
Holi in Mathura: मथुरा की होली न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हो गई है। जब फाल्गुन का महीना शुरू होता है, तो कान्हा की नगरी मथुरा में होली के रंग दिखाई देने लगते हैं। मथुरा से लेकर वृंदावन और बरसाना से लेकर दाऊजी तक, जहां भी जाएं, होली के रंग में रंग जाते हैं। मथुरा की गलियों में न केवल रंगों की होली, बल्कि लड्डू और फूलों की होली भी खेली जाती है। मथुरा में होली को कई प्रकार से मनाया जाता है। कभी बटर से होली, तो कभी लड्डूमार और लट्ठमार होली। मथुरा के आसपास बरसाना और बलदेव यानी दाऊजी की कोडेमर होली भी प्रसिद्ध है। आइए जानते हैं मथुरा में किस-किस प्रकार की होली खेली जाती है और उनके खास महत्व के बारे में।
1. लट्ठमार होली (Barsana’s Lathmar Holi)
लट्ठमार होली मथुरा और उसके आस-पास की सबसे प्रसिद्ध और अनोखी होली मानी जाती है। यह होली बरसाना में खेली जाती है, जहां गोकुल के गोपों के साथ बरसाना की गोपियां लट्ठमार होली खेलती हैं। गोकुल के गोपियां बरसाना की गोपियों को होली के प्रेम गीत गाकर tease करते हैं, जिसके बाद गोपियां लाठियों से उन पर हमला कर देती हैं। गोपियां लाठियों से गोपों को पीटती हैं और गोप अपनी रक्षा के लिए ढाल लेकर उन्हें रंग लगाते हैं। यह दृश्य बहुत ही मनमोहक और दिलचस्प होता है, जो हर किसी को दीवाना बना देता है।

2. वृंदावन की फूलों की होली (Vrindavan’s Flower Holi)
वृंदावन में खेली जाने वाली फूलों की होली एक अलग ही आकर्षण का केंद्र होती है। यह होली रंगभरी एकादशी से शुरू होती है, जो वृंदावन के बंके बिहारी मंदिर में होती है। बंके बिहारी के भक्त अपने भगवान के साथ फूलों से होली खेलते हैं। इस समय वृंदावन में भक्तों की एक बड़ी संख्या इकट्ठा होती है। फूलों से खेली जाने वाली होली बहुत ही रमणीय और सुखद अनुभव प्रदान करती है। यह होली केवल रंगों से नहीं, बल्कि खुशबू और रंग-बिरंगे फूलों से भरी होती है, जो मंदिर की पूरी आभा को और भी सुंदर बना देती है।

3. बरसाना की लड्डूमार होली (Barsana’s Laddumar Holi)
बरसाना की लड्डूमार होली भी मथुरा की प्रसिद्ध होलियों में से एक है। इस होली में राधारानी की maid नंदगांव में होली खेलने के लिए लड्डू, गुलाल और रंग लेकर जाती है। फिर नंदगांव से एक पंडित बरसाना में यह सूचना लेकर आता है कि राधारानी ने होली खेलने का निमंत्रण स्वीकार किया है। इसके बाद, लड्डू दिए जाते हैं, लेकिन इतनी ज्यादा लड्डू दी जाती है कि पंडित उन्हें खा नहीं पाता और खुशी से लड्डू फेंकने लगता है। फिर सब लोग खुशी-खुशी लड्डू से होली खेलते हैं। इस होली में हजारों किलो लड्डू बनाए जाते हैं और यह एक आनंदमयी दृश्य होता है।
4. दाऊजी की कोडेमर होली (Dauji’s Kodemar Holi)
मथुरा से मात्र 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दाऊजी का मंदिर है, जो भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम (दाऊजी) को समर्पित है। यहाँ भी एक अद्भुत होली खेली जाती है, जिसे दाऊजी की कोडेमर होली कहा जाता है। इस होली में दाऊजी के भक्त और उनके पुजारी अपनी पत्नी के साथ हिस्सेदारी करते हैं। महिलाएं गोपिकाओं के रूप में सजी-धजी होती हैं और पुरुषों को होली खेलने के दौरान मारने के लिए चाबुक ले आती हैं। यह एक अनोखी होली होती है, जिसमें भक्तों का उत्साह और जोश बहुत अधिक होता है।
5. मथुरा की सजीव होली (Mathura’s Live Holi)
मथुरा में होली का जश्न केवल खास स्थानों पर नहीं, बल्कि हर गली-मोहल्ले में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यहाँ की होली में पूरी तरह से स्थानीय संस्कृति और पारंपरिकता की झलक देखने को मिलती है। रंग, गुलाल, पिचकारी और संगीत के साथ लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और मस्ती करते हैं। मथुरा की होली में रास लीला का भी आयोजन होता है, जिसमें श्री कृष्ण और राधा की दिव्य प्रेम कहानी को रंगों से दर्शाया जाता है।
मथुरा की होली एक अलग ही अनुभव प्रदान करती है, जहाँ परंपराएं, धार्मिक आस्था, रंगों की मस्ती और सांस्कृतिक धरोहर मिलकर एक अद्वितीय उत्सव का रूप लेती हैं। लट्ठमार होली, लड्डूमार होली, फूलों की होली, दाऊजी की कोडेमर होली, इन सबकी अपनी अलग विशेषता और महत्ता है। मथुरा की होली न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी आकर्षण का केंद्र बन चुकी है। अगर आप भी इस होली का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो मथुरा और वृंदावन की गलियों में रंगों के इस अद्भुत उत्सव का आनंद जरूर लें।

