भारत आगामी G-20 शिखर सम्मेलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जहां वह ब्राजील घोषणा पत्र पर सहमति बनाने में मदद करेगा। इस सम्मेलन का आयोजन 18-19 नवम्बर को ब्राजील में होगा, और इसमें पीएम नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में भारत उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेजेगा। इस सम्मेलन के दौरान भारत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर वैश्विक सहमति बनाने की कोशिश करेगा, जिनमें गरीब देशों पर बकाया कर्ज का बोझ कम करना और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के स्थान पर पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना शामिल है।
ब्राजील घोषणा पत्र पर सहमति की चुनौती
गौरतलब है कि पिछले साल न्यू दिल्ली घोषणा पत्र पर भी कुछ इसी प्रकार की जटिलताएँ आई थीं। उस समय ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसे देशों ने भारत की मदद की थी ताकि सहमति स्थापित की जा सके। इस बार भारत भी अपने प्रभाव का उपयोग करेगा ताकि विकासशील देशों के लिए जरूरी मुद्दों पर सहमति बनाई जा सके, जैसे कि कर्ज में डूबे देशों को राहत प्रदान करना और स्वच्छ ऊर्जा के लिए धन जुटाना।
पीएम मोदी का तीन-राष्ट्र दौरा
पीएम मोदी 16 नवम्बर से तीन देशों की यात्रा पर जाएंगे। उनकी यात्रा की शुरुआत नाइजीरिया से होगी (16-17 नवम्बर)। इसके बाद वह ब्राजील जाएंगे (18-19 नवम्बर) और फिर गुयाना का दौरा करेंगे। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, यह भारतीय प्रधानमंत्री का 17 साल बाद नाइजीरिया का दौरा है, जबकि पीएम मोदी गुयाना की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे, इससे पहले 1968 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी गुयाना गई थीं।
विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव जयदीप मजुमदार ने बताया कि गुयाना के साथ भारत के आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने की संभावना है। गुयाना में पीएम मोदी भारत और CARICOM (कैरिबियाई समुदाय और सामान्य बाजार) के नेताओं के साथ बैठक भी करेंगे, जो भारत का CARICOM के साथ दूसरा सम्मेलन होगा। पहला सम्मेलन न्यूयॉर्क में पीएम मोदी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था।
G-20 शिखर सम्मेलन का थीम
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने G-20 शिखर सम्मेलन के बारे में कहा कि इस बार ब्राजील द्वारा रखा गया सम्मेलन का थीम पिछले साल भारत के नेतृत्व में हुए सम्मेलन की भावना को आगे बढ़ाता है। इस वर्ष का विषय ‘भुखमरी और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन, सतत विकास, ऊर्जा संक्रमण और वैश्विक संस्थाओं का सुधार’ है। पिछले वर्ष जब भारत ने G-20 सम्मेलन की मेज़बानी की थी, तो इन तीन मुद्दों को प्राथमिकता के रूप में उठाया गया था। भारत ने खाद्य सुरक्षा के मुद्दे को प्रमुख रूप से उठाया था, जो भुखमरी को समाप्त करने के लिए जरूरी है।
वैश्विक नेताओं की भागीदारी
इस शिखर सम्मेलन में विश्वभर के शीर्ष नेता भाग लेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग जैसी बड़ी हस्तियाँ इसमें भाग लेंगी। पीएम मोदी के कुछ नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की संभावना है।
विकासशील देशों का समर्थन
डिप्लोमैटिक सूत्रों ने बताया कि वैश्विक संगठनों में सुधार और गरीब एवं विकासशील देशों पर बकाया कर्ज के मुद्दे पर G-20 सदस्य देशों के शेरपा बैठक में कोई विशेष सहमति नहीं बन पाई थी। हालांकि, यह मुद्दे ऐसे हैं जिन पर चर्चा जारी रहेगी और घोषणापत्र जारी होने तक सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी। भारत इन मुद्दों पर पहले ही विकासशील देशों का समर्थन कर चुका है।
पिछले वर्ष भारत की पहल पर अफ्रीकी संघ को G-20 का सदस्य बनाया गया था। इस वर्ष, अफ्रीकी संघ के नेताओं की पहली बार इस सम्मेलन में भागीदारी होगी। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत ने G-20 के मंच पर विकासशील देशों की आवाज़ को मजबूती से उठाया है और वैश्विक नीति निर्माण में उनका स्थान सुनिश्चित किया है।
भारत G-20 शिखर सम्मेलन में अपनी निर्णायक भूमिका को और मजबूती से स्थापित करेगा। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए विश्व समुदाय के साथ सहयोग को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा। यह सम्मेलन न केवल वैश्विक मुद्दों पर सहमति बनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा, बल्कि भारत के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।