Exercise Trishul: पाकिस्तान की सीमा से सटी जैसलमेर के रेगिस्तान में भारत की थल सेना, वायुसेना और नौसेना ने एक साथ मिलकर ऑपरेशन त्रिशूल नामक युद्धाभ्यास किया। यह युद्धाभ्यास 12 दिनों तक चला और भारतीय सेना की तकनीकी और सामरिक ताकत को पूरी तरह से परखा गया। यह अभ्यास न केवल सेना की युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए था, बल्कि दुश्मन को यह संदेश देने के लिए भी था कि भारत हर परिस्थिति में तैयार है।
मरु ज्वाला: रियल-टाइम युद्ध का अद्भुत नजारा
ऑपरेशन त्रिशूल का यह युद्धाभ्यास मरु ज्वाला का हिस्सा था, जिसमें रेगिस्तान में उड़ती धूल, गरजते टैंक, और आसमान में गड़गड़ाते फाइटर जेट नजर आए। यह किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था। इस अभ्यास ने भारतीय सेना की जमीन, हवा और समुद्र में तैनात बलों की सामूहिक ताकत को दिखाया। साथ ही, इस अभ्यास के माध्यम से सेना ने यह भी प्रदर्शित किया कि वे किसी भी प्रकार की परिस्थिति में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
T-90 टैंक: मरुस्थल में सैनिकों की ताकत
इस युद्धाभ्यास में T-90 टैंक ने खास भूमिका निभाई। T-90 टैंक अपनी ताकत, गतिशीलता और सुरक्षा के लिए जाना जाता है। यह टैंक 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सामान्य रास्तों पर दौड़ सकता है, जबकि उबड़-खाबड़ रास्तों पर भी 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज़ी से चल सकता है। इसके अलावा इसमें Kaktus K-6 एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर होता है, जो इसे दुश्मन की गोलाबारी से बचाता है। मरुस्थल के तपते वातावरण में इस टैंक ने भारतीय जवानों की युद्ध कौशल को निखारा है।
पहली बार गरजे अपाचे हेलीकॉप्टर
इस युद्धाभ्यास की सबसे बड़ी खासियत रही अमेरिकी अपाचे AH-64E हेलीकॉप्टरों का पहली बार शामिल होना। इन हेलीकॉप्टरों ने हवा से टैंकों और सैनिकों को कवर फायर प्रदान किया। ये हेलीकॉप्टर हेलफायर मिसाइल, हाइड्रो रॉकेट, और स्टिंगर मिसाइल जैसे शक्तिशाली हथियारों से लैस हैं। इनके 30 मिमी की चेन गन से 1,200 राउंड गोला-बारूद एक साथ दागा जा सकता है। अपाचे हेलीकॉप्टर में 360 डिग्री कवरेज वाला रडार, टारगेट एक्विजिशन सिस्टम और नाइट विज़न कैमरा भी लगा है, जिससे ये दिन-रात दुश्मन पर सटीक हमला कर सकते हैं।
पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत करेगा ऑपरेशन त्रिशूल
इस युद्धाभ्यास के बाद अपाचे हेलीकॉप्टरों का प्रशिक्षण महाराष्ट्र के नासिक स्थित आर्मी एविएशन ट्रेनिंग स्कूल में चल रहा है। जल्द ही इन्हें जोधपुर के नगतलाओ बेस पर तैनात किया जाएगा, जिससे भारत की पश्चिमी सीमा पर हवाई ताकत और भी मजबूत होगी। ऑपरेशन त्रिशूल ने यह साबित कर दिया है कि भारत की तीनों सेनाएं हर स्थिति में एक साथ काम कर सकती हैं और देश की सुरक्षा के लिए हर चुनौती का सामना कर सकती हैं। भारत-पाकिस्तान सीमा पर सख्त सतर्कता और मजबूत सामरिक तैयारी के बीच यह युद्धाभ्यास देशवासियों के लिए आत्मविश्वास का कारण है।



