Udit Raj on Putin India Visit: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से ठीक पहले कांग्रेस नेता उदित राज के बयान ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। उदित राज ने कहा कि रूस अब वह भरोसेमंद साझेदार नहीं रहा, जैसा वह पहले हुआ करता था। उन्होंने दावा किया कि भारत को कई बड़े संकटों के दौरान रूस का वह समर्थन नहीं मिला, जिसकी देश को उम्मीद थी। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाएँ तेज हो गई हैं कि क्या भारत-रूस संबंध बदलते वैश्विक परिदृश्य में नए दौर से गुजर रहे हैं।
मीडिया से बातचीत में उदित राज ने कहा कि भारत लंबे समय तक रूस के साथ चट्टान की तरह खड़ा रहा। उन्होंने दावा किया कि पवईगाम (पहलगाम) आतंकी हमले और भारत-पाक युद्ध के दौरान रूस का रुख उम्मीद के मुताबिक मजबूती से भारत के पक्ष में नहीं रहा। उनका कहना है कि इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि और कूटनीतिक स्थिति पर भी प्रभाव पड़ा। उदित राज ने याद दिलाया कि भारत-रूस दोस्ती दशकों पुरानी है और दोनों देशों के संबंध नेहरू और इंदिरा गांधी के समय से बेहद मजबूत रहे हैं।
अमेरिका के दबाव में रूस से कम हुआ तेल आयात?
अपने बयान में उदित राज ने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका के दबाव के चलते भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद कम कर दी है। उन्होंने कहा कि पहले भारत ऐसा नहीं करता था और रूस के साथ एक विश्वसनीय ऊर्जा साझेदारी कायम थी। उदित राज के अनुसार, भारत को अपनी पुरानी भरोसेमंद दोस्ती को फिर से मजबूत करना चाहिए क्योंकि रूस के साथ संबंध ऐतिहासिक रूप से भारत के हित में रहे हैं। उनका मानना है कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत को अपने पुराने मित्र देशों के साथ बेहतर तालमेल बनाए रखने की जरूरत है।
भारत-रूस संबंधों पर केंद्रित होगी पुतिन की दो दिवसीय यात्रा
इस बीच, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार शाम नई दिल्ली पहुंचेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके सम्मान में एक अनौपचारिक रात्रिभोज की मेजबानी करेंगे। इस दौरे का उद्देश्य रक्षा, रणनीतिक साझेदारी, व्यापार और ऊर्जा सहयोग को और मजबूत करना बताया जा रहा है। खास बात यह है कि यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भारत और अमेरिका के संबंधों में कुछ तनाव की स्थिति देखी जा रही है। पुतिन की यह भारत यात्रा विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यह उनका 10वां भारत दौरा है। इससे पहले वह 2021 में भारत आए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच S-400, ऊर्जा सहयोग, परमाणु तकनीक और रक्षा उद्योग में नए समझौते इस यात्रा की प्रमुख उपलब्धियाँ हो सकती हैं। ऐसे में उदित राज का बयान और पुतिन की यात्रा—दोनों मिलकर भारत-रूस संबंधों पर नई राजनीतिक बहस को जन्म दे रहे हैं।


