राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने असम और पूर्वोत्तर के युवाओं से अपील की है कि वे संगठन के बारे में पूर्वाग्रह या प्रेरित प्रचार के आधार पर कोई राय न बनाएं। अपने तीन दिवसीय दौरे के अंतिम दिन युवा नेतृत्व सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आरएसएस अब सार्वजनिक चर्चा का विषय बन चुका है लेकिन इन चर्चाओं में तथ्यात्मक जानकारी होनी चाहिए। भागवत ने कहा कि संघ के बारे में आधे से अधिक जानकारियां अंतरराष्ट्रीय मंचों और डिजिटल स्रोतों पर गलत या अधूरी हैं।
आरएसएस के खिलाफ गलत सूचना और संगठन का उद्देश्य
भागवत ने मीडिया द्वारा आरएसएस के खिलाफ जानबूझकर चलाए जा रहे गलत सूचना अभियानों पर कड़ा आरोप लगाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ का प्राथमिक लक्ष्य भारत को विश्वगुरु बनाना है। इसके लिए जरूरी है कि राष्ट्र का उत्थान हो, जो समाज के उत्थान के बिना संभव नहीं है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे विकसित देशों के इतिहास का अध्ययन करें और देखें कि कैसे पहले के सौ वर्षों में उन्होंने अपनी सामाजिक एकता और गुणात्मक शक्ति को मजबूत किया। यही रास्ता भारतीय समाज को भी अपना लेना चाहिए।
विविधता में एकता: भारत की महानता का रहस्य
भागवत ने कहा कि भारत की महानता उसकी विविधताओं में निहित है। भाषा, क्षेत्र, और आस्था के भिन्नता के बावजूद भारत ने हमेशा इन्हें सम्मान दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग भारत से अलग हुए, उन्होंने अपनी परंपराओं को खो दिया। उन्होंने दावा किया कि हिंदू समाज विविधता का सम्मान करता है और संघ का उद्देश्य भी ऐसे समाज का निर्माण करना है जो एकता के साथ गुणात्मक हो। भारत की सांस्कृतिक विरासत का आधार ही यही विविधता में समरसता है।
समाज की मजबूती से देश का भविष्य सुधरेगा
आरएसएस प्रमुख ने जोर देकर कहा कि जब तक भारतीय समाज संगठित और गुणात्मक नहीं होगा, तब तक देश का भाग्य नहीं बदलेगा। संघ का उद्देश्य जमीनी स्तर पर गैर-राजनीतिक सामाजिक नेतृत्व तैयार करना है। व्यक्ति का निर्माण होना जरूरी है क्योंकि व्यक्ति में गुण आएंगे तभी समाज में बदलाव आएगा। जब समाज बदलेगा तब देश की व्यवस्थाएं भी सकारात्मक रूप में बदलेंगी। उन्होंने युवाओं को संघ की शाखाओं की गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि वे खुद अनुभव कर सकें कि यह संगठन व्यक्तित्व विकास पर कितना जोर देता है।
जातीय हिंसा के बाद पहली बार मणिपुर का दौरा करेंगे भागवत
दो साल पहले मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा के बाद मोहन भागवत पहली बार 20 नवंबर को मणिपुर का दौरा करेंगे। इस दौरान वे नागरिकों, उद्यमियों और आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। इंफाल के कोंजेंग लेइकाई में आयोजित कार्यक्रम में वे उद्यमियों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों से मिलेंगे। अगले दिन भागवत मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों के आदिवासी नेताओं से मुलाकात कर उनके मुद्दों और जरूरतों को समझेंगे। यह दौरा संगठन के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इससे पूर्वोत्तर में सामाजिक समरसता और विकास को बढ़ावा मिलेगा।



