दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पहले से ही गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे गाजियाबाद में औद्योगिक इकाइयों द्वारा जारी दमघोंटू धुआं स्थानीय जनता की जानलेवा परेशानी बनता जा रहा है। शहर की हवा पहले से ही खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है और अब इन अनियंत्रित औद्योगिक उत्सर्जनों ने स्थिति और भी गंभीर कर दी है। हाल ही में एक जागरूक नागरिक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर औद्योगिक धुएं की तस्वीरें साझा कर प्रशासन और यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) का ध्यान इस समस्या की ओर आकर्षित किया है।
हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर पर पहुंची
गाजियाबाद की हवा की गुणवत्ता इतनी खराब हो चुकी है कि यहाँ का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 से ऊपर पहुंच गया है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। सांस लेना लोगों के लिए मुश्किल हो गया है। गले में खराश, खांसी, और सांस की अन्य बीमारियों के मरीज अस्पतालों में बढ़ रहे हैं। बच्चे, बुजुर्ग और सांस संबंधी बीमारी से पीड़ित लोग सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। यह प्रदूषण सिर्फ असहनीय ही नहीं बल्कि जानलेवा भी साबित हो रहा है।
औद्योगिक इकाइयों से निकल रहा जहरीला धुआं
शहरी नागरिक सचिन त्यागी ने एक्स प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गई तस्वीरों में दिखाया कि कैसे गाजियाबाद की कई औद्योगिक इकाइयां बिना किसी फिल्टर सिस्टम के काला, जहरीला धुआं सीधे वातावरण में छोड़ रही हैं। इस धुएं में जहरीले रसायन मौजूद होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदेह हैं। इससे न केवल स्थानीय पर्यावरण खराब हो रहा है बल्कि लोगों की सेहत पर भी गंभीर असर पड़ रहा है, जिससे सांस और हृदय रोग तेजी से बढ़ रहे हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्रवाई और कानून
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, गाजियाबाद में 403 ऐसे अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग सक्रिय हैं जो शहर के प्रदूषण स्तर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बोर्ड ने कई बार प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों को नोटिस जारी किया है और कुछ पर जुर्माना भी लगाया है। कुछ आरएमसी प्लांटों को भी सील किया जा चुका है। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत वायु प्रदूषण फैलाने वालों को पांच साल तक की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। लेकिन हाल की शिकायत से यह सवाल उठता है कि नियमों का प्रभावी क्रियान्वयन हो पा रहा है या नहीं।
नागरिकों की मांग और प्रशासन की भूमिका
स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से नियमित निगरानी बढ़ाने और कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है ताकि औद्योगिक इकाइयां पर्यावरणीय मानकों का सख्ती से पालन करें। इसके बिना गाजियाबाद के लोग प्रदूषित हवा की समस्या से नहीं बच पाएंगे। प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मिलकर ऐसी योजनाएं बनानी होंगी जो न केवल प्रदूषण रोकें बल्कि नागरिकों को स्वास्थ्य संबंधी राहत भी दें। जागरूकता फैलाना भी जरूरी है ताकि उद्योग भी अपनी जिम्मेदारी समझें।



