Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को जिरिबाम जिले में सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में 10 उग्रवादी मारे गए, जबकि एक जवान घायल हुआ है। पुलिस के अनुसार, दोपहर करीब 3 बजे हथियारों से लैस उग्रवादियों ने जैकुर्धोर स्थित सीआरपीएफ पोस्ट और नजदीकी बोरबेकड़ा पुलिस स्टेशन पर हमला किया। सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई के बाद स्थिति को नियंत्रण में लिया गया।
सीआरपीएफ जवान घायल
मुठभेड़ में दो जवान घायल हुए, जिनमें से एक सीआरपीएफ कांस्टेबल संजीव कुमार को गोली लगी। उनका इलाज चल रहा है। उग्रवादियों के मारे गए शरीर से तीन AK राइफल्स, चार SLRs, दो INSAS, एक RPG, एक पंप एक्शन गन, बीपी हेलमेट और मैगजीन भी बरामद किए गए। इस मामले में एक केस दर्ज किया गया है और जांच जारी है। अधिकारियों के अनुसार, पुलिस स्टेशन परिसर में स्थित राहत शिविर में रहने वाले 5 लोग लापता हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।
जिरिबाम में बंद की घोषणा
कुकी संगठन ने आज जिरिबाम में बंद की घोषणा की है। कुकी-जो काउंसिल संगठन ने मारे गए लोगों को गांव के स्वयंसेवक (गांव रक्षक) बताया है। इस संगठन ने 12 नवंबर को सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक पूर्ण बंद का आह्वान किया है, ताकि इन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जा सके और एकजुटता दिखाई जा सके। कुकी-जो काउंसिल की ओर से कहा गया कि हमारे अमूल्य गांव रक्षकों की हत्या न केवल उनके परिवारों के लिए, बल्कि पूरी कुकी-जो समुदाय के लिए एक गहरा आघात है।
जिरिबाम क्यों है परेशान?
पिछले साल से मणिपुर में हिंसा की घटनाएँ बढ़ गई हैं। मेइती समुदाय और कुकी जनजाति के बीच लगातार जारी हिंसा के बाद अदालत ने राज्य सरकार से कुकी लोगों को दी जा रही विशेष आर्थिक लाभ और सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण को मेइती समुदाय के लिए भी लागू करने पर विचार करने का आदेश दिया था। जिरिबाम जिले में जिरिबाम-इम्फाल मार्ग को लेकर दोनों समुदायों के बीच संघर्ष जारी है, क्योंकि यह मार्ग और रेलवे लाइन जिरिबाम से इम्फाल तक जाती है और यहीं से बाहरी दुनिया से सामान आता है। दोनों समुदाय, कुकी और मेइती, जो इस मार्ग के आसपास रहते हैं, इस पर अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।
हिंसा के कारण
मणिपुर में पिछले कुछ महीनों में हिंसा के कई कारण रहे हैं, जिनमें प्रमुख रूप से भूमि विवाद, राजनीतिक असहमति, और अलग-अलग जातीय समुदायों के बीच संघर्ष शामिल हैं। मेइती समुदाय और कुकी जनजाति के बीच तीव्र संघर्ष ने राज्य की स्थिति को बहुत जटिल बना दिया है। जिरिबाम जैसे क्षेत्रों में, जहां दोनों समुदायों का प्रभाव है, स्थिति और भी संवेदनशील हो गई है। इस संघर्ष का असर राज्य की सुरक्षा स्थिति पर पड़ा है, और इसके कारण आम नागरिकों की जान भी जा रही है।
जिरिबाम की अहमियत
जिरिबाम जिले का महत्व इसलिए बढ़ गया है क्योंकि यह इम्फाल और बाकी मणिपुर के अन्य हिस्सों से जुड़ा हुआ है। यह राज्य का मुख्य मार्ग है, जहां से अधिकांश दैनिक उपयोग की वस्तुएं इम्फाल और अन्य शहरों में पहुंचती हैं। दोनों समुदाय इस मार्ग पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कुकी समुदाय का आरोप है कि मेइती समुदाय इस मार्ग को नियंत्रित करना चाहता है, जबकि मेइती समुदाय का कहना है कि यह मार्ग उनके लिए महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि जिरिबाम में तनाव बना हुआ है।
सरकार की स्थिति
राज्य सरकार इस बढ़ती हिंसा को लेकर चिंतित है और स्थिति को सामान्य बनाने के लिए कदम उठा रही है। लेकिन, जिरिबाम जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में स्थिति को नियंत्रण में रखना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। अधिकारियों का कहना है कि हिंसा में शामिल लोगों की पहचान की जा रही है और जल्द ही उन्हें पकड़ने के प्रयास किए जाएंगे। हालांकि, स्थानीय लोगों के बीच बढ़ते विश्वास की कमी और विभिन्न समुदायों के बीच बढ़ती खाई सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।
मणिपुर में जारी हिंसा ने राज्य की सुरक्षा और सामाजिक शांति के लिए गंभीर खतरे उत्पन्न किए हैं। जिरिबाम जैसे इलाकों में राजनीतिक और सामाजिक असहमति का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। इस स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए राज्य सरकार को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। इसके अलावा, दोनों समुदायों के बीच संवाद और समझौते को बढ़ावा देना भी जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी हिंसक घटनाओं से बचा जा सके और मणिपुर में शांति कायम की जा सके।