सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि भारत में जमीन की रजिस्ट्री और स्वामित्व की व्यवस्था अब पूरी तरह से बदलने की जरूरत है। अदालत ने कहा कि वर्तमान में प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री से जुड़े कानून अंग्रेजों के जमाने के हैं, जो आज के समय में पूरी तरह अप्रासंगिक हो गए हैं। इनके कारण न केवल भ्रम और देरी होती है बल्कि भारी मुकदमेबाजी का भी सामना करना पड़ता है।
तीन सौ साल पुराने नियमों से हो रही परेशानियां
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने कहा कि तीन सौ साल पुराने ये कानून आज की जरूरतों के अनुरूप नहीं हैं। पुराने नियमों की वजह से जमीन की रजिस्ट्री और स्वामित्व के बीच असमानता बनी हुई है, जो प्रक्रिया को जटिल बनाती है। इसी कारण अदालत ने बिहार रजिस्ट्रेशन रूल्स 2008 के नियम 19 को रद्द करने के साथ केंद्र सरकार को सुधारों का सुझाव दिया।
केंद्र सरकार को ब्लॉकचेन तकनीक अपनाने का सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि भूमि रजिस्ट्रेशन प्रणाली को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों जैसे ब्लॉकचेन का उपयोग किया जाए। अदालत ने विधि आयोग को इस विषय पर विस्तृत अध्ययन करने और केंद्र एवं राज्यों, विशेषज्ञों की राय लेकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम और नेशनल जेनरिक डॉक्यूमेंट सिस्टम अच्छी पहल हैं, लेकिन ये पर्याप्त नहीं हैं।
जमीन विवादों के मामले देश के कुल दीवानी मामलों का 66%
सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि देश में लगभग दो तिहाई दीवानी मामले जमीन या संपत्ति विवादों से संबंधित हैं। पुराने कानूनों और अव्यवस्थित प्रशासन की वजह से फर्जी दस्तावेज बनते हैं, अतिक्रमण बढ़ता है और बिचौलियों की भूमिका प्रबल हो जाती है। अदालत ने कहा कि सिर्फ रिकॉर्ड को डिजिटल करना समाधान नहीं है क्योंकि यदि कागजी रिकॉर्ड गलत होगा तो उसका डिजिटल रूप भी गलत रहेगा।
जरूरी हैं कई पुराने कानूनों में संशोधन
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट (1882), रजिस्ट्रेशन एक्ट (1908), इंडियन स्टैम्प एक्ट (1899), एविडेंस एक्ट (1872), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (2000) और डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (2023) जैसे कई पुराने कानूनों की समीक्षा और संशोधन किया जाए। अदालत ने कहा कि इन सुधारों के बिना जमीन से जुड़े मामलों में होने वाली समस्याओं का समाधान मुश्किल होगा।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी भारतीय भूमि व्यवस्था में बड़े सुधार की आवश्यकता को उजागर करती है। जहां पुराने कानून और प्रक्रियाएं आज की चुनौतियों से तालमेल नहीं बैठा पा रही हैं, वहीं आधुनिक तकनीकों और कड़े नियमों की जरूरत महसूस हो रही है। यदि ये सुधार समय पर लागू हो जाते हैं, तो भारत में संपत्ति की खरीद-बिक्री सरल, पारदर्शी और विवाद मुक्त हो सकेगी। यह न केवल आम नागरिकों के लिए राहत का स्रोत होगा बल्कि देश की न्याय प्रणाली को भी मजबूत बनाएगा।



