 21 वर्षों तक अमेरिकी सेना में सेवा दी और लेफ्टिनेंट कर्नल के पद तक पहुंचीं। मेरे द्वारा आपको शुभकामनाएं। हमारी बातचीत हमेशा प्रेरणादायक रही है।”
तूलसी गैबरड का सैन्य और राजनीतिक सफर
तूलसी गबार्ड का जीवन बहुत ही प्रेरणादायक रहा है। वह अमेरिकी सेना में 21 वर्षों तक सेवा देने के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल के पद तक पहुंची थीं। उनकी तैनाती पश्चिम एशिया और अफ्रीका के संघर्ष क्षेत्रों में तीन बार हुई, जिससे उनका सैन्य अनुभव और भी समृद्ध हुआ। इसके बाद, तूलसी ने अमेरिकी राजनीति में कदम रखा।
वह डेमोक्रेटिक पार्टी की सदस्य थीं और अमेरिकी कांग्रेस के लिए चार बार चुनाव लड़ा, लेकिन 2020 में उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी भी प्रस्तुत की थी। हालांकि, तूलसी गबार्ड ने डोनाल्ड ट्रंप के पुनः चुनाव को समर्थन देने के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ दी और फिर रिपब्लिकन पार्टी से जुड़ीं। यह कदम उनके राजनीतिक दृष्टिकोण में एक बड़ा बदलाव था, और उनके इस निर्णय ने राजनीति में हलचल मचा दी थी।
2022 में, तूलसी गबार्ड ने डेमोक्रेटिक पार्टी से अपनी राह अलग कर ली और रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हो गईं। इस बदलाव के बाद, डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें अपनी सरकार में शामिल करने का फैसला लिया। अब, वह राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (DNI) के रूप में 18 खुफिया एजेंसियों का समन्वय करेंगी और अमेरिका की खुफिया सुरक्षा को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी संभालेंगी।
तूलसी गबार्ड की विवादास्पद बयानबाजी
तूलसी गबार्ड अपने विवादास्पद बयानों और सैन्य हस्तक्षेप के खिलाफ खड़े होने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने कई बार अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप की आलोचना की है। उदाहरण के तौर पर, जब यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शब्दों का समर्थन किया, तो यह बयान काफी चर्चा में आया। साथ ही, उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की भी आलोचना की और कहा कि अमेरिका को युद्ध के बजाय कूटनीतिक रास्ते अपनाने चाहिए।
इसके अलावा, उन्होंने 2017 में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद से मुलाकात की थी, जबकि 2012 में अमेरिका ने सीरिया के साथ कूटनीतिक संबंध तोड़ लिए थे। इन घटनाओं ने तूलसी गबार्ड को कड़ी आलोचना का शिकार बनाया था। इसके बावजूद, उनके पास राजनीतिक और सैन्य अनुभव की ऐसी समृद्धि है कि उनके निर्णयों को गंभीरता से लिया जाता है।
राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में तूलसी की भूमिका
तूलसी गबार्ड की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में नियुक्ति एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पद पर उनका अनुभव और नेतृत्व क्षमता निश्चित रूप से अमेरिकी खुफिया विभाग को एक नई दिशा देगी। उनके सामने खुफिया एजेंसियों के समन्वय, सुरक्षा मुद्दों पर निर्णय लेने और अमेरिका के हितों की रक्षा करने की बड़ी जिम्मेदारी होगी।
इसके अलावा, तूलसी गबार्ड के राजनीतिक दृष्टिकोण और उनके द्वारा उठाए गए विवादास्पद कदमों को देखते हुए, यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका नेतृत्व खुफिया विभाग में किस प्रकार का परिवर्तन लाएगा।
ट्रंप प्रशासन और तूलसी गबार्ड
तूलसी गबार्ड की नियुक्ति के बाद, डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी उम्मीद जताई है कि तूलसी गबार्ड अपनी नई भूमिका में उत्कृष्ट कार्य करेंगी। ट्रंप का मानना है कि तूलसी गैबरड के नेतृत्व में अमेरिकी खुफिया विभाग और अधिक मजबूत होगा। ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्हें विश्वास है कि गैबरड अमेरिकी खुफिया एजेंसियों में उत्कृष्टता लाएंगी।
ट्रंप ने यह भी घोषणा की है कि वह जनवरी 2025 में वाशिंगटन लौटेंगे, जहां तूलसी गबार्ड के साथ वह अपनी योजनाओं पर काम करेंगे और खुफिया सुरक्षा को लेकर अपनी प्राथमिकताओं को साझा करेंगे।
भविष्य की दिशा
तूलसी गबार्ड की नियुक्ति अमेरिकी राजनीति में एक नया मोड़ साबित हो सकती है। उनका सैन्य और राजनीतिक अनुभव उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिए उपयुक्त बनाता है। अब यह देखना बाकी है कि वह अमेरिकी खुफिया विभाग को किस दिशा में ले जाती हैं। साथ ही, उनके निर्णय अमेरिकी राजनीति और सुरक्षा पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।
तूलसी गबार्ड का यह कदम न केवल उनके व्यक्तिगत करियर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अमेरिकी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी एक नया अध्याय खोल सकता है। उनका सामरिक दृष्टिकोण और कूटनीति में गहरी रुचि उन्हें इस पद पर उपयुक्त उम्मीदवार बनाती है।
इस प्रकार, तूलसी गबार्ड का राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में कार्यभार ग्रहण करना अमेरिकी राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली कदम साबित होगा।