
Delhi Metro News: दिल्ली मेट्रो में एक विज्ञापन पर हंगामा मच गया, जिसमें रेप मामले में सजा काट रहे आसाराम बापू की तस्वीर लगी थी। मेट्रो के कोच में यह पोस्टर दिखाई दिया, जिसके बाद यात्रियों ने गुस्से में आकर सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की। यात्रियों ने इस पोस्टर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की और दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) से इस पर जवाब मांगा।
आसाराम बापू की तस्वीर वाले इस विज्ञापन के खिलाफ सोशल मीडिया पर तीव्र प्रतिक्रिया हुई। यूजर्स ने पूछा कि दिल्ली मेट्रो में एक अपराधी की तस्वीर क्यों लगाई गई, जबकि वहां रोज़ाना लाखों महिलाएं यात्रा करती हैं। यह विज्ञापन 14 फरवरी को पेरेंट्स डे के अवसर पर लगाया गया था, जिसमें आसाराम बापू की तस्वीर और ऊपर लिखा था, “पूज्य संत आसाराम बापू से प्रेरित।”

दिल्ली मेट्रो का जवाब
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने सोशल मीडिया पर लोगों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, “डीएमआरसी ने लाइसेंसधारियों को तुरंत यह विज्ञापन मेट्रो परिसर से हटाने का आदेश दिया है। इन विज्ञापनों को हटाने की प्रक्रिया रात से शुरू हो जाएगी, लेकिन इसमें थोड़ा समय लग सकता है।”

इसके साथ ही डीएमआरसी ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस विज्ञापन को जल्द से जल्द हटाएंगे, लेकिन प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है। डीएमआरसी के इस बयान के बाद यात्रियों और सोशल मीडिया यूजर्स ने राहत की सांस ली, लेकिन फिर भी इस घटना को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा।
सोशल मीडिया पर बेकाबू गुस्सा
सोशल मीडिया पर इस विज्ञापन को लेकर कई सवाल उठाए गए। एक यूजर ने पूछा, “दिल्ली मेट्रो में रेपिस्ट आसाराम का फोटो क्यों लगाया गया है? सरकार किस बात को साबित करने की कोशिश कर रही है?” उन्होंने यह भी सवाल किया कि, “लाखों लड़कियां हर दिन मेट्रो में सफर करती हैं, ऐसे में इस तरह के विज्ञापन का क्या उद्देश्य है?” इस सवाल के बाद और भी कई लोगों ने इस विज्ञापन पर अपनी नाराजगी जताई और इसे समाज के लिए एक गलत संदेश बताया।
आसाराम बापू की सजा और हालिया घटनाक्रम
आसाराम बापू को दो बलात्कार मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। एक मामला सूरत और दूसरा मामला जोधपुर से संबंधित है। आसाराम पर आरोप था कि उन्होंने अपनी शरण में आई दो लड़कियों के साथ बलात्कार किया था। हालांकि, हाल ही में स्वास्थ्य कारणों से सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को अंतरिम जमानत दी है, जो 31 मार्च तक प्रभावी रहेगी।
दिल्ली मेट्रो मे लगे है बलत्करी आशाराम के फोटो🤑
एक बलात्कारी का फोटो दिल्ली मेट्रो मे लगा कर क्या साबित कर रही है सरकार? 🤨🤨जीस रेल से रोज लाखों लड़कियां मुसाफिर करती है उसमें इस बलात्कारी की फोटो क्यों? pic.twitter.com/qp4iaLpxr8
— VIKRAM (@Gobhiji3) February 7, 2025
आसाराम के खिलाफ यह मामला पिछले कई सालों से चर्चा में है। उनकी गिरफ्तारी के बाद से ही उनका नाम विवादों में घिरा हुआ है। उनकी सजा के बाद भी उनके समर्थक उन्हें संत के रूप में मानते हैं, जबकि उनके खिलाफ बड़ी संख्या में लोग आरोप लगा चुके हैं कि उन्होंने समाज के निर्दोष बच्चों और महिलाओं का शोषण किया।
14 फरवरी के पेरेंट्स डे पर विज्ञापन विवाद
14 फरवरी को पेरेंट्स डे के अवसर पर आसाराम बापू का विज्ञापन दिल्ली मेट्रो में देखा गया। इस विज्ञापन में आसाराम की तस्वीर के साथ लिखा था, “पूज्य संत आसाराम बापू से प्रेरित।” यह पोस्टर पेरेंट्स डे के जश्न के लिए लगाया गया था, लेकिन इसकी जगह का चयन और इसकी सामग्री ने विवाद खड़ा कर दिया। लोग इस पर सवाल उठाने लगे कि आखिर एक ऐसे व्यक्ति का प्रचार क्यों किया जा रहा है, जिसे अपराधी साबित किया गया है।
विज्ञापन के खिलाफ तीव्र प्रतिक्रियाओं के बाद, दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने इसे हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। हालांकि, यह सवाल फिर भी उठता है कि इस प्रकार के विज्ञापनों को पहले कैसे मंजूरी दी गई, जबकि दिल्ली मेट्रो का एक बड़ा हिस्सा महिलाओं से भरा रहता है और उन्हें सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण प्रदान करने की जिम्मेदारी है।
यात्रियों की सुरक्षा और सम्मान
दिल्ली मेट्रो में हर रोज़ लाखों लोग यात्रा करते हैं, जिनमें महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल हैं। ऐसे में इस प्रकार के विज्ञापन को मेट्रो में जगह देने का सवाल उठता है, क्योंकि यह न केवल यात्रियों की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है, बल्कि यह महिलाओं के सम्मान पर भी सवाल खड़ा करता है। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर महिलाओं ने भी अपनी चिंता जताई और यह पूछा कि मेट्रो जैसी सार्वजनिक जगह पर इस प्रकार के विज्ञापन क्यों लगाए जाते हैं।
विज्ञापन की मंजूरी और सुरक्षा संबंधी चिंताएं
यह घटना एक और बार यह सवाल उठाती है कि दिल्ली मेट्रो जैसे सार्वजनिक स्थानों पर विज्ञापनों की मंजूरी कैसे दी जाती है। क्या इन विज्ञापनों को मंजूरी देने से पहले किसी प्रकार की जांच होती है, ताकि समाज पर उनके प्रभाव का आकलन किया जा सके? क्या यह विज्ञापन केवल व्यावसायिक उद्देश्य से होते हैं या इनकी सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी भी होती है?
डीएमआरसी के द्वारा इसे हटाने का फैसला हालांकि सही दिशा में कदम है, लेकिन यह सवाल उठता है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से कैसे बचा जा सकता है।
दिल्ली मेट्रो में आसाराम बापू के पोस्टर का मामला एक बार फिर से हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि सार्वजनिक स्थानों पर दिए जाने वाले विज्ञापनों की मंजूरी प्रक्रिया कितनी प्रभावी और संवेदनशील होनी चाहिए। यह घटनाक्रम केवल एक विज्ञापन विवाद नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जो महिलाओं और बच्चों के सम्मान, सुरक्षा और अधिकारों से जुड़ा है। ऐसे विज्ञापनों पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी को सही तरीके से निभाया जा सके।

