
K.L. Saigal: हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता कुंदन लाल सहगल यानी के.एल. सहगल ने स्वतंत्रता पूर्व भारतीय फिल्म उद्योग को अपनी दमदार अदाकारी से एक विशेष पहचान दिलाई। उनके समान ही उनके एक छोटे चचेरे भाई ने भी सिनेमा की दुनिया में अपने अभिनय कौशल से राज किया।
आज इस लेख में हम के.एल. सहगल के उसी छोटे भाई के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो 1960 और 1970 के दशक के बीच फिल्म जगत के दिग्गज कलाकारों की सूची में शामिल थे।
के.एल. सहगल के चचेरे भाई कौन थे?
1932 से 1947 तक, के.एल. सहगल बॉलीवुड में अभिनेता के रूप में सक्रिय रहे। इस दौरान उन्होंने ज़िंदा लाश, यहूदी की लड़की और देवदास जैसी कई फिल्मों के जरिए प्रशंसकों का दिल जीता। उनकी तरह ही उनके चचेरे भाई मदन पुरी ने भी सिनेमा की दुनिया में बड़ा नाम कमाया।

दरअसल, के.एल. सहगल के पिता अमरचंद सहगल और मदन पुरी के पिता सरदार निहाल सिंह पुरी चचेरे भाई थे। इसी रिश्ते के आधार पर के.एल. सहगल और मदन पुरी भी चचेरे भाई थे।

मदन पुरी को विरासत में मिला अभिनय का गुण
के.एल. सहगल, मदन पुरी से काफी बड़े थे और मदन ने अभिनय की विरासत अपने बड़े भाई से ही पाई।
मदन पुरी के असली भाई थे अमरीश पुरी
केवल के.एल. सहगल ही नहीं, मदन पुरी का संबंध हिंदी सिनेमा के मशहूर खलनायक अमरीश पुरी से भी था। असल में, मदन और अमरीश पुरी सगे भाई थे। मदन, अमरीश से बड़े थे और उनके छोटे भाई के फिल्मी करियर की शुरुआत से पहले ही मदन पुरी ने फिल्मी दुनिया में अपनी खास पहचान बना ली थी।
1960 के दशक से लेकर 1970 तक, मदन पुरी ने हिंदी सिनेमा में एक अभिनेता के रूप में अपनी पकड़ मजबूत की। इस अवधि में उन्होंने नकारात्मक और सकारात्मक दोनों भूमिकाओं में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया। मुख्य अभिनेता होने के साथ-साथ, उन्होंने सहायक भूमिकाओं में भी काफी लोकप्रियता हासिल की।
मदन पुरी की प्रसिद्ध फिल्में
मदन पुरी ने अपने करियर में कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया। उनकी कुछ मशहूर फिल्में निम्नलिखित हैं:
- काला बाज़ार
- गैंबलर
- बीस साल बाद
- कश्मीर की कली
- उपकार
- अराधना
- कटि पतंग
फिल्म ‘खजांची’ से की शुरुआत
मदन पुरी ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1941 की फिल्म ‘खजांची’ से की थी। 1940 से 1950 के दशक के दौरान उन्होंने कई फिल्में कीं, लेकिन 1960 के बाद उनका करियर ऊंचाई पर पहुंचा। इस अवधि में उन्होंने सिनेमा की दुनिया में अपने अभिनय से अलग पहचान बनाई।
मदन पुरी का करियर और अंत
1960 और 1970 के दशक में, मदन पुरी ने बॉलीवुड में सहायक और नकारात्मक भूमिकाओं में खुद को स्थापित किया। उनके अभिनय का हर किरदार, चाहे वह खलनायक हो या सकारात्मक भूमिका, दर्शकों को हमेशा याद रहा।
1985 में 69 वर्ष की उम्र में मदन पुरी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
के.एल. सहगल और मदन पुरी, दोनों ही भारतीय सिनेमा के दो बड़े स्तंभ थे। जहां के.एल. सहगल ने स्वतंत्रता पूर्व सिनेमा में अपनी छाप छोड़ी, वहीं मदन पुरी ने 1960 और 1970 के दशक में अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल जीता। उनकी फिल्में और अभिनय कला आज भी सिनेमा प्रेमियों को प्रेरित करती हैं।
मदन पुरी और उनके छोटे भाई अमरीश पुरी ने हिंदी सिनेमा को जो योगदान दिया, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।

