Delhi Blast: 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके ने देश भर में हड़कंप मचा दिया। इस हमले में 12 लोग शहीद हो गए जबकि 20 से अधिक लोग घायल हुए। जांच में सामने आया है कि यह धमाका जल्दबाजी में किया गया था और इसमें टाइमर जैसे उपकरणों का इस्तेमाल नहीं हुआ था। हाल ही में गिरफ्तार आतंकियों की पूछताछ में खुलासा हुआ है कि यूपी के प्रमुख मंदिरों और धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाया जाना था। खासतौर पर अयोध्या और वाराणसी जैसे पवित्र स्थान आतंकियों की हिट लिस्ट में शामिल थे।
अयोध्या में विस्फोट की साजिश नाकाम
सूत्रों के मुताबिक, आतंकियों ने अयोध्या में भी धमाका करने की साजिश रची थी। गिरफ्तार संदिग्ध शाहीन ने अयोध्या में स्लीपर मॉड्यूल को एक्टिवेट कर रखा था ताकि विस्फोट किया जा सके। हालांकि, पुलिस की समय पर छापेमारी और सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता की वजह से आतंकियों के प्लान को सफल होने से पहले ही नाकाम कर दिया गया। पुलिस ने विस्फोटक सामग्री बरामद कर अयोध्या में आतंकियों की सक्रियता को रोक दिया। इससे साफ हो गया कि धार्मिक स्थलों को निशाना बनाकर देश में दहशत फैलाने की कोशिश की जा रही थी।
अस्पतालों और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर भी था निशाना
गिरफ्तार आतंकियों से पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि उनकी योजना अस्पतालों को भी निशाना बनाने की थी। इसका मकसद ज्यादा से ज्यादा मासूमों को नुकसान पहुंचाना था। हिट लिस्ट में अस्पतालों के साथ-साथ भीड़-भाड़ वाले इलाकों को शामिल किया गया था, जहां बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया जा सकता था। पुलिस इस कड़ी में और कई संभावित टारगेट की तलाश कर रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
प्रमुख संदिग्ध और उनकी गिरफ्तारी
इस मामले में तीन मुख्य संदिग्ध हैं — डॉक्टर मुजम्मिल, डॉ अदील अहमद डार और डॉ उमर। डॉक्टर उमर के धमाके के दौरान ही मारे जाने की आशंका है। वहीं, डॉक्टर मुजम्मिल और डॉ अदील अहमद डार को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। दोनों से की गई पूछताछ में आतंकियों के प्लान और उनके नेटवर्क के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। इससे पता चलता है कि यह मॉड्यूल कितना संगठित और खतरनाक था।
सुरक्षा एजेंसाओं की सतर्कता और भविष्य की रणनीति
दिल्ली ब्लास्ट की घटना ने देश की सुरक्षा एजेंसाओं को और अधिक चौकस कर दिया है। आतंकवाद के खतरे को देखते हुए यूपी समेत पूरे देश में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। पुलिस और खुफिया विभाग लगातार संदिग्धों की निगरानी कर रहे हैं और ऐसे मॉड्यूल को टूटने के लिए प्रयासरत हैं। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल को और सख्त किया जा रहा है ताकि देशवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।



