दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) एक बार फिर विवाद और हिंसा के आरोपों में घिर गई है। 15 अक्टूबर 2025 को JNU के स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज में एक जनरल बॉडी मीटिंग (GBM) आयोजित की गई थी। इस बैठक के दौरान दो छात्र समूहों के बीच तीव्र झड़प हो गई। मिली जानकारी के अनुसार इस झड़प में कई छात्र और छात्राएं घायल हुईं। इस घटना ने विश्वविद्यालय के शांतिपूर्ण माहौल को हिला कर रख दिया है और सोशल मीडिया पर भी इसकी खबर तेजी से फैल रही है।
हिंसा के लिए ABVP और वामपंथी संगठन एक-दूसरे पर आरोप
घटना को लेकर SFI और AISA, जो कि वामपंथी छात्र संगठन हैं, का आरोप है कि ABVP के सदस्य बैठक को भड़काने के लिए जिम्मेदार हैं। वहीं ABVP का कहना है कि यह झड़प उस समय शुरू हुई जब वामपंथी काउंसलर ने उत्तर प्रदेश और बिहार के छात्रों सहित ABVP से जुड़े छात्रों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियाँ कीं। दोनों छात्र समूह एक-दूसरे पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा रहे हैं। ABVP ने वामपंथी संगठनों पर तीखा हमला करते हुए कहा कि JNU में आयोजित जनरल बॉडी मीटिंग में वामपंथी काउंसलर ने अत्यंत भेदभावपूर्ण और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया।
महिला छात्रों पर हमले का आरोप
ABVP का दावा है कि जब उनके छात्र शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे और लोकतांत्रिक तरीके से अपने विचार रख रहे थे, तभी वामपंथी छात्रों ने उन पर हमला कर दिया। इस झड़प में कई छात्राएं और छात्र घायल हुए। ABVP ने इसे बेहद शर्मनाक और निंदनीय बताया। संगठन ने कहा कि किसी भी महिला छात्रा पर हिंसक हमला करना न केवल JNU की परंपरा के खिलाफ है, बल्कि यह समाज में छात्राओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए खतरा भी है। इस घटना ने विश्वविद्यालय के लोकतांत्रिक और बौद्धिक माहौल को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
लोकतंत्र और समानता का संदेश
JNU प्रशासन और ABVP दोनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और कहा कि यह विश्वविद्यालय की लोकतांत्रिक और बौद्धिक परंपराओं पर सीधे हमला है। JNU छात्र संघ के संयुक्त सचिव वैभव मीणा ने कहा कि मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन असहमति के जवाब में हिंसा करना और क्षेत्रीय नफरत फैलाना लोकतंत्र के खिलाफ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश, बिहार या किसी भी राज्य के छात्र सभी के लिए समान सम्मान रखते हैं। किसी को भी क्षेत्र, विचारधारा या संगठन के आधार पर किसी को अपमानित या हमला करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने सभी छात्र संगठनों से अपील की कि वे विवादों को शांति और संवाद के जरिए सुलझाएं।


