CJI Chandrachud: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को अपनी न्यायिक सेवा के बारे में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि उनके दिल में समाज के प्रति दया का भाव ही उन्हें एक जज के रूप में बनाए रखता है। अपनी सेवानिवृत्ति के नज़दीक आते हुए उन्होंने बताया कि न्यायपालिका में जांच के तत्व के साथ-साथ न्यायधीशों के लिए दया और करुणा का भाव भी अनिवार्य है। उनके अनुसार, न्यायिक जांच के तत्व के साथ साथ, समाज के प्रति करुणा का भाव न्यायपालिका के कार्य को दिशा प्रदान करता है। वह आगामी 10 नवंबर को अपने पद से सेवानिवृत्त होंगे।
दलित छात्र के पक्ष में निर्णय की कहानी
इस कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने एक ऐसी घटना का उल्लेख किया जिसमें एक गरीब दलित छात्र की मदद की गई। इस छात्र के पास आईआईटी धनबाद में प्रवेश शुल्क के लिए आवश्यक धनराशि नहीं थी। केवल 17,500 रुपये के अभाव में उसका भविष्य अधर में था। इस मामले में न्यायालय ने हस्तक्षेप कर उस छात्र को राहत प्रदान की जिससे वह कॉलेज में दाखिला ले सका। चंद्रचूड़ ने कहा, “यदि हमने उसे सहायता नहीं दी होती, तो वह छात्र आज उस शिक्षा के अवसर से वंचित रह जाता जो उसके जीवन को बदल सकती थी।”
राजस्थान हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ वकीलों की शिकायत
इसी दिन राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, जयपुर ने राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव के खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को शिकायत पत्र लिखा। वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश के कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए शिकायत की और इस मुद्दे पर दीवाली स्नेह मिलन का भी बहिष्कार किया।
वकीलों ने रजिस्ट्रार सिस्टम में सुधार, अर्जेंट मामलों को प्राथमिकता, बार के सुझावों को लागू करने और हाई कोर्ट में हाइब्रिड मोड के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा सुनवाई की मांग की। इस बार विशेष बेंच की स्थापना की भी मांग की गई ताकि जेल में बंद आरोपियों के मामलों की सुनवाई जल्दी हो सके। वर्तमान में तीन हजार से अधिक जमानत याचिकाएं लंबित हैं।
केरल हाई कोर्ट: जीवन के अधिकार में स्तनपान का अधिकार शामिल
इस बीच केरल हाई कोर्ट ने एक अभूतपूर्व निर्णय में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार में मां का स्तनपान कराना और बच्चे का स्तनपान करना, दोनों शामिल हैं। इस फैसले ने बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कोर्ट ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें एक स्तनपान कर रहे बच्चे की अभिरक्षा उसके पिता को सौंप दी गई थी।
न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि बच्चे की मां के साथ रहने के निर्णय में कमेटी का नैतिक दृष्टिकोण न आना चाहिए। कमेटी का एकमात्र उद्देश्य बच्चे के सर्वोत्तम हित को सुनिश्चित करना होना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश की भूमिका और संवेदनशील निर्णय
न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने अपने अनुभवों में मानवीय संवेदनाओं के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि समाज की कमजोर और वंचित तबकों के लिए न्यायाधीशों में संवेदना का भाव होना आवश्यक है। यही भाव उनके कार्यों को प्रेरित करता है और उन्हें न्यायाधीश के रूप में टिकाए रखता है।