
Justice Sanjiv Khanna: भारत की न्यायिक व्यवस्था में आज एक नया अध्याय जुड़ गया है। जस्टिस संजीव खन्ना ने देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस ऐतिहासिक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की सेवानिवृत्ति के बाद जस्टिस खन्ना ने उनका स्थान लिया। उनका कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा। इस नियुक्ति से न्यायपालिका में सुधार और सशक्तिकरण की नई उम्मीदें जागी हैं।
जस्टिस संजीव खन्ना की नियुक्ति का महत्व:
जस्टिस संजीव खन्ना ऐसे समय में मुख्य न्यायाधीश बने हैं, जब न्याय प्रणाली को सुधारने की आवश्यकता स्पष्ट रूप से महसूस की जा रही है। न्यायालयों में लंबित मामलों का बोझ तेजी से बढ़ रहा है और जनसामान्य को समय पर न्याय प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है। जस्टिस खन्ना का न्यायिक दृष्टिकोण, तर्कशीलता, और पारदर्शिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता न्याय प्रणाली में सुधार की दिशा में अहम कदम साबित हो सकते हैं। पिछले चार वर्षों के दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण मामलों पर साहसिक और निष्पक्ष फैसले दिए हैं।


जस्टिस खन्ना का व्यक्तिगत और न्यायिक जीवन:
14 मई 1960 को जन्मे जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में अपना पंजीकरण कराया। एक होनहार और अनुभवी वकील के रूप में उनकी पहचान बनी। 2005 में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया, और इसके बाद 2006 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में उनके कार्य को मान्यता मिली। 18 जनवरी 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए।
परिवारिक पृष्ठभूमि और न्यायिक दृष्टिकोण:
जस्टिस संजीव खन्ना एक प्रतिष्ठित न्यायिक परिवार से आते हैं। उनके पिता जस्टिस देव राज खन्ना दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे हैं, और उनके चाचा एच. आर. खन्ना सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ न्यायाधीश थे। एच. आर. खन्ना का नाम मानवाधिकार और संविधान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए इतिहास में दर्ज है। इस न्यायिक परंपरा को जस्टिस संजीव खन्ना ने भी अपनी न्यायिक शैली में बनाए रखा है।
महत्वपूर्ण फैसलों में भूमिका:
जस्टिस खन्ना ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण मामलों पर अहम फैसले दिए हैं। 2019 में उन्होंने चुनावी बॉन्ड योजना की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए इसका विरोध किया। उन्होंने अनुच्छेद 370 के हटाने के मामले में भी महत्वपूर्ण निर्णय दिए, जिससे जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किया गया। उनके इन फैसलों ने न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और जनता के विश्वास को मजबूत किया है।
कार्यशैली और न्यायिक दृष्टिकोण:
जस्टिस संजीव खन्ना को उनके खुले दृष्टिकोण और तर्कशीलता के लिए जाना जाता है। वे न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर बल देते हैं। उनके फैसलों में सामाजिक सरोकार, सार्वजनिक हित और तर्क की प्रधानता रहती है। न्याय प्रणाली को जनसामान्य के लिए सुलभ और तेज़ बनाना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में चुनौतियाँ और प्राथमिकताएँ:
मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद जस्टिस संजीव खन्ना के सामने कई अहम चुनौतियाँ हैं। देश में न्यायिक मामलों के तेजी से निपटारे की आवश्यकता स्पष्ट है। उन्होंने हमेशा लंबित मामलों को कम करने पर जोर दिया है और अब उन्हें इस पर विशेष ध्यान देना होगा। न्यायालयों के डिजिटलीकरण, जजों की कमी, और जनता को समय पर न्याय दिलाने के लिए वह कई सुधारात्मक कदम उठा सकते हैं।
न्यायपालिका में सुधार की दृष्टि:
जस्टिस संजीव खन्ना न्यायपालिका को सशक्त और जनसामान्य के लिए सुलभ बनाने के पक्षधर हैं। उनके अनुसार, तकनीकी बदलाव के साथ-साथ न्याय प्रणाली में एक संगठित और सुव्यवस्थित प्रणाली की आवश्यकता है। वे न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और त्वरित निर्णयों की वकालत करते हैं, जिससे न्यायपालिका में जनता का विश्वास बढ़ेगा।
भविष्य की योजनाएँ और दृष्टिकोण:
जस्टिस संजीव खन्ना का नेतृत्व न्यायपालिका में एक नई दिशा की ओर संकेत कर रहा है। उनकी प्राथमिकता न्याय प्रणाली में पारदर्शिता और न्याय के त्वरित वितरण पर केंद्रित होगी। डिजिटल न्याय प्रणाली को सशक्त करना, उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति, और लंबित मामलों को कम करना उनकी प्रमुख योजनाओं में शामिल है। उनका कार्यकाल न केवल न्यायपालिका बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण समय माना जा रहा है।
जस्टिस संजीव खन्ना की मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति भारत की न्यायिक प्रणाली के लिए एक नया अध्याय है। उनके फैसलों और दृष्टिकोण से न्यायपालिका में सुधार की उम्मीद की जा रही है। न्याय प्रणाली को सशक्त और प्रभावी बनाने के उनके प्रयास न्याय के नए मानदंड स्थापित करेंगे।

